राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन की नीति में बडा बदलाव – तुर्की 10 लाख सिरियन निर्वासितों को मातृभूमि भेजेगा

अंकारा – पिछले कुछ वर्षों से तुर्की में शरणार्थि शिबिरों में रहनेवाले १० लाख सिरियन निर्वासितों को तुर्की जल्द ही मातृभूमि भेजेगा। राष्ट्राध्यक्ष रेसेप तय्यीप एर्दोगन ने यह घोषणा की। पश्चिमी देशों से अरबों डॉलर्स की सहायता स्वीकारके तुर्की ने सिरियन निर्वासितों को अपने देश में स्थान तो दिया, पर निर्वासितों की बढती संख्या और उनके गंभीर गुनाह ही राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के सियासी कार्यकाल के लिए घातक बने हैं। इस पृष्ठभूमि पर राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने सिरियन निर्वासितों को मातृभूमि भेजने का र्निणय लिया है, ऐसा दावा किया जाता है।

तुर्की में फिलहाल ४० लाख ८२ हजार से अधिक परदेसी निर्वासित हैं। इनमें सिरियन निर्वासितों की संख्या लगभग भीषण ३७ लाख है। तुर्की के अंतर्गत सुरक्षामंत्री इस्माईल कताक्ली ने रविवार को यह जानकारी प्रदान की।

पिछले दस वर्षों से सिरिया में जारी अराजकता के कारण तुर्की में दाखल हुए सिरियन निर्वासितों में से लगभग पांच लाख लोग सुरक्षित तौरे पर सिरिया पहुंचने का दावा राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने किया था। पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने एर्दोगन का यह दावा खारिज किया। तुर्की से केवल एक लाख, ३० हजार सिरियन निर्वासित ही मातृभूमि लौटे हैं, ऐसा संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा है। इसलिए निर्वासितों के बारे में राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन विकृत जानकारी दे रहे हैं, ऐसा सामने आया है।

इसके अलावा, तुर्की की सीमा पर शरणार्थि शिबिरों तक मर्यादित यह निर्वासित अब तुर्की के प्रमुख शहरों तक पहुंचे हैं। ऐसे निर्वासित गंभीर गुनाहों में शामिल होने की घटनाएं सामने आई हैं। सिरियन निर्वासितों का इस्तेमाल राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन अपने सियासी विरोधकों के खिलाफ कर रहे हैं ऐसी टीका की जा रही है। तो, पाकिस्तानी निर्वासित अपहरण एवं खूनखराबे जैसे गंभीर गुनाहों में शामिल होने की बात कुछ दिनों पूर्व उजागर हुई है।

निर्वासितों के इन गुनाहों के लिए राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन की भूमिका जिम्मेदार होने की टीका तुर्की में जोर पकड रही है। तुर्की में किए गए अलग-अलग सर्वेक्षणों में लगभग ७३ प्रतिशत तुर्की नागरिकों ने एर्दोगन की भूमिका पर क्रोध व्यक्त किया था। इसका लाभ एर्दोगन के सियासी विरोधक सीएचपी पक्ष के नेता केमाल किलिचदारोग्लू को हो रहा है। तो, एर्दोगन के संयुक्त सरकार के एमएचपी नामक इस घटक पक्ष के नेता डेवलेत बैशेली ने भी अनियंत्रित निर्वासित तुर्की पर कब्ज़ा पा सकते हैं, ऐसी टीका की है।

इस पृष्ठभूमि पर एर्दोगन को निर्वासितों के बारे में निर्णय में बडा बदलाव करना पड रहा है ऐसा दावा किया जा रहा है। फिर भी इस निर्णय का एर्दोगन को खास लाभ नहीं होगा। इससे उनकी घटती हुई लोकप्रियता नहीं बढेगी, ऐसा तुर्की के सियासी विश्लेषक आगाह कर रहे हैं।

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