सौदी के ईंधन परियोजनाओं पर हुए हमलों का जवाब देने के लिए अमरिका ने किया ईरान पर सायबर हमला – अंतरराष्ट्रीय वृत्तसंस्था का दावा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

वॉशिंगटन – पिछले महीने में सौदी अरब की ईंधन परियोजनाओं पर हुए भीषण हमलों को जिम्मेदार होनेवाले ईरान को अमरिका ने जवाब दिया है| ईरान की काफी अहम यंत्रणा पर अमरिका ने सायबर हमला किया है, यह दावा अंतरराष्ट्रीय वृत्तसंस्था ने दो अमरिकी अफसरों के दाखिले से किया है|

सितंबर १४ के रोज सौदी के अबकैक और खुरैस इन दो ईंधन परियोजनाओं पर ड्रोन्स एवं मिसाइलों से हमलें हुए थे| येमन के हौथी बागियों ने इन हमलों की जिम्मेदारी स्वीकारी थी| पर, हौथी बागियों के पास सौदी में लंबी दूरी तक हमलें करने की क्षमता नही है, यह कहकर इन हमलों के लिए ईरान जिम्मेदार होने का आरोप सौदी और अमरिका ने किया था| इसके बाद अमरिका ने ईड़ान को प्रत्युत्तर देने के लिए पर्शियन खाडी में युद्धपोतों की तैनाती बढाकर मित्रदेशों से भी ईरान विरोधी मोर्चे में शामिल होने का निवेदन किया था|

लष्करी कार्रवाई के साथ ही अमरिका के सामने ईरान संबंधी सभी विकल्प खुले होने के सूचन विधान राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने किए थे| अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ और रक्षामंत्री मार्क एस्पर ने भी यही संकेत दिए थे| इस पृष्ठभूमि पर वर्णित वृत्तसंस्था ने यह दावा किया है की, ‘अमरिका ने सायबर हमला करके ईरान को झटका दिया है|’

दो अमरिकी अफसरों ने दी जानकारी के अनुसार सितंबर महीने के आखरी दिनों में यह सायबर हमला करके अमरिका ने ईरान को सौदी पर किए हमलों के परिणाम भुगतने के लिए मजबूर किया था| इस सायबर हमले में ईरान के प्रचार तकनीक का हिस्सा होनेवाली यंत्रणा को लक्ष्य किया गया है, यह

जानकारी इन अफसरों ने दी| इस हमलें में ईरान को पुख्ता कितना नुकसान उठाना पडा, यह बात अभी स्पष्ट नही हो सकी है| पर इस हमले से संभलने के लिए ईरान को कुछ महीने लग सकते है, ऐसा अमरिका के लष्करी विश्‍लेषक कह रहे है|

दो महीनों पहले ईरान ने पर्शियन खाडी में गश्त करनेवाला अमरिकी ड्रोन गिराया था| ईरान की इस कार्रवाई को जवाब देने के लिए अमरिका ने ईरान पर सायबर हमलें किए थे, यह जानकारी भी सामने आयी थी| इसी बीच वर्ष २०१० में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ‘स्टक्सनेट’ का हमला करके अमरिका ने लक्ष्य किया था| इस हमले में ईरान के परमाणु केंद्र में संवर्धित युरेनियम के हजारों सेंट्रिफ्युजेस नाकाम किए गए थे| इस सायबर हमले की वजह से ईरान का परमाणु कार्यक्रम कुछ वर्ष पीछे हुआ था| यह अपने परमाणु कार्यक्रम पर हुआ सायबर हमला है, यह बात समझने के लिए ईरान को काफी समय लगा था|

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