डॉ. व्ही. जी. भिडे

‘लिक्विड क्रिस्टल डिजिटल डिसप्लेज’ तकनीक के विज्ञानविद्

वैज्ञानिक दृष्टिकोन रखनेवाले विज्ञाननिष्ठ समाज के निर्माण हेतु वैज्ञानिकों (संशोधनकर्ताओं) ने कोशिशें कीं, यह हम जानते हैं। डॉ. व्ही. जी. भिड़े के समान अनेक वैज्ञानिक देश के विकासकार्य हेतु कटिबद्ध होने के कारण आज हम अविकसित नहीं हैं, बल्कि प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ते ही चले जा रहे हैं।

८ अगस्त, १९२५ के दिन जन्मे डॉ. विष्णु गणेश भिड़े ने १९५२ में नागपुर महाविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। मुंबई के ‘इन्स्टिट्युट ऑफ सायन्स’ इस संस्था के पदार्थ विज्ञान इस विभाग के मुख्य प्राध्यापक के रुप में वे काम करने लगे। १९५७ से १९६६ के दौरान उन्होंने ऊपरोक्त संस्था में काम किया। फिर १९८२ तक पुणे के ‘नॅशनल फिजिकल लॅबोरेटरी’ में संशोधक-संचालक इस पद पर काम किया। १९८२ के पश्‍चात वे पुणे महाविद्यालय में कार्यरत हो गए। ‘स्कूल ऑफ एनर्जी स्टडीज् अ‍ॅन्ड मटेरियल सायन्स’ नामक इस संस्था का नेतृत्व किया। ‘रॉयल अ‍ॅस्ट्रॉनॉमिकल सोसायटी’, ‘अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा परिषद’, ‘इंडियन अ‍ॅकॅडमी ऑफ सायन्सेस’, ‘सोलर एनर्जी सोसायटी ऑफ इंडिया’ इस प्रकार की विभिन्न संस्थाओं में उन्होंने अपनी छाप छोड़ रखी है। इसके साथ ही डॉ. भिडे ने मराठी विज्ञान परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। सर्वसामान्य लोगों के मन में विज्ञान के प्रति रुझान उत्पन्न करने हेतु ‘मराठी विज्ञान परिषद’ के माध्यम से होनेवाले प्रयत्नों में डॉ. भिडे सहभागी होकर विभिन्न प्रकार के मेले, परिषद, प्रदर्शनी आदि का आयोजन कर विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के कार्य में अहम योगदान दिया।

‘सॉलिड-फिजिक्स’ विषय के मूलभूत संशोधन के अन्तर्गत उनका योगदान काफ़ी सराहनीय रहा। फेरो इलेक्ट्रिक्स, एक्स-रे स्पेक्ट्रॉस्कोपी, लिक्विड क्रिस्टल्स यह उनके संशोधन साथ ही शिक्षा का विशेष विषय है। उन्होंने अपने सहाकारियों के संग ‘लिक्विड वड क्रिस्टल डिजिटल डिसप्लेज’ यह तकनीक कुछ अलग तरीके से विकसित की गई। सूर्य से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा एवं उसका उपयोग यह भी उनके अध्ययन का विषय है। १९७८ में उन्हें हरि ॐ ट्रस्ट नामक इस संस्था ने सी. व्ही. रामन स्मृति गौरव पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इसके अलावा अनेकों सम्मानित पुरस्कार उन्होंने प्राप्त किये हैं। १९९२ में उन्हें भारत सरकार का पद्मश्री यह नागरी पुरस्कर प्रदान किया गया।

पदार्थ विज्ञान, ऊर्जा ऐसे कुछ खास विषयों के निपुण प्राध्यापक के रुप में डॉ. भिडे के अनेक स्थानों पर व्याख्यान हुए हैं। डॉ. व्ही. जी. भिडे यह अपने कुलगुरु पद एवं संशोधन कार्य के बीच सुयोग्य संबंध बनाये रखनेवाले एक संशोधक हैं। पुणे महाविद्यालय के कुलगुरु के रुप में डॉ. भिडे का कार्य काफी सराहा गया। नागपुर शहर के एक विद्वान प्राध्यापक के रूप में डॉ. भिडे की पहचान हैं। पुणे महाविद्यालय के स्कूल ऑफ एनर्जी स्टडीज् अ‍ॅण्ड मटेरियल्स् सायन्स इस विभाग के प्रमुख के रूप में आरंभ करके उसी महाविद्यालय के कुलगुरु बननेवाले डॉ. भिडे एक छात्रप्रिय प्राध्यापक हैं।

गणित एवं विज्ञान में विशेष रुचि रखनेवाले ये संशोधक उन विषयों में ज्ञानी तो हैं ही; इसके अलावा पाँच वर्ष की अवधि में ही एक कुलगुरु पद की जिम्मेदारी उत्तम तरीके से निभाते हुए, साथ ही वे विज्ञान से संबंधित संशोधन एवं विज्ञान प्रचार एवं प्रसार करनेवाले एक अनुभवी विज्ञानविद् हैं।

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