ईरान के ड्रोन के कारण अमेरिकी विमान वाहक युद्धपोत ने मार्ग बदला – ईरान के रिवोल्युशनरी गार्डस्‌ का दावा

तेहरान – येमन स्थित ईरान से जुड़े हौथी विद्रोही रेड सी के क्षेत्र में इस्रायली एवं विदेशी जहाजों पर हमले कर रहे हैं। इस वजह से रेड सी के क्षेत्र में तनाव निर्माण हुआ है। ऐसे में अब पर्शियन खाड़ी में ईरान ने सीधे अमेरिका के विमान वाहक युद्धपोत को ही चुनौती दी है। पर्शियन खाड़ी में प्रवेश करने वाले अमेरिका के युद्धपोत पर ईरान ने ड्रोन छोड़े। इस वजह से अमेरिका का युद्धपोत अपने मार्ग में बदलाव करने के लिए मज़बूर हुआ, ऐसा दावा ईरान के रिवोल्युशनरी गार्डस्‌ ने किया है। ईरान की इस हरकत के कारण रेड सी के बाद पर्शियन खाड़ी में भी तनाव निर्माण होत दिख रहा है।

७ अक्टूबर के दिन हमास के आतंकवादियों ने इस्रायल में घुसकर भीषण हमला करने के बाद अमेरिका ने इस्रायल की सुरक्षा में अपने विमान वाहक युद्धपोत का बेड़ा रवाना किया था। ईरान के ड्रोन के कारण अमेरिकी विमान वाहक युद्धपोत ने मार्ग बदला - ईरान के रिवोल्युशनरी गार्डस्‌ का दावाइनमें से दो विमान वाहक युद्धपोत, विध्वंसक और पनडुब्बियां भूमध्य समुद्र में तैनात हैं। वहीं, ‘यूएसएस ड्विट आयसेनहॉवर’ जैसी विशाल विमान वाहक युद्धपोत रेड सी के मार्ग से पर्शियन खाड़ी की ओर रवाना हुई थी। पिछले कुछ महीनों से इस समुद्री क्षेत्र में गश्त लहा रहे फ्रान्स के विध्वंसक की सहायता में अमेरिका ने इस विध्वंसक को रवाना किया था। वहीं, इस्रायल के साथ जारी संघर्ष में हमास का समर्थन कर रहे ईरान पर दबाव बनाए रखने के लिए पेंटॅगॉन ने आयसेनहॉवर की तैनाती करने का दावा किया जा रहा है।

दो दिन पहले यह युद्धपोत बड़े व्यस्त व्यापारी समुद्री मार्ग बने पर्शियन खाड़ी में दाखिल हुआ है। इस वजह से वर्णित समुद्री क्षेत्र में विदेश जहाजों की सुरक्षा तय होगी, ऐसा कहा जा रहा था। लेकिन, ‘आयसेनहॉवर’ इस समुद्री क्षेत्र में दाखिल होने के बाद ईरान के रिवोल्युशनरी गार्डस्‌ ने होर्मुझ की खाड़ी में अमेरिकी युद्धपोत की दिशा में ड्रोन्स रवाना किए। ‘आयसेनहॉवर’ के साथ गश्त लगा रहे अमेरिकी हेलिकॉप्टर को इन ड्रोन्स के कारण युद्धपोत पर उतरना पड़ा और आयसेनहॉवर को भी अपना मार्ग बदलना पड़ा, ऐसा दावा आयआरजीसी के नौसैनिक कमांडर जनरल अलीरेझा तांगसिरी ने किया है।

ईरान के ड्रोन के कारण अमेरिकी विमान वाहक युद्धपोत ने मार्ग बदला - ईरान के रिवोल्युशनरी गार्डस्‌ का दावाईरानी नौसेना की अमेरिकी युद्धपोत और विध्वंसकों की गतिविधियों पर बारीक नज़र हैं। अमेरिका ने ईरान के विरोध में छोटी सी भी हरकत की तो ईरान के मिसाइल आगे की कार्रवाई को अंजाम देने के लिए तैयार हैं, ऐसा इशारा तांगसिरी ने दिया। ईरान की समुद्री सीमा से अवैध यात्रा कर रहे विदेशी जहाजों पर यकिनन कार्रवाई की जाएगी, यह भी तांगसिरी ने दिया। खाड़ी में अमेरिका के कमांड कहे जा रहे ‘सेंट्रल कमांड’ (सेंटकॉम) ने आयसेनहॉवर और अन्य विध्वंसक पर्शि?न खाड़ी में दाखिल होने का ऐलान किया। लेकिन, अमेरिकी युद्धपोत को ईरान के ड्रोन्स ने चुनौती देने के दावे को सेंटकॉम ने अनदेखा किया।

सौदी अरब, यूएई, कतर, कुवैत, बहरीन यह सभी ईंधन और गैस उत्पादक अरब देश हैं। इन देशों का ईंधन भंड़ार अमेरिका, यूरोप, भारत, चीन और अन्य आग्नेय एशियाई देशों को प्रदान होता है। इसके लिए पर्शियन खाड़ी से समुद्री यातायात करने का विकल्पहैं। इस क्षेत्र से लगभग २० प्रतिशत ईंधन की यातायात होती है। इस वजह से वर्णित समुद्री क्षेत्र यानी ईंधन पर निर्भर अमेरिका, यूरोपिय देशों की आर्थिक चाबी समझी जाती है। पर्शियन खाड़ी में बने तनाव का सीधा असर पश्चिमी देशों के साथ एशियाई देशों पर भी होता है।

पिछले कुछ सालों में ईरान इस समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा को चुनौती दे रहा है। ईरान ने विदेशी जहाजों का अपहरण किया। साथ ही इस्रायल से जुड़े जहाजों पर हमले करने के आरोप भी हुए हैं। इस पृष्ठभूमि पर वर्णित समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अमेरिका के विमान वाहक युद्धपोत की तैनाती और इसे ईरान ने दी हुई चुनौती इस क्षेत्र में तनाव बढ़ाने वाली घटना बन रही है।

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