संयुक्त राष्ट्रसंघ की असफलता की वजह से ‘जी २०’ की अहमयित अधिक बढ़ी – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

बाली – गंभीर चुनौतियां सामने होने की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ इसका मुकाबला करने में पूरी तरह से असफल रहा है। यह बात मानने से हमें बिल्कुल संकोच नहीं करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधार करने की हम सबकी कोशिश भी नाकाम हुई। ऐसी स्थिति में, जी-२० की अहमियत अधिक बढ़ा है, ऐसे स्पष्ट शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-२० की अहमियत रेखांकित की। इंडोनेशिया के बाली में आयोजित ‘जी-२०’ परिषद में प्रधानमंत्री मोदी बोल रहे थे। इस दौरान यूक्रेन युद्ध रोकने का आवाहन करके केवल राजनीतिक चर्चा के माध्यम से ही इस समस्या का हल निकाला जा सकता है, ऐसा इशारा भारतीय प्रधानमंत्री ने फिर से दिया है। साथ ही अगली ‘जी २०’ बुद्ध और गांधी की पावन भूमि भारत में आयोजित होगी और तब हम सब मज़बूती से विश्व को शांति का संदेश देंगे, यह विश्वास प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री मोदी का इंडोनेशिया की राजधानी बाली में जोरदार स्वागत हुआ। इस परिषद के दौरान प्रधानमंत्री ने अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन, फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने तकरीबन २० नेताओं से मुलाकात की बात तय हुई है। मौजूदा स्थिति की भू-राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री का जी-२० में सहभाग ध्यान आकर्षित करता है। खास तौर पर अगले साल भारत में जी-२० का आयोजन होगा और इस वजह से भारत की भूमिका को बड़ी अहमियत मिली है। इसी वजह से प्रधानमंत्री ने जी-२० की अहमियत रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ विश्व में खड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने का नेतृत्व करने में असफल होने का आरोप लगाया।

वैश्विक स्तर पर मौसम में बदलाव, कोरोना की महामारी और यूक्रेन युद्ध की वहज से वैश्विक सप्लाई चेन बाधित हुई है। इससे पहले ही परेशान हुए जनसामान्य की स्थिति इसकी वजह से अधिक बिगडी है। ऐसी गंभीर स्वरूप की चुनौतियों के दौरान इनका सामना करके विश्व को नेतृत्व देने में संयुक्त राष्ट्र संघ असफल साबित हुआ। यह मंजूर करते हुए हमें संकोच नहीं करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधार करने की हम सबकी कोशिश भी असफल रही, ऐसे स्पष्ट शब्दों में प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्रसंघ को लक्ष्य किया। इस असफलता की वजह से जी२० की अहमियत अधिक बढ़ी और पूरा विश्व नेतृत्व के लिए जी-२० को बड़ी उम्मीद से देख रहा है, इस पर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

कोरोना की महामारी खत्म होने के बाद नई वैश्विक व्यवस्था की रचना करने का ज़िम्मा हम सब पर है। पूरे विश्व में शांति, सद्भावना और सुरक्षितता की भावना निमार्ण करने की सामुहिक ज़िम्मेदारी हमें निभानी पडेगी। अगले साल भगवान बुद्ध और गांधी की पावन भूमि भारत में आयोजित हो रही जी-२० से एकजुटता के साथ शांति का संदेश देना मुमकिन होगा, यह विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया। साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेज़ प्रगति कर रही है, इसका ज़िक्र प्रधानमंत्री ने किया। साथ ही विश्व के आर्थिक विकास के लिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा काफी ज़रूरी होने की बात भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान स्पष्ट शब्दों में रखी।

इसके अलावा, अब महसूस हो रही खाद की किल्लत का मुद्दा उठाकर आज के समय की खाद की किल्लत आनेवाले दौर में अनाज की किल्लत बनेगी, यह इशारा प्रधानमंत्री मोदी ने दिया। ऐसी स्थिति में खाद और अनाज की आपूर्ति स्थिर करने पर सबकी सहमति आवश्यक होने का बयान प्रधानमंत्री ने किया। यूक्रेन युद्ध की वजह से यह स्थिति निर्माण हुई है और यह युद्ध रोकना बड़ा आवश्यक हुआ है, इसका अहसास प्रधानमंत्री ने कराया। युद्धविराम करके राजनीतिक बातचीत के ज़रिये इस समस्या का हल निकालना पडेगा, यह कहकर प्रधानमंत्री ने इसके लिए फिर से आवाहन किया है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद शांति स्थापित करने के लिए भूतपूर्व अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने भीषण कोशिश की थी। वैसी ही ज़िम्मेदारी मौजूदा दौर के नेतृत्व की बनी है, इसका अहसास भी प्रधानमंत्री ने कराया।

इसी बीच, संयुक्त राष्ट्रसंघ की असफलता का प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया ज़िक्र बड़ा अहम साबित हो रहा है। संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधार करके सुरक्षा परिषद का विस्तार करने की माँग भारत लगातार कर रहा है। अमरीका, रशिया, ब्रिटेन, फ्रान्स और चीन यह पांचों देश सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। लेकिन, पिछले कई दशकों से सुरक्षा परिषद का विस्तार नहीं हुआ है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र एवं पांचवे स्थान की अर्थव्यवस्था बने भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त होना स्वाभाविक बात है, लेकिन, इसके लिए आवश्यक सुधार करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ उत्सुक नहीं है। इस पृष्ठभूमि पर राष्ट्र संघ की असफलता पर प्रधानमंत्री मोदी ने ध्यान आकर्षित किया और जी-२० के अध्यक्ष के तौर पर भारत अधिक प्रभावी प्रदर्शन करेगा, ऐसे संकेत प्रधानमंत्री ने दिए।

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