संयुक्त राष्ट्रसंघ ने दिया चीन को झटका

महासभा के प्रस्ताव से चीन का एजेंड़ा हटाया

न्यूयॉर्क – चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी और उसके नेताओं द्वारा लगातार इस्तेमाल की जा रही शब्दरचना को संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रस्ताव में शामिल करने की चीन की कोशिश नाकाम की गई है। अमरीका, ब्रिटन और भारत के साथ छः देशों ने संबंधित प्रस्ताव में चीन द्वारा घुसेड़ी गयी भाषा का प्रयोग करने पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा के प्रमुख ‘तिज्जनी मुहम्मद बंदे’ ने संबंधित प्रस्ताव में दर्ज़ चीन के शब्द हटाने का निर्णय किया। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्रसंघ ७५ वर्ष पूरे कर रहा होकर, उस उपलक्ष्य में सितंबर महीने में होनेवाली महासभा की बैठक में यह प्रस्ताव रखा जानेवाला है।United-Nations-General-Assembly

सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा (यूएनजीए) का आयोजन होना है। इस बैठक में संयुक्त राष्ट्रसंघ के १९६ सदस्य देशों के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे। संयुक्त राष्ट्रसंघ को ७५ वर्ष पूरे होने के अवसर पर, इस महासभा में एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा। इस प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने का काम पिछले कुछ सप्ताह से संयुक्त राष्ट्रसंघ में हो रहा था। इस दौरान हुई एक बैठक में, चीन ने ‘टू बिल्ड कम्युनिटी विथ ए शेअर्ड फ्युचर फॉर मैनकार्इंड़’ यह शब्दरचना इस प्रस्ताव के अन्त में इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा था। ये शब्द प्रस्ताव में शामिल करके, यह प्रस्ताव सीधे पारित होने का चित्र दिखाने की कोशिश चीन कर रहा था।

लेकिन, चीन की ये गतिविधियाँ समय पर ही अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूझीलैंड और भारत की नज़र में आयीं। इन देशों ने महासभा के प्रमुख के सामने अपनी कड़ी आपत्ति जताई। चीन के विरोध में जताए इन ऐतराज़ों को, कुछ युरोपिय देशों ने भी समर्थन दिया है। इससे महासभा के प्रमुख, चीन की शब्दरचना हटाकर नये शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हुए। यह बदलाव चीन को भी चुपचाप स्वीकारना पड़ा, ऐसी जानकारी संयुक्त राष्ट्रसंघ के सूत्रों ने साझा की।Xi-Jinping-UN-China

चीन ने इस प्रस्ताव के अंत में प्रस्तावित की हुई शब्दरचना का प्रयोग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी लगातार करती रही है। सन २०१२ में, चीन के उस समय के राष्ट्राध्यक्ष हु जिंताओ ने कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में इन शब्दों का ज़िक्र किया था। इसके बाद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से पेश हो रही अलग अलग नीतियों और प्रस्तावों में भी इसी शब्दरचना का प्रयोग किया गया है। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने, पार्टी के अधिवेशन के साथ ही, डावोस में आयोजित ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ में भी चीन की भूमिका रखते समय इन्हीं शब्दों का प्रयोग किया था। इस वजह से, यह शब्दरचना चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंड़ा का अहम अंग होने की बात समझी जा रही है।

पिछले कुछ वर्षों से चीन जागतिक महासत्ता होने के लिए जानतोड़ कोशिश कर रहा है और इसके लिए हर एक क्षेत्र में अमरीका को चुनौती देने की कोशिश भी कर रहा है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के साथ विश्‍व की प्रमुख यंत्रणाओं पर कब्ज़ा करना भी उसी का एक हिस्सा है। इन यंत्रणाओं में कम्युनिस्ट पार्टी की नीति और एजेंड़ा घुसेड़कर, विश्‍व पर वर्चस्व स्थापित करने की महत्वाकांक्षा चीन के शासक रखते हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रस्ताव के उपलक्ष्य में यह बात दोबारा सामने आयी है।

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