चीन से तैवान की खाडी में ‘एस-४००’ का परीक्षण

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

तैपेई/बीजिंग – पिछले कुछ दिनों में तैवान के सरहदी क्षेत्र के निकट युद्धपोत और बॉम्बर विमानों का बेडा रवान करने के बाद चीन ने तैवान की खाडी में अब प्रगत ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा का परीक्षण किया| आनेवाले समय में तैवान की खाडी में युद्ध का विस्फोट हुआ तो ‘एस-४००’ यंत्रणा अहम भूमिका निभाएगी, यह चेतावनी देने के लिए चीन ने यह परीक्षण किया है, यह दावा तैवानी और जापानी माध्यम कर रहे है| चीन के इस परीक्षण को कुछ घंटे भी नही हुए थे तभी अमरिका ने ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने मित्र देशों को ‘साऊथ चाइना सी’ में लष्करी गतिविधियों में बढोतरी करने को कहा है|

 

रशिया ने तीन वर्ष पहले चीन के साथ ३ अरब डॉलर्स के ‘एस-४००’ की खरिदी के लिए समझौता किया था| इस समझौते के तहेत इस वर्ष के जुलै महीने में रशियन हवाई सुरक्षा यंत्रणा की ‘बैठरीज्’ चीन पहुंची थी| उसके बाद पिछले चार महीनों में चीन ने इस यंत्रणा का परीक्षण किया नही था| लेकिन जापान के शीर्ष वृत्तसंस्था ने प्रसिद्ध की जानकारी के नुसार चीन के ‘पिपल्स लिबरेशन आर्मी’ ने (पीएलए) हाल ही में ‘एस-४००’ का परीक्षण किया है| यह परीक्षण कौन से लष्करी अड्डे पर हुआ, यह तपशील चीन ने प्रसिद्ध नही किए है|

लेकिन चीन की किनारों पर बने अड्डों से ‘एस-४००’ से छोडे गए मिसाइल ने प्रति सेंकड तीन किलोमीटर की रफ्तार से सफर करके तैवान की?खाडी में तय अपना लक्ष्य ध्वस्त किया| तैवान के एक समाचार पत्र ने इस संबंधी जानकारी दी है| हांग कांग स्थित एक वृत्तसंस्था ने भी इस जानकारी का समर्थन किया है| आने वाले समय में तैवान की खाडी में युद्ध का विस्फोट हुआ तो उसके लिए तैयारी के तौर पर चीन ने इस समुद्री क्षेत्र में लक्ष्य नष्ट करके अपने विरोधकों को इशारा दिया है, यह दावा तैवानी समाचार पत्र ने किया है| इस वजह से चीन के इस ‘एस ४००’ के परीक्षण की ओर गंभीरता से देखा जा रहा है|

पिछले कुछ दिनों से चीन ने तैवान की खाडी में अपनी नौसेना और वायु सेना की गतिविधियां बढाई है| पिछले हफ्तें चीन की वायु सेना के बॉम्बर, लडाकू और गश्ती विमानों ने तैवान के हवाई सरहद के नजदिकी हिस्से से गश्त की थी| कम से कम एक घंटा चीन के विमान मंडरा रहे थे| तैवान ने लडाकू विमान रवाना करने पर चीन के विमानों ने वापसी की थी| वही चीन की विध्वंसक पोतों ने भी तैवान की समुद्री क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश की थी, यह आरोप तैवान के रक्षा मंत्रालय ने किया था| अमरिका और तैवान के बीच बढ रही लष्करी सहयोग की वजह से बेचैन होने से ही चीन यह लष्करी गतिविधियां कर रहा है, यह दावा किया जा रहा है|

चीन ने किए ‘एस ४००’ के परीक्षण का समाचार प्रसिद्ध होने से कुछ घंटे हो रहे थे तभी अमरिका के रक्षा मंत्रालय (पेंटॅगॉन) ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने मित्र देशों को गुजारिश की है| ‘समुद्री यातायात की आजादी के लिए खतरा बन रहे चीन की यह गतिविधियां बर्दाश्त नही की जाएगी| चीन को यह संदेश देने के लिए और अंतरराष्ट्रीय दबाव बढाने के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ अमरिका के मित्र देश ‘साऊथ चाइना सी’ में अपने विध्वंसक पोत रवाना करे, यह दर्ख्वास्त अमरिका के ‘एशिया-पैसिफिक’ सहायक रक्षा मंत्री ‘रैंडी श्रीव्हर’ इन्होंने रखी|

इस दौरान, भारत ने भी रशिया के साथ ‘एस ४०० ट्रायम्फ’ खरिदी करने के लिए समझौता किया है| भारत और चीन में ३,४८८ किलोमीटर लंबी सरहद की हवाई सुरक्षा के लिए भारत ‘एस ४०० ट्रायम्फ’ यह लंबे दूरी के यंत्रणा खरिदी कर रहा है| आनेवाले २०२२ तक ‘एस ४०० ट्रायम्फ’ भारतीय लष्कर को प्राप्त होगी| इस पृष्ठभुमि पर तैवान की खाडी में चीन के इस परीक्षण पर भारत की भी नजर रहेगी|

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