काबुल में प्रदर्शनकारी महिलाओं पर तालिबानी आतंकियों की गोलीबारी – कतार की तालिबान पर तीखी आलोचना

दोहा/काबुल – महिलाओं को नौकरी, कारोबार एवं लड़कियों को शिक्षा का अधिकार देने से इन्कार कर रहे तालिबान के खिलाफ अफ़गानिस्तान की महिलाएं जान की परवाह किए बगैर प्रदर्शन कर रही हैं। राजधानी काबुल में इन प्रदर्शनकारियों पर तालिबानी आतंकियों ने गोलीबारी की है। इस गोलीबारी में किसी की मौत नहीं हुई, ना ही कोई घायल हुआ है। फिर भी इस गोलीबारी की गूँज सुनाई दे रही है। अपने देश में तालिबान को राजनीतिक दफ्तर शुरू करने का अवसर प्रदान करनेवाले कतार ने भी तालिबान की इस नीति की कड़ी आलोचना की है।

गोलीबारी‘तालिबान की यह नीति निराश करती है। लड़कियों को शिक्षा देने से इन्कार करके तालिबान अफ़गानिस्तान को पीछे धकेल रहा है। इस्लामी व्यवस्था कैसी होनी चाहिये, इसका सबक तालिबान कतार से सीखे’, ऐसी फटकार कतार ने लगाई है। कतार के विदेशमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी ने इसके लिए अपने देश में महिलाओं को प्रदान किए गए अधिकारों की ओर तालिबान का ध्यान भी आकर्षित किया।

कतार में इस्लामी व्यवस्था के बावजूद वहां पर महिलाओं को उच्च शिक्षा एवं सरकारी कार्यों में बढ़ावा दिया जाता है। कतार में दफ्तरी कामकाज में पुरूषों तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक होने का दावा विदेशमंत्री थानी ने किया। लेकिन, अफ़गानिस्तान में तालिबान महिलाओं-बेटियों पर अत्याचार निराश करते हैं, ऐसी फटकार कतार के विदेशमंत्री ने लगाई है।

गोलीबारीतालिबान ने सत्ता हथियाने के साथ ही नौकरी-कारोबार करनेवाली अफ़गान महिलाओं को घर में बैठने के आदेश दिए थे। इसके बाद अफ़गानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगाई। तालिबान की इस नीति के खिलाफ अफ़गान महिलाओं ने प्रदर्शन शुरू किए हैं। ‘हमारी कलम ना तोड़ें, पुस्तकें ना जलाएँ, स्कूल ना बंद करें’, ऐसे नारे प्रदर्शनकारी अफ़गान महिलाएं लगा रही हैं।

काबुल में स्कूल के सामने यह प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर तालिबान ने कार्रवाई की। इस दौरान तालिबानी आतंकियों ने महिला प्रदर्शनकारियों के हाथों से बैनर खीचकर फाड़ दिए। इसी बीच कुछ आतंकियों ने महिलाओं से सख्त बर्ताव करके गोलीबारी की। इन प्रदर्शनों और तालिबान की कार्रवाई का चित्रण करने पर आतंकियों ने पत्रकार को रायफल से पीटा।

ऐसी कार्रवाईयों की वजह से तालिबान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति प्राप्त होने की संभावना खारिज हुई है। तालिबान के समर्थक पाकिस्तान और चीन भी ऐसी कार्रवाईयों की वजह से तालिबान को स्वीकृति प्रदान करने में हिचकिचा रहे हैं। ऐसें में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान की इस चरमपंथी नीति के खिलाफ तीव्र असंतोष निर्माण होता दिख रहा हैं।

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