शी जिनपिंग के निर्णयों से चीन के सुधार युग का अन्त – डेंग शाओपिंग की नीति का त्याग करने का विश्लेषकों का दावा

बीजिंग – कुछ दिन पहले शासक कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में शी जिनपिंग ने तीसरी बार चीन के राष्ट्राध्यक्ष पद की बागड़ोर संभाली है। यह करते हुए जिनपिंग के निर्णय चीन के पूर्व सर्वोच्च नेता डेंग शाओपिंग के सुधार युग का अन्त करनेवाले साबित हुए हैं, ऐसा दावा पश्चिमी विश्लेषक कर रहे हैं। पार्टी और सरकार अलग रखना, सामुहिक नेतृत्व, निजी उद्योगों को बढ़ावा, सेंट्रल बैंक को दिए गए अधिकार, प्रधानमंत्री पद का स्वतंत्र स्थान के प्रावधान जिनपिंग ने रद्द किए हैं, इस पर विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया है। इसकी वजह से आनेवाले समय में चीन और पश्चिमी देशों का अविश्वास एवं संघर्ष अधिक तीव्र होगा, ऐसी चेतावनी भी दी जा रही है।

साल 1978 से 1989 के दौरान चीन के ‘पैरामाउंट लीडर’ के तौर पर काम करने वाले डेंग शाओपिंग ने चीन में ‘रिफॉर्म ऐण्ड ओपनिंग अप’ युग शुरू किया था। इस दौर में उन्होंने चीन को समाजवादी अर्थव्यवस्था से दूर करके विश्व में सबसे गतिमान आधुनिक अर्थव्यवस्था बनाने का सफल काम किया। अमरीका के साथ राजनीतिक ताल्लुकात स्थापित करने का श्रेय भी शाओपिंग को मिलता है। ‘स्पेशल इकॉनॉमिक ज़ोन’, विदेशी निवेश को बढ़ावा, निजी उपक्रमों को उत्तेजना, सेंट्रल बैंक को अतिरिक्त अधिकार देने जैसे प्रावधानों के लिए उन्होंने पहल की थी। चीन के प्रभाववाला समाजवाद नामक उनकी नीति आगे ‘डेंग शाओपिंग थिअरी’ के तौर पर प्रसिद्ध हुई।

डेंग की नीति, विभिन्न योजनाएं और निर्णयों की वजह से चीन विश्व में दूसरे स्थान की अर्थव्यवस्था बनने में सफल हुआ, ऐसा कहा जाता है। साल 2013 में पहली बार चीन की बागड़ोर संभालनेवाले शी जिनपिंग ने भी शुरूआती दौर में डेंग की नीति का ज़िक्र एवं सराहना की थी। लेकिन पहले लिए गए निर्णयों की वजह से पार्टी बुनियादी नीति से दूर चली गई है और पार्टी में गुटबाजी और भ्रष्टाचार बढ़ने की सोच में जिनपिंग थे। उसी दौरान पार्टी और देश पर अपनी पकड़ मज़बूत करने की महत्वाकांक्षा ने जिनपिंग को माओ की नीति की ओर खींचा और उससे उन्होंने डेंग का सुधारवादी निर्णय उल्टा घुमाना शुरू किया। ऐसा दावा अमरिकी अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने किया है।

पार्टी और देश दोनों को अलग रखना ही चीन के सुधार युग की प्रमुख बात थी। लेकिन, विभाजन अनावश्यक होने का बयान जिनपिंग ने बार-बार कही थी। अब उन्होंने इसे प्रत्यक्ष में उतारा हुआ दिख रहा है, इस पर ‘लोवी इन्स्टीट्यूट’ के अभ्यासक रिचर्ड मैक्‌‍ग्रेगर ने ध्यान आकर्षित किया। सोमवार को खत्म हुए अधिवेशन में जिनपिंग ने देश का प्रशासन संभालते हुए सभी क्षेत्रों में पार्टी का नेतृत्व प्रमुख रहेगा इस पर ध्यान दिया हुआ दिख रहा है, ऐसा पश्चिमी माध्यमों का कहना है। डेंग ने देश का प्रधानमंत्री ही अर्थव्यवस्था का नेतृत्व संभालेगा, ऐसा प्रावधान किया था। लेकिन, जिनपिंग ने प्रधानमंत्री को ‘ऑफिस मैनेजर’ बनाया है। एैसी फटकार विश्लेषकों ने लगायी है।

‘शी जिनपिंग कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ का मोड़ल फिर से स्थापित करने की कोशिश में हैं। पार्टी देश की अर्थव्यवस्था संभालेगी और निजी प्रतिबद्धता कारोबारीक कुशलता से अधिक अहम होगी, यही इसका मतलब निकलता है’, इन शब्दों में अमरीका की पूर्व अधिकारी सुसान शिर्क ने जिनपिंग के निर्णयों की आलोचना की। जिनपिंग ने पार्टी एवं प्रशासन में चुने हुए नेता सिर्फ उन्हीं से निष्ठा के निकषों पर चुने जाने का दावा विशेषज्ञों ने किया है।

जिनपिंग के इन निर्णयों ने उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ से भी अधिक ताकतवर बनाया है। कम्युनिस्ट पार्टी में आगे भी चुने जानेवाले नेतृत्व पर जिनपिंग का पूरा नियंत्रण रहेगा। यह करते हुए उन पर किसी भी तरह से पूर्व नेताओं का नियंत्रण और दबाव नहीं होगा, इस पर विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। साल 2012 में शी जिनपिंग ने पहले कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के तौर पर बागड़ोर संभाली थी। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे पार्टी और देश पर अपनी पकड़ मज़बूत करना शुरू किया। भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का दिखावा करके उन्होंने पार्टी से अपने विरोधियों को हटाया। ऐसे वरिष्ठ नेता और सैन्य अधिकारियों की संख्या 200 है।

साल 2017 में आयोजित कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन के बाद जिनपिंग ने सेंट्रल मिलिटरी कमिशन का अध्यक्ष स्थान खिंचकर सेना पर नियंत्रण पाया था। साथ ही केवल दो बार राष्ट्राध्यक्ष बनने की मर्यादा हटाकर हम पूरा जीवन नेतृत्व करेंगे, यह संकेत भी दिए। अपने विचारों को पार्टी की विचार धारा में शामिल करके पार्टी के संस्थापक माओं जितना बड़ा नेता होने का चित्र भी जिनपिंग ने खड़ा किया था।

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