तैवान के क्षेत्र की स्थिरता जापान और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए आवश्यक

जापान के रक्षा मंत्रालय के ‘व्हाईट पेपर’ का दावा

Japan-Taiwan-China--394x217टोकियो – जापान के रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार के दिन ‘वाइट पेपर’ यानी श्‍वेत पत्रिका जारी की। जापान की सरकार ने इसके ज़रिये पहली बार तैवान की सुरक्षा का मुद्दा उठाकर सीधे चीन को झटका दिया है। ‘तैवान की सुरक्षा को चुनौती दे रही चीन की लष्करी गतिविधियाँ खतरनाक हैं। तैवान के क्षेत्र में स्थिरता निर्माण करना जापान की सुरक्षा के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए आवश्‍यक है’, इन शब्दों में जापान ने तैवान की सुरक्षा की अहमियत रेखांकित की।

बीते कुछ वर्षों के दौरान जापान के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी हो रहा ‘वाइट पेपर’ रक्षा तैयारी बढ़ाने पर जोर दे रहा है। चीन अपना अधिकार जता रहे सेंकाकू द्विपों की सुरक्षा के लिए जापान ने अपनी लष्करी तैयारी बढ़ाने की नीति बीते कुछ वर्षों से अपनाई थी। इस पर चीन ने समय समय पर अपनी आपत्ति भी दर्ज़ की थी। इस वजह से जापान के इस ‘वाइट पेपर’ की ओर अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषकों की नज़रें लगीं थी।

Japan-Taiwan-China-01-300x199जापान के प्रधानमंत्री होशिहिदे सुगा ने मंजूर किया हुआ ‘वाइट पेपर’ मंगलवार के दिन जारी किया गया। इसमें अमरीका-चीन के आर्थिक और व्यापारी संघर्ष, साउथ चायना सी का तनाव और तैवान की सुरक्षा का मुद्दा जापान के रक्षा मंत्रालय ने बड़ी तीव्रता से रखा। तैवान की हवाई सीमा में चीन के लड़ाकू विमानों की घुसपैठ का ज़िक्र भी जापान के इस ‘व्हाईट पेपर’ में हैं।

‘चीन के लष्करी सामर्थ्य में हो रही बढ़ोतरी एवं अमरीका और चीन का लष्करी असंतुलन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर असर कर रहे हैं’, यह चिंता इसमें जताई गई है। साथ ही ‘साउथ चायना सी और तैवान के क्षेत्र में अमरीका और चीन की  लष्करी गतिविधियों पर बारिकी से नज़र रखना आवश्‍यक है’, यह भी इस पेपर में दर्ज़ है।

तैवान की सुरक्षा को चुनौती दे रही चीन की लष्करी गतिविधियाँ खतरनाक साबित हो सकती हैं। तैवान के क्षेत्र में स्थिरता निर्माण करना जापान की सुरक्षा के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए भी उतनी ही आवश्‍यक है’, ऐसा कहकर तैवान की सुरक्षा हमारे देश से जुड़ी होने की बात जापान ने फिर से स्पष्ट की है। जापान के उप-प्रधानमंत्री तारो आसो ने बीते हफ्ते ही यह इशारा दिया था कि, अगले दिनों में यदि तैवान पर हमला हुआ तो उससे जापान की सुरक्षा के लिए भी खतरा होगा। इस वजह से तैवान की सुरक्षा के लिए अमरीका के साथ जापान भी युद्ध में उतरेगा, यह ऐलान भी तारो आसो ने किया था।

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