हाँगकाँग में जारी विरोध कुचलने के लिए ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कानून’ का इस्तेमाल – अमरीका समेत ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाड़ा की आलोचना

हाँगकाँग – हाँगकाँग में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कानून’ का इस्तेमाल विरोधकों को कुचलने के लिए हो रहा है, ऐसी तीखी आलोचना अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाड़ा ने की है। इन देशों के विदेशमंत्रियों ने रविवार के दिन संयुक्त निवेदन जारी करके चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को किनारा किया। पिछले सप्ताह में ही हाँगकाँग में की गई व्यापक कार्रवाई में ५० से अधिक सियासी नेता और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। इस कार्रवाई की तीव्र गूँज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई दे रही है।

hong-kong-protestबीते वर्ष जुलाई से हाँगकाँग में ‘नैशनल सिक्युरिटी लॉ’ लागू किया गया है। इस कानून के अनुसार चीन के विरोध में होनेवाला कोई भी कृत्य गैरकानूनी और राष्ट्रविरोधी करार दिया गया है और ऐसा कृत्य करनेवाले को उम्रकैद की सज़ा देने का प्रावधान है। नए कानून के तहत दाखिल होनेवाले मुकदमों की कार्रवाई गुप्त पद्धति से चलाने की अनुमति भी संबंधित यंत्रणाओं को दी गई है। चीन के साथ हाँगकाँग की यंत्रणा ने बीते छह महीनों में कई लोगों को इस नए कानून के तहत गिरफ्तार किया है और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू होने की बात कही जा रही है।

hong-kong-protestचीन की सुरक्षा यंत्रणाओं ने बीते सप्ताह में हाँगकाँग में ५५ सियासी नेता और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था। गिरफ्तार हुए यह सभी हाँगकाँग में होनेवाले चुनावों की पूर्व तैयारी करने में जुटे हुए थे। लेकिन, गिरफ्तारी हुई नागरिकों ने हाँगकाँग के प्रशासन का तख्ता पलटने की साज़िश रची थी, ऐसा झूठा आरोप चीनी यंत्रणाओं ने रखा है। चीन ने इससे पहले भी हाँगकाँग के कई सियासी नेता एवं जनतंत्र के समर्थक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। लेकिन, एक ही समय पर ५५ लोगों के खिलाफ कार्रवाई होने का यह पहला अवसर है। इस कार्रवाई पर हाँगकाँग के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है।

hong-kong-protestअमरीका और यूरोपिय देशों ने हाँगकाँग में हुई कार्रवाई के मुद्दे पर चीन को पहले ही फटकार लगाई है। रविवार के दिन जारी किया गया संयुक्त निवेदन चीन के विरोध में उठनेवाली आवाज़ अधिक व्यापक और आक्रामक करने की योजना का हिस्सा समझा जा रहा है। इस निवेदन में अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाड़ा के विदेशमंत्री का योगदान रहा। चीन की हुकूमत ने एवं हाँगकाँग के प्रशासन कानूनन अधिकार और स्वतंत्रता का सम्मान करें, ऐसा इशारा भी इस निवेदन से दिया गया है।

अमरीका और ब्रिटेन ने हाँगकाँग में लागू किए गए मुद्दे पर अधिक आक्रामक भूमिका अपनाई है। इन देशों ने चीन के विरोध में कार्रवाई करने का ऐलान किया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक मोर्चा गठित करने की कोशिश भी शुरू हुई है। इसके लिए गुप्तचर यंत्रणाओं के ‘फाईव आईज्‌’ नामक गुट का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। बीते वर्ष इस गुट ने हाँगकाँग के मुद्दे पर स्वतंत्र बैठक आयोजित करके चीन को इशारा दिया था, ऐसा वृत्त भी प्राप्त हुआ था।

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