अफगानिस्तान को दोहरी शांति की आवश्यकता – विदेशमंत्री एस. जयशंकर

नई दिल्ली – ‘अफगानिस्तान में और अफगानिस्तान के आसपास शांति स्थापित हुए बगैर इस देश की समस्या नहीं सुलझेगी। अभी भी अफगानिस्तान में हजारों विदेशी खून-खराबा करा रहे हैं। उन्हें अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में स्थान नहीं होना चाहिए’, ऐसा भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जताया है। नई दिल्ली में आयोजित ‘रायसेना डायलॉग’ इस सुरक्षाविषयक परिषद में अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब और ईरान के विदेश मंत्री जावेद झरिफ सहभागी हुए थे। उनसे संवाद करते समय विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान का ठेंठ नामोल्लेख टालकर, अफगानिस्तान की अस्थिरता के लिए पाकिस्तान ही ज़िम्मेदार होने का दोषारोपण किया।

india-afghan-peaceअमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ११ सितंबर को अफगानिस्तान से पूरी सेनावापसी का ऐलान किया है। नाटो ने भी अफगानिस्तान में तैनात अपनी सेना को वापस बुलाने की घोषणा की है। उसके बाद अफगानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच घनघोर संघर्ष शुरू होगा, ऐसी चिंता अमरीका समेत अन्य देश ज़ाहिर कर रहे हैं। इससे निर्माण हुई अस्थिरता का भारत की सुरक्षा पर असर होगा और पाकिस्तान तालिबान का इस्तेमाल करके भारत में आतंक मचाएगा, ऐसी गहरी संभावना जताई जाती है। अफगानिस्तान का भारत के विरोध में इस्तेमाल करने नहीं देंगे, ऐसा हालांकि तालिबान के नेता बता रहे हैं, फिर भी भारत उनके आश्वासन की ओर बहुत ही सावधानतापूर्वक देख रहा है।

इस पृष्ठभूमि पर, नई दिल्ली में रायसेना डायलॉग के दौरान अफगानिस्तान पर चर्चा संपन्न हुई। वर्चुअल माध्यम से इस चर्चा में भारत के विदेश मंत्री ने यह यकीन दिलाया कि अफगानिस्तान की स्थिरता और सुरक्षा के लिए भारत हर संभव सहयोग करेगा। उसी समय, अफगानिस्तान में और आस-पास के देशों में शांति स्थापित हुए बगैर अफगानिस्तान की समस्या नहीं सुलझेगी, ऐसी फटकार विदेश मंत्री जयशंकर ने लगाई। अफगानिस्तान में मची अस्थिरता, अराजक और खून-खराबा इनका मूल पाकिस्तान में होने के आरोप भारत, अमरीका और अफगानी सरकार ने कई बार किए थे। अफगानिस्तान को ‘डबल पीस’ यानी दोहरी शांति की आवश्यकता है, यह बताकर भारत के विदेश मंत्री इसी समस्या की ओर निर्देश कर रहे हैं।

अफगानिस्तान में हजारों विदेशी आतंकवादी लड़ रहे हैं। उन्हें अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का स्थान नहीं मिलना चाहिए, ऐसा जयशंकर ने जताया है। उसी समय, अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया का आयोजन और संचालन तथा नियमन अफगानियों से ही किया जाना चाहिए, यह माँग भारत बहुत पहले से ही कर रहा है, इस बात पर जयशंकर ने गौर फरमाया। पाकिस्तान जैसे देश को अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में स्थान नहीं मिलना चाहिए, ऐसा भारत के विदेश मंत्री अलग शब्दों में बता रहे हैं।

वहीं, अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब ने भी जयशंकर के दावों की पुष्टि की। हिंसा का मार्ग छोड़कर तालिबान अफगानिस्तान की सरकार के साथ चर्चा शुरू करें, ऐसा आवाहन मोहिब ने किया। वहीं, ईरान के विदेश मंत्री जावेद झरिफ ने भी ऐसी सलाह दी है कि तालिबान अफगानिस्तान की सरकार से चर्चा करें। तालिबान अफगानिस्तान की सरकार के साथ व्यापक चर्चा शुरू करें, इस मोरचे पर और देर करना घातक साबित होगा, ऐसी चेतावनी ईरान के विदेश मंत्री ने दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.