‘ट्रिपल तलाक’ विरोधी विशेयक राज्यसभा में मंजूर

नई दिल्ली: राज्यसभा ने ‘ट्रिपल तलाक’ विरोधी विधेयक मंजूर करके ऐतिहासिक निर्णय किया है| मंगलवार के दिन राज्यसभा में इस विधेयक पर जोरदार चर्चा हुई| इस चर्चा के बाद यह विधेयक ९९ बनाम ८४ मतों से मंजूर किया गया| राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर करने पर इस विधेयक से कानून होगा| ‘ट्रिपल तलाक’ जैसी कुप्रथा इस विधेयक की वजह से खतम होगी, यह भरोसा व्यक्त किया जा रहा है| इस वजह से इस्लामधर्मी महिलाओं को सम्मान से जीने का हक प्राप्त हुआ है और यह दिन ऐतिहासिक साबित होता है, इन शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय का स्वागत किया है|

लोकसभा की मंजूरी मिलने पर ‘ट्रिपल तलाक’ विरोधी विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था| इससे पहले राज्यसभा ने यह विदेश तीन बार ठुकराया था| इस पृष्ठभूमि पर मंगलवार के दिन राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा शुरू होने से इस चर्चा की ओर पूरे देश का ध्यान लगा था| यह विधेयक पेश करते समय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद इन्होंने इस ओर सियासी नजरिए से ना देखने का निवेदन किया| ‘ट्रिपल तलाक’ यह कुप्रथा है, इस बारे में राज्यसभा में सहमति होने की बात इस विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान स्पष्ट हुई थी| लेकिन, ऐसे होते हुए भी ‘ट्रिपल तलाक’ देनेवाले को तीन वर्ष कैद की सजा देना मंजूर नही है, ऐसा कुछ विपक्षी नेताओं ने कहा था| ट्रिपल तलाक अपराधि करार देने से इस्लामधर्मियों को न्याय प्राप्त होने के बजाए वह असुरक्षित होंगी, ऐसा विपक्षी नेताओं का कहना था|

इसी लिए यह विधेयक संसद के खास समिती के सामने रखने की सिफारिश कुछ विपक्षी नेताओं ने की थी| लेकिन, इस सिफारिश का प्रस्ताव राज्यसभा ने बहुमत के साथ ठुकराया| साथ ही ट्रिपल तलाक देनेवाले को तीन वर्ष की सजा जरूरी ही है, यह कहकर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस प्रावधान की जरूरत स्पष्ट की| सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रिपल तलाक गैरकानूनी होने का निर्णय किया था| इस के बावजूद ट्रिपल तलाक के कई मामले सामने आए थे, इस ओर रविशंकर प्रसाद ने ध्यान आकर्षित किया|

इसी कारण ट्रिपल तलाक देनेवाले को कैद की सजा देने की जरूरत है| ऐसी कैद से दूर रहना है तो ट्रिपल तलाक दिया नही है, यह बात पती को स्वीकारनी होगी| इस वजह से इस्लामधर्मी महिलाओं का इस कुप्रथा से संरक्षण होगा, यह विश्‍वास कानूनमंत्री ने इस विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान व्यक्त किया| साथ ही पती को कैद होने पर उस महिला और उनके बच्चों का क्या होगा? इस सवाल पर भी रविशंकर प्रसाद ने जवाब दिया| डावरी जैसी कुप्रथा रोकने के लिए पहले ही कानून किया गया था|

यह कुप्रथा बंद करने के लिए कडे कानून का प्रावधान किया गया और डावरी लेनेवालों को और देनेवालों को कैद की सजा दी जा रही है| डावरी मांग करनेपर किसी भी धर्म के पती को कैद होती है, ऐसे में उसके बिवी का क्या होगा, इसपर विचार नही होता, इस ओर रविशंकर प्रसाद ने ध्यान आकर्षित किया| कडे कानून बनाकर कुप्रथा नष्ट करनी होती है| इसी लिए ट्रिपल तलाक अपराधिक करना जरूरी है, ऐसा कहकर रविशंकर प्रसाद ने इस प्रावधान का समर्थन किया| इसके बाद राज्यसभा में हुए वोट में ९९ बनाम ८४ ऐसे फरक से यह विधेयक मंजूर किया गया|

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय का स्वागत किया है और यह देश के लिए ऐतिहासिक दिन होने की बात कही| इस वजह से ‘ट्रिपल तलाक’ जैसी पुरानी कुप्रथा नष्ट होगी और यह महिला सबलिकरण की दिशा में बढाया अहम कदम होने का दावा प्रधानमंत्री ने किया|

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