अफ़गानिस्तान के विदेशमंत्री भारत यात्रा पर

नई दिल्ली – अफ़गानिस्तान के विदेशमंत्री मोहम्मद हनीफ अत्मर भारत के दौरे पर पहुँचे हैं। इस दौरान उन्होंने भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर से भेंट की। फिलहाल अफ़गानिस्तान से अमरीकी सैनिकों के वापसी का मुद्दा बड़ा अहम बना हुआ हैं। मई से पहले अमरीका ने अफ़गानिस्तान से अपनी सेना को हटाया नहीं तो वहां पर भयंकर खूनखराबा करने की धमकी तालिबान ने दी है। इस वजह से अमरीका और इस क्षेत्र के सभी देश चौकन्ना हुए हैं और रशिया, तुर्की और संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर बातचीत के लिए पहल की है। भारत की सुरक्षा के नज़रिये से अफ़गानिस्तान में जारी इन गतिविधियों को बड़ी अहमियत प्राप्त हुई है। इसी बीच भारत की अफ़गानिस्तान से संबंधित भूमिका को भी बड़ी अहमियत प्राप्त होने की बात सामने आ रही है। ऐसी स्थिति में अफ़गान विदेशमंत्री की भारत यात्रा ध्यान आकर्षित करती है।

भारत यात्रा

तकरीबन तीन दिनों की भारत यात्रा के दौरान अफ़गानिस्तान के विदेशमंत्री अत्मर भारत के विदेशमंत्री के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे। इस चर्चा के दौरान अफ़गानिस्तान की शांतिवार्ता का मुद्दा शीर्ष स्थान पर होगा। फिलहाल अफ़गानिस्तान की सेना और तालिबान के बीच भीषण संघर्ष जारी है। तालिबान ने अफ़गान सुरक्षा बलों को लक्ष्य करने के लिए आतंकी हमले शुरू किए हैं। साथ ही अफ़गान सुरक्षा बलों ने भी तालिबान पर कार्रवाई शुरू की है और इसमें सैंकड़ो तालिबानी मारे जाने का दावा किया जा रहा है। इसके बावजूद अभी तक तालिबान ने अफ़गानिस्तान में अमरिकी सैनिकों को लक्ष्य करना टाल दिया है। कतार की राजधानी दोहा में बीते वर्ष अमरीका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते के बाद तालिबान अमरिकी सैनिकों पर सीधे हमले करना टालता हुआ दिख रहा है।

लेकिन, दोहा में हुए इस शांति समझौते के अनुसार अमरीका ने १ मई से पहले अफ़गानिस्तान से पूरी सेना नहीं हटाई तो अमरिकी सैनिकों का बक्शा नहीं जाएगा, ऐसी धमकी तालिबान ने दी है। इसी के साथ अफ़गानिस्तान में तालिबान के हमलों में बढ़ोतरी हुई है और ऐसे में अमरीका इस देश से अपनी सेना पीछे हटाने के लिए तैयार ना होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस वजह से अगले दिनों में अफ़गानिस्तान में तीव्र संघर्ष का नया सत्र शुरू होने की कड़ी संभावना सामने आ रही है। इस वजह से अफ़गानिस्तान में शांति स्था्पित करने के लिए गतिविधियाँ शुरू हुई हैं। अमरीका ने अफ़गानिस्तान से संबंधित परिषद का आयोजन करके इसके लिए रशिया, ईड़ान, पाकिस्तान, चीन और भारत को निमंत्रित किया है। रशिया ने अफ़गानिस्तान से संबंधित शांतिवार्ता का आयोजन किया है और इसमें भारत का भी समावेश है। तुर्की भी अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए अफ़गानिस्तान संबंधित परिषद का आयोजन करने के लिए बड़ी कोशिश कर रहा है।

ऐसी स्थिति में अफ़गानिस्तान में लगभग तीन अरब डॉलर्स का निवेश करनेवाले भारत की अफ़गानिस्तान से संबंधित भूमिका बड़ी अहम साबित होती है। अफ़गानिस्तान की समस्या का हल निकालने के लिए भारत को दी जा रही अहमियत पाकिस्तान को चुभ रही है और इस शांतिवार्ता में भारत का समावेश ना हो, ऐसी माँग पाकिस्तान कर रहा है। लेकिन, इस ओर किसी ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। लोकनियुक्त सरकार के हाथों में अफ़गानिस्तान का नियंत्रण रहे और अफ़गानिस्तान की शांति प्रक्रिया भी इस देश के सभी घटकों को मिलकर आगे बढ़ानी होगी, ऐसी भूमिका भारत ने अपनाई है। इस वजह से स्थापित होनेवाली शांति अधिक शाश्‍वत होगी, ऐसा भारत का कहना है। इसी के साथ हम अफ़गानिस्तान की सरकार को बेसहारा नहीं छोड़ेंगे, ऐसा भारत ने समय समय पर स्पष्ट किया है।

ऐसी स्थिति में अफ़गानिस्तान के विदेशमंत्री भारत के दौरे पर पहुँचे हैं और उनकी भारत के साथ हो रही चर्चा को बड़ी सामरिक अहमियत प्राप्त होती दिख रही है। किसी समय भारत के तीव्र विरोधी के तौर पर जानी जा रही तालिबान की भारत संबंधित भूमिका में भी अब बदलाव होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। तालिबान को भारत से बातचीत करनी है, हम भारत के बैरी नहीं हैं, यह संदेश तालिबान द्वारा भारत को दिया जा रहा है। इसका लाभ उठाकर भारत ने अफ़गानिस्तान की शांतिवार्ता में अहम भूमिका निभानी होगी, ऐसा आवाहन कुछ सामरिक विश्‍लेषक कर रहे हैं।

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