मणिपुर में बागियों के हमले में असम रायफल्स के ३ जवान शहीद

– हमलावर बागी संगठन के चीन संबंध होने का दावा

चंदेल – चीन से हथियार और आर्थिक सहायता प्राप्त कर रही मणिपुर की ‘पिपल्स लिब्रेशन आर्मी’ (पीएलए) इस बागी संगठन ने किए हमले में असम रायफल्स के तीन जवान शहीद और छह घायल हुए हैं। भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि पर इस हमले को देखा जा रहा है। सीमा पर तनाव के चलते चीन उत्तरपूर्व (ईशान्य कोण) भारत में स्थित बागी संगठनों की सहायता से अशांति का माहौल बनाने की कोशिश में जुटा होने की रपट आई है। कुछ दिन पहले थायलैंड में चीनी हथियारों का बहुत बड़ा भंड़ार बरामद किया गया। इन हथियारों का इस्तेमाल भारतविरोधी गतिविधियों के लिए होना था, यह बात थायलैंड की सुरक्षा यंत्रणा की जाँच से स्पष्ट हुई। साथ ही इस मामले में म्यानमार में छह लोगों की गिरफ़्तारी की गई है। इस पृष्ठभूमि पर म्यानमार की सीमा के करीब भारतीय सैनिकों पर हुए इस हमले की गंभीरता बढ़ रही है।

MANIPURबुधवार की शाम को तकरीबन सात बजे असम रायफल्स के सैनिकों का दल गश्‍त लगाकर म्यानमार की सीमा से करीबी खोंगटाल की छांवनी में लौट रहा था। इसी बीच पीएलए के बागियों ने इन सैनिकों पर हमला किया। इस दौरान बागियों ने ‘आयईडी’ का विस्फोट भी करवाया। धमाके के बाद बागियों ने सैनिकों पर अंदाधुंद गोलीबारी की। इस हमले में तीन जवान शहीद और छह घायल हो गए।

इस हमले के बाद सैनिक और इन हमलावरों के बीच लंबे समय तक मुठभेड़ जारी रही। लेकिन इस दौरान सभी हमलावर के भाग निकलने के समाचार हैं। इस घटना के बाद सेना की संबंधित क्षेत्र में सर्च मुहीम जारी है। इसके अलावा भारत-म्यानमार सीमा पर गश्‍त बढ़ाई गई है।

यह हमला करनेवाला पीएलए संगठन चीन से सहायता प्राप्त करता है। वर्ष १९७८ में गठित हुई यह संगठन स्वतंत्र सोशालिस्ट राज्य की माँग कर रहा है। मगर मणिपुर के नागा, कुकी एवं अन्य समुदाय के बागी संगठनों का पीएलए से कोई संबंध नहीं है। पीएलए के बागियों को चीन ही म्यानमार स्थित आतंकी संगठनों की सहायता से प्रशिक्षण देता है और यह संगठन उत्तरपूर्व भारत में चीन की आँख और कान बना होने का दावा किया जाता है।

MANIPURपिछले कुछ वर्षों में उत्तरपूर्व भारत में सुरक्षा बलों ने जोरदार कार्रवाई करके बागियों की गतिविधियां लगभग ख़त्म कर दी थीं। म्यानमार की सहायता से कार्रवाई करके सीमा के उस पार स्थित बागियों के अड्डे भी ध्वस्त किए गए। उल्फा, नागा और कुकी संगठनों के नेता अब हथियार डालकर शांति प्रक्रिया में शामिल हो चुके हैं। इसी कारण उत्तरपूर्व भारत में हिंसक घटनाओं में कमी आ गई है। लेकिन उत्तरपूर्वीय राज्यों में दुबारा हिंसा फैलाने की जोरदार कोशिशें चीन द्वारा की जा रही हैं। पिछले महीने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैनिकों पर जोरदार हमला करने की तैयारी में बैठें आतंकियों को ढ़ेर किया गया।

भारत के विरोध में गतिविधियां करने के लिए म्यानमार स्थित आतंकी गुटों को चीन और पाकिस्तान सहायता प्रदान कर रहे हैं, यह बात भी सामने आ रही है। पिछले महीने थायलैंड की सुरक्षा यंत्रणा ने हथियारों का बड़ा भंड़ार बरामद किया। यह हथियार भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जाने थे, ऐसी चौकानेवाली जानकारी मिली। भारत ने म्यानमार के साथ आग्नेय एशियाई देशों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने की कोशिश की। इसके तहत भारतीय सीमा पर एवं म्यानमार में बुनियादी सुविधाओं की विकास योजना भी शुरू की गई है। इससे भारत का म्यानमार पर प्रभाव बढ़ रहा है। इस वज़ह से इन परियोजनाओं को लक्ष्य करके भारतीय हितसंबंधों को लक्ष्य करने के लिए चीन अब म्यानमार की आतंकी संगठनों को सहायता प्रदान कर रहा है। साथ ही इन संगठनों के जरिए भारत में मौजूद बागी संगठनों को भी सहायता प्रदान करने की कोशिशें जारी होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

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