ईरान के ‘ड्रोन प्रोग्राम’ को मिली सफलता की खाड़ी क्षेत्र में गूंज

तेहरान –  यूक्रेन पर हमला करने के लिए रशियन सेना ने ईरानी ड्रोन्स का प्रभावी इस्तेमाल किया था। ईरान में बने कामिकाज़ी ड्रोन्स यूक्रेन को भारी नुकसान पहुंचाने वाले साबित हुए। इसका यूक्रेन समेत पश्चिमी देशों ने भी संज्ञान लिया हैं। ईरान ने रशिया से यह सहयोग करके बड़ी भूल की हैं, ऐसी चेतावनी अमरिकी संसद की सभापति नैन्सी पेलोसी ने दी। इसके साथ ही ईरान के ड्रोन्स यूक्रेन युद्ध में अपनी क्षमता साबित कर रहे हैं यह कहकर ईरान के धर्मगुरू आयातुल्लाह खामेनी ने इसपर संतोष व्यक्त किया था। खाड़ी क्षेत्र में विभिन्न कारणों से तनाव बढ़ा हैं और ऐशें में ईरान ने बनाए ड्रोन्स ने यूक्रेन युद्ध में किए प्रदर्शन के कारण खाड़ी देशों में बेचैनी होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

खाड़ी क्षेत्रकामिकाझी ड्रोन्स इस्तेमाल करके रशियन सेना ने यूक्रेन के कुछ ठिकानों को नष्ट किया था। ईरान के यह ड्रोन्स यूक्रेन के लिए चिंता की बात बनी हैं। यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की ने इस विषय पर ईरान की आलोचना करके राजनीतिक स्तर पर निषेध भी दर्ज़ किया था। लेकिन, ईरान ने यह आरोप ठुकराए। ऐसें में ईरान के धर्मगुरू आयातुल्लाह खामेनी ने ईरान के ड्रोन्स अपनी क्षमता साबित करके शत्रु को ड़रा रहे हैं, ऐसें दावे किए थे। इस कारण से रशिया ईरानी ड्रोन्स का इस्तेमाल करके यूक्रेन को घुटने के बल ला रही हैं, यह भी स्पष्ट हुआ था। ड्रोन्स के मोर्चे पर ईरान ने विकसित की हुई यह क्षमता ईरान से खतरा महसूस कर रहें खाड़ी देशों को चिंता में धकेलने का मुद्दा बन रही हैं, यह दावे भी किए जा रहे हैं।

साल १९८० के दशक में इराक के साथ युद्ध शुरू होने के बाद ईरान ने ड्रोन्स पर काम करना शुरू किया था। लेकिन, पिछले दस सालों में सच्चे मायने में ईरान के इस ड्रोन प्रोग्राम को गति प्राप्त हुई। इसका श्रेय अमरीका को भी देना होगा। क्यों कि, ईरान के क्षेत्र में अमरिकी ड्रोन्स मंड़रा रहे थे और इसे मार गिराकर इस तकनीक पर ईरान ने काम शुरू किया, ऐसा दावा ईरान के विश्लेषक कर रहे हैं। साथ ही ड्रोन्स ईरान की काफी बड़ी सामरिक जरूरत बनती हैं, क्योंकि, ईरान की वायुसेना के बेड़े में प्रगत लड़ाकू विमानों की संख्या ज्यादा नहीं हैं। इस वजह से ड्रोन्स का इस्तेमाल करके अपनी हवाई सुरक्षा निश्चित करने का निर्णय ईरान को करना पड़ा, यह भी ईरान के विश्लेषक कह रहे हैं।

इसी बीच, अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ इस्रायल जैसें अपनी सुरक्षा के लिए सबसे अधिक अहमियत देनेवाले देशों के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाने वाले ईरान के पास प्रगत वायु सेना एवं नौसेना भी नहीं हैं। लेकिन, इसकी कमी दूर करने के लिए ईरान ने अलग ही रणनीति अपनाई हैं। ईरान की नौसेना के बेड़े में बड़े बड़े युद्धपोतों का समावेश नहीं हैं, इसके बजाए ईरान ने यकायक हमला करने के लिए उपयुक्त ‘स्पीड बोटस्‌‍’ को अधिक प्राथमिकता दी। यह ईरानी नौसेना की बड़ी ताकत समझी जाती हैं। इसी धर्ती पर ईरान ने हमलावर ड्रोन्स विकसित करके प्रगत लड़ाकू विमानों की कमी दूर करने की कोशिश की हैं। ईरान ने विकसित किए ड्रोन्स की यह पृष्ठभूमि होने पर विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

साथ ही ईरान के खाड़ी में मौजूद स्पर्धक देश ड्रोन्स विकसित करने में ईरान को प्राप्त हुई सफलता के कारण काफी ड़रे हैं। येमन के हौथी विद्रोही मिसाइल्स और ड्रोन हमलें करके सौदी, यूएई को परेशान कर रहे हैं और इसके पीछे ईरान के ड्रोन्स का कारनाम होने के स्पष्ट संकेत कुछ समय पहले ही मिले थे। इस वजह से ईरानी ड्रोन्स की ओर खाड़ी देश बड़ी गंभीरता से देख रहे हैं।

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