इराक के कुर्दों का जनमत मतलब खाड़ी के बंटवारे की तरफ रखा हुआ कदम है- हिजबुल्लाह के प्रमुख का इशारा

बैरूत: इराक के उत्तर में स्थित कुर्दों ने स्वतंत्र कुर्दिस्तान के लिए लिया हुआ जनमत मतलब, खाड़ी के टुकडें करने की ओर रखा हुआ पहला कदम है। इस जनमत की वजह से खाड़ी देशों में अंतर्गत संघर्ष भडकेगा और इन देशों के टुकड़े हो जाएँगे। इस लिए इस जनमत का सभी ने मिलकर विरोध करना चाहिए, ऐसा इशारा लेबनोन में स्थित प्रभावी गुट हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्ला ने दिया है। दौरान, कुर्दों ने लिया जनमत अवैध होने की आलोचना इराक सरकार के साथ तुर्की और ईरान जैसे पडौसी देशों ने की है।

स्वतंत्र कुर्दिस्तान

लेबनोन की एक सभा में संबोधित करते हुए हिजबुल्लाह प्रमुख ने कुर्दों के जनमत की खबर ली। कुर्दों ने लिया जनमत सिर्फ इराक और पडौसी देशों की सुरक्षा के लिए खतरनाक नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण खाड़ी देशों को कुर्दों के इस फैसले के परिणाम भुगतने पड़ेंगे, ऐसा इशारा नसरल्ला ने दिया है। उसी के साथ ही इराक में स्थित कुर्दों को भी इस फैसले के भीषण परिणामों का सामना करना पड़ेगा, इन शब्दों में नसरल्ला ने अपना गुस्सा जाहिर किया है।

‘कुर्दों का निर्णय खाड़ी देशों के बँटवारों का दरवाजा खोलने वाला साबित होगा। यह बंटवारा खाड़ी देशों को अंतर्गत संघर्ष में धकेलने वाला है और इस संघर्ष का अंत और काल मर्यादा कोई भी नहीं बता सकता’, ऐसा गंभीर इशारा हिजबुल्लाह प्रमुख ने दिया है। ‘कुर्दों ने खुद का भविष्य निश्चित करने के लिए जनमत लिया। लेकिन जनमत के इस निर्णय की वजह से खाड़ी देश पंथिय और वांशिक गुटों में बांटे जाएंगे’, ऐसा दावा नसरल्ला ने किया है।

‘आयएस’ के माध्यम से खाड़ी के टुकड़े करने की असफल कोशिश की गई है। इस लिए खाड़ी का बंटवारा करने के लिए इराक के कुर्दों के जरिए पहला कदम रखा गया है’, ऐसी घोषणा नसरल्ला ने की है। साथ ही ‘इराक और सीरिया के संघर्ष में आयएस की हार हुई है और यह संगठन विनाश की ओर चल पडा है। सीरिया में ‘आयएस’ फिर से भूभाग नहीं जीत सकता। इस वजह से इस आतंकवादी संगठन की ओर से सीरियन सेना पर हमलों की कोशिश चल रही है। लेकिन रशिया, सीरिया, ईरान और हिजबुल्लाह ने आयएस को खत्म करने का निर्णय लिया है’, इस बात को नसरल्ला ने स्पष्ट किया है।

इराकी कुर्दों ने लिए हुए जनमत पर इशारा देने के बाद नसरल्ला ने इस जनमत का आगे बढने से रोकने के लिए खाड़ी देश पहल करे, ऐसा आवाहन किया। ‘खाड़ी के टुकड़े करने के लिए, हुए जनमत का विरोध करने की जिम्मेदारी खाड़ी के हर देश की है। इस जनमत की वजह से खाड़ी में अरब, ईरानी अथवा कुर्द जैसे वशिंक भेद पैदा न हो। कुर्दों की समस्या राजनितिक चर्चा से सुलझाया जाए’, ऐसा नसरल्ला ने जाहिर किया है।

लेकिन जनमत का मुद्दा चर्चा से सुलझाने की बात कुर्दों ने स्पष्ट की है। साथ ही इराक सरकार ने इस जनमत के खिलाफ दिए हुए निर्णय हमें मान्य नहीं हैं, ऐसा कुर्दों के प्रान्तिक संसद ने कहा है। इराकी कुर्दों के इस फैसले पर नाराजगी जताकर कुर्दों के सीमा इलाके से होने वाले इंधन के व्यापार पर प्रतिबन्ध लगाए हैं। साथ ही ईरान ने इराकी लश्कर के साथ युद्धाभ्यास की घोषणा की है। इराक और ईरान के लष्कर के बीच का यह युद्धाभ्यास कुर्दिस्तान की सीमारेखा के पास होने वाला है। इस जनमत के लिए कुर्दों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, ऐसा इशारा तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप तय्यीप एर्दोगन ने दिया है।

दौरान, इराक के कुर्दों ने लिए हुए इस जनमत के धक्के ईरान और तुर्की को लग रहे हैं, ऐसा कहा जा रहा है। ईरान के पश्चिमोत्तर में स्थित कुर्दों इराक ने इराक के जनमत का समर्थन किया है।

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