चीन ने हाँगकाँग को बेड़ियों में जकड़ा – हाँगकाँग के पूर्व गवर्नर क्रिस पॅटन का आरोप

लंदन – चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत ने ‘एक देश-दो व्यवस्थाएँ’ इस तत्त्व के मुद्दे पर विश्‍वासघात किया होकर, हाँगकाँग को बेड़ियों में जकड़ा है, ऐसा मर्मभेदी प्रहार हाँगकाँग के पूर्व गवर्नर लॉर्ड क्रिस पॅटन ने किया। उसी समय, चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी पर इसके बाद कभी भी भरोसा नहीं रखा जा सकता, ऐसी तीख़ी आलोचना भी उन्होंने की। चीन के सत्ताधारियों ने जुलाई महीने से ‘नॅशनल सिक्युरिटी लॉ’ लागू करके हाँगकाँग पर पूर्ण कब्ज़ा किया होकर, जनतंत्रवादी नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों तथा उद्योजकों की गिरफ़्तारी का सत्र शुरू किया है।

china-hongkongपिछले कुछ दिनों से हाँगकाँग का मुद्दा फिर एक बार चर्चा में आया है। चीन ने ‘नॅशनल सिक्युरिटी लॉ’ पर अधिक आक्रामकता से अमल शुरू किया होकर, हाँगकाँग में जनतंत्रवादी आंदोलन करनेवाले गुटों के प्रमुख नेताओं और समर्थकों को गिरफ़्तार किया गया है। उनमें जनतंत्रवादी आंदोलन के प्रमुख नेता ‘ऍग्नेस चाऊ’ तथा ‘जोशुआ वॉंग’ के साथ १० लोगों का समावेश है। उनके अलावा, हाँगकाँग के आंदोलन को समर्थन देनेवाले उद्योजक जिम्मी लाय को भी गिरफ़्तार किया गया है। इन सबपर ‘नॅशनल सिक्युरिटी लॉ’ के तहत आरोप रखे गये होने की जानकारी सामने आयी है।

china-hongkongचीन द्वारा जारी इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि पर, हाँगकाँग के पूर्व गवर्नर लॉर्ड पॅटन ने की आलोचना ग़ौरतलब साबित होती है। ‘चीन की सत्ताधारी हुक़ूमत ने ‘एक देश, दो व्यवस्थाएँ’ इस तत्त्व पर अमल करने का अभिवचन दिया था। लेकिन उन्होंने इस मुद्दे को लेकर विश्‍वासघात किया है। चीन की हुक़ूमत ने हाँगकाँग को बेड़ियों में जकड़ा है। सत्ताधारी हुक़ूमत द्वारा जारी कार्रवाई तथा क़ानूनों का उल्लंघन यह महज़ जनतंत्रवादी आंदोलन को प्रत्युत्तर देने का भाग नहीं। बल्कि विद्यमान कार्रवाई यह चीन की पूर्वनियोजित साज़िश का भाग है’, ऐसा गंभीर आरोप पॅटन ने किया।

china-hongkongइस समय हाँगकाँग के पूर्व गवर्नर ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग तथा कम्युनिस्ट पार्टी को भी खरी खरी सुनाई। ‘आर्थिक व्यवहारों का केंद्र होनेवाले हाँगकाँग को जनतंत्रवादी मूल्यों से दूर ले जाकर, उसपर एकाधिकारशाही थोंपने के फ़ैसले के लिए राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ही ज़िम्मेदार हैं। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी पर थूक से अधिक दूरी तक भरोसा नहीं किया जा सकता’, ऐसा लॉर्ड पॅटन ने जताया। उसी समय, कम्युनिस्ट हुक़ूमत हाँगकाँग तक जाकर रुकनेवाली नहीं, बल्कि इसके आगे वे तैवान को भी लक्ष्य करेंगे, ऐसी चेतावनी ब्रिटन के इस वरिष्ठ नेता ने दी। चीन द्वारा जारी दमनतंत्र के विरोध में पश्चिमी देशों ने अधिक आग्रही भूमिका अपनाना शुरू किया होकर, यह स्वागतार्ह बात है, ऐसा भी पॅटन ने कहा।

china-hongkongपिछले ही हफ़्ते अमरीका ने हाँगकाँग के मुद्दे को लेकर चीन के १४ अधिकारियों पर निर्बंध थोंपे थे। उनमें आर्थिक निर्बंधों के साथ प्रवासबंदी का भी समावेश है। हाँगकाँग के मुद्दे पर अमरीका ने की यह चौथी बड़ी कार्रवाई हुई है। इससे पहले अमरीका के ट्रम्प प्रशासन ने हाँगकाँग का ‘स्पेशल स्टेटस’ खारिज करके शहर की प्रशासकीय प्रमुख कॅरी लॅम समेत १५ वरिष्ठ अधिकारियों पर निर्बंध थोंपे थे। उसके बाद अमरीका की संसद ने ‘हाँगकाँग ऑटोनॉमी ऍक्ट’ मंज़ूर करके चीन की कार्रवाई को स्पष्ट शब्दों में ठुकरा दिया था।

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