अमरीका ‘डब्ल्यूएचओ’ से बाहर हुई

वॉशिंग्टन – कोरोना की महामारी के मुद्दे पर लगातार चीन के पक्ष में खड़े रहनेवाले ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायझेशन’ यानी ‘डब्ल्यूएचओ’ से अमरीका बाहर हुई है। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इससे संबंधित पत्र संयुक्त राष्ट्रसंघ और अमरिकी संसद को दिया है। अमरीका ‘डब्ल्यूएचओ’ को सबसे अधिक फंडिंग करनेवाला देश होने के कारण, ट्रम्प ने किए इस निर्णय से स्वास्थ्य संगठन के साथ साथ, चीन को भी बड़ा झटका लगा है, ऐसा माना जा रहा है।

‘डब्ल्यूएचओ’

अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने मंगलवार के दिन, संयुक्त राष्ट्रसंघ और अमरिकी संसद को ‘डब्ल्यूएचओ’ से बाहर निकलने की बात स्पष्ट करनेवाला पत्र देने का ऐलान किया। ‘डब्ल्यूएचओ’ के प्रावधानों के अनुसार, कोई सदस्य देश यदि संगठन से बाहर निकलना चाहता है, तो एक वर्ष पहले ही इससे संबंधित पत्र देना आवश्‍यक होता है। इसके अनुसार अमरीका ने यह पत्र दिया है और जुलाई २०२१ से अमरीका ‘डब्ल्यूएचओ’ की सदस्य नहीं रहेगी, यह जानकारी राष्ट्रसंघ के प्रवक्ता ने साझा की। अमरिकी संसद ने भी राष्ट्राध्यक्ष का पत्र प्राप्त हुआ है, यह कहा है। इस निर्णय की वजह से, कोरोना की महामारी के दौर में अमरीका अलग-थलग हो जाएगी, ऐसी आलोचना विरोधकों ने की है।

चीन से शुरू हुई कोरोना की महामारी पूरे विश्‍व में फैलनी शुरू होने के बाद, अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने चीन के साथ ‘डब्ल्यूएचओ’ को भी लक्ष्य किया था। चीन के वुहान शहर में इस महामारी का विस्फोट होने के बाद, जागतिक स्वास्थ्य संगठन ने अपने निरीक्षक भेजकर इस महामारी की जाँच करनी चाहिए थी। इसके बजाय, इस महामारी की जानकारी छिपाने के लिए चीन ने की हुई कोशिशों को ‘डब्ल्यूएचओ’ ने सहायता की। इस कारण, चीन के एक हिस्से में ही जिसे रोकना संभव था, ऐसी यह महामारी जागतिक महामारी बनी और आज पूरा विश्‍व इसकी बड़ी क़ीमत चुका रहा है। यह सबकुछ ‘डब्ल्यूएचओ’ की गैरज़िम्मेदाराना हरकत से हुआ है, इन शब्दों में ट्रम्प ने ‘डब्ल्यूएचओ’ को फटकार लगाई थी।

‘डब्ल्यूएचओ’

अप्रैल महीने में ट्रम्प ने ‘डब्ल्यूएचओ’ की फंडिंग रोकने का ऐलान किया था। ‘प्रतिवर्ष जागतिक स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को करीबन ४० से ५० करोड़ डॉलर्स की अर्थिक सहायता प्रदान कर रहीं अमरीका को, इसके आगे इस निधि का अधिक अच्छी तरह से इस्तेमाल करना है। इसी कारण ‘डब्ल्यूएचओ’ को प्रदान हो रही आर्थिक सहायता रोकने के आदेश अमरिकी अधिकारियों को दिए हैं’, इन शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘डब्ल्यूएचओ’ को झटका दिया था।

इसके बाद ट्रम्प ने ‘डब्ल्यूएचओ’ में सुधार करने की माँग करके, यदि सुधार नहीं हुए, तो अमरीका ‘डब्ल्यूएचओ’ से बाहर निकलेगी, यह धमकी भी दी थी। संयुक्त राष्ट्रसंघ को पत्र देकर ट्रम्प ने अपनी यह धमकी सच करके दिखाई है। ‘डब्ल्यूएचओ’ को प्राप्त हो रही निधि में से १५ से २० प्रतिशत निधि सिर्फ़ अमरीका प्रदान करती है। अमरीका के बाहर निकलने से अब ‘डब्ल्यूएचओ’ को प्राप्त होनेवाली यह निधि बंद हो जायेगी और इसका संगठन के कार्य पर बड़ा असर हो सकता है, यह ड़र विशेषज्ञों ने जताया है।

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