चीन पर दबाव क़ायम रखने के लिए अमरीका ने खोला मित्रदेशों के साथ नया मोरचा

वॉशिंग्टन/लंडन  – आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन की बढ़ती मग़रूरी को रोककर उसपर दबाव बनाये रखने के लिए अमरीका ने अपने मित्रदेशों के साथ नया मोरचा खोला है। इस मोरचे में अमरीका के साथ नौं देशों के १८ संसद सदस्यों का समावेश है। व्यापार में लूट, कोरोना महामारी इनके साथ अन्य कई मुद्दों को लेकर अमरीका एवं चीन में जारी राजनीतिक संघर्ष  अब शीतयुद्ध की दहलीज़ तक पहुँचा होने की बात मानी जाती है। अमरीका की पहल से खोला जानेवाला यह नया मोरचा उसीके संकेत दे रहा है।

चीन, अमरीका

‘इंटर पार्लमेंटरी अलायन्स ऑन चायना’ इस नाम से स्थापन हुए इस गुट में फिलहाल १८ संसद सदस्यों का समावेश होकर, अमरीका की संसद में लगातार चीन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानेवाले सिनेटर मार्को रुबिओ और रॉबर्ट मेनेडेझ ने इसके लिए पहल की है। अन्य प्रमुख सदस्यों में, ब्रिटन की सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख नेता इयान डंकन स्मिथ, जर्मनी की सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता मायकल ब्रँड, युरोपियन संसद की विदेश समिति की सदस्या मरियम लॅक्समन और जापान के पूर्व रक्षामंत्री जनरल नाकातानी  का समावेश है। कम्युनिस्ट पार्टी की हुक़ूमत के तहत होनेवाला चीन यह पूरे विश्व के लिए बड़ा ख़तरा है, ऐसे शब्दों में अमरीका के सिनेटर मार्को रुबिओ ने नये मोरचे की स्थापना का समर्थन किया।

शुक्रवार को इस मोरचे ने एक स्वतंत्र निवेदन भी जारी किया है। उसमें चीन को किस प्रकार और किन मुद्दों पर लक्ष्य किया जा सकता है, इसकी जानकारी दी गयी है। ‘चीन द्वारा आर्थिक ताकत के ज़ोर पर, नियमों पर आधारित होनेवाली जागतिक व्यवस्था को झटका देने की कोशिशें जारी हैं। चीन की इन गतिविधियों का विरोध करने के प्रयास भी कुछ देशों ने किए। इन देशों को उसकी क़ीमत भी चुकानी पड़ी है’, इसपर ग़ौर फ़रमाकर, आनेवाले समय में चीन के ख़िलाफ़ एकजुट होकर और सामरिक स्तर पर आक्रमक कदम उठाने की आवश्यकता है, इसका एहसास ‘इंटर पार्लमेंटरी अलायन्स ऑन चायना’ ने अपने निवेदन में कराया है। चीनविरोधी व्यापक संघर्ष के लिए इस मोरचे ने पाँच मुद्दों पर ज़ोर देने के संकेत दिए हैं।

चीन, अमरीका

उसमें नियमों पर आधारित आंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की सुरक्षा, मानवाधिकारों का पुरस्कार, व्यापार में उचित तत्त्वों को प्रोत्साहन,  आपसी सहायकारी साबित होनेवालीं सुरक्षाविषयक नीतियाँ विकसित करना और देश की सार्वभूमता को प्राथमिकता इनका समावेश है। फिलहाल मोरचे में नौं देशों का समावेश है, फिर भी आनेवाले दौर में उसकी व्याप्ति बढ़ सकती है, ऐसा दावा भी निवेदन में किया गया है। फिलहाल अमरीका, ब्रिटन, कॅनडा, जर्मनी, जपान, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, स्वीडन तथा युरोपियन संसद ये मोरचे के नौं सदस्य हैं।

अमरीका की पहल से तैयार किये गए इस नये मोरचे की चीन ने आलोचना की है। पश्चिमी नेता शीतयुद्धकालीन मानसिकता एवं पूर्वग्रहदूषित विचारधारा को त्याग दें और आंतर्राष्ट्रीय संबंधों का सम्मान करके, राजनीतिक हितसंबंध तथा फ़ायदे के लिए चीन के अंदरूनी मामलों में दख़लअन्दाज़ी करना टालें, ऐसी फ़टकार चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने लगायी है।

चीन, अमरीका

इसी बीच, अमरीका चीन को झटका देने के लिए नये मोरचे की तैयारी कर रही है कि तभी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन की घेराबंदी करनेवाला नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, अमरीका में कार्यरत होनेवालीं चिनी कंपनियों को अपने पास की सारी जानकारी अमरिकी यंत्रणों को देना बंधनकारक होनेवाला है। चिनी कंपनियों ने जानकारी ना देने पर उनका रजिस्ट्रेशन रद करने की कार्रवाई की जानेवाली है। अमरिकी मार्केट तथा निवेशकारों की सुरक्षा के लिए यह आदेश दिया जा रहा है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने कहा है।

पिछले दो हफ़्तों में ट्रम्प ने चीन के विरोध में किया यह तीसरा बड़ा फ़ैसला है। कुछ दिन पहले अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने, उघुरवंशियों के मुद्दे पर चिनी अधिकारियों पर निर्बंध थोंपने का तथा चिनी छात्र एवं संशोधकों पर अमरीका में प्रवेशबंदी करने का निर्णय किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published.