दक्षिण कोरिया को भी परमाणु पनडुब्बियों की तकनीक प्राप्त करनी पड़ेगी – राष्ट्राध्यक्षपद के उम्मीदवार ली जाए-म्युंग

सेऊल/वॉशिंग्टन – उत्तर कोरिया के उभरे खतरों का प्रत्युत्तर देने के लिए दक्षिण कोरिया को भी परमाणु पनडुब्बियों की तकनीक प्राप्त करनी पड़ेगी, ऐसी आक्रामक भूमिका राष्ट्राध्यक्ष पद के उम्मीदवार ली जाए-म्युंग ने अपनाई है। एक साक्षात्कार के दौरान म्युंग ने इस मुद्दे पर बयान करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने अमरीका और ब्रिटेन के साथ किए ‘ऑकस डील’ का ज़िक्र किया। सितंबर में किए गए इस समझौते पर दक्षिण कोरिया की मौजूदा सरकार ने सावधानता की भूमिका अपनाई थी। इस वजह से गठबंधन के उम्मीदवार म्युंग ने इस पर अपनाई भूमिका ध्यान आकर्षित कर रही है।

ली जाए-म्युंग

दक्षिण कोरिया में अगले वर्ष मार्च में राष्ट्राध्यक्ष पद के चुनाव हो रहे हैं। मौजूदा राष्ट्राध्यक्ष मून जाए-इन के डेमोक्रैटिक पार्टी ने म्युंग को अपना उम्मीदवार चुना है। कोरोना की महामारी के खिलाफ आक्रामक प्रावधान एवं आर्थिक नीति के कारण म्युंग लोकप्रिय हुए हैं और कुछ सर्वेक्षणों में उन्होंने प्रतिद्वंद्वि पर बढ़त बनाने की बात सामने आयी है। इस पृष्ठभूमि पर उन्होंने परमाणु पनडुब्बियों के बारे में किया हुआ बयान अहमियत रखता है।

अक्तुबर में उत्तर कोरिया ने पनडुब्बी से मिसाइल परीक्षण किया था। इस पर दक्षिण कोरिया से आक्रामक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई थी। दक्षिण कोरिया परमाणु पनडुब्बी का निर्माण करे यह माँग भी सेना एवं सांसदों ने की थी। ली जाए-म्युंग ने यही बात दोहराकर परमाणु पनडुब्बी के लिए अमरीका से लगातार माँग करने के संकेत दिए। राजनीतिक एवं तकनीक के स्तर पर अमरीका का सहयोग पाने के लिए हम कोशिश करेंगे, यह बयान म्युंग ने साक्षात्कार के दौरान किया। इसी बीच उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ‘ऑकस डील’ का ज़िक्र किया।

ली जाए-म्युंग‘दक्षिण कोरिया को परमाणु पनडुब्बी प्राप्त करने की जरुरत है। ऑस्ट्रेलिया को प्रदान हो रही पनडुब्बियाँ हथियारों से लैस नहीं हैं, बल्कि उसे इसकी तकनीक प्रदान हो रही है। दक्षिण कोरिया ने भी यह तकनीक प्राप्त करने के लिए कोशिश करनी चाहिए’, ऐसा म्युंग ने कहा। साथ ही इन पनडुब्बियों के लिए फ्रान्स का सहयोग लेने का मुद्दा भी उन्होंने ठुकराया। इस दौरान म्युंग ने अमरीका और चीन के संघर्ष का मुद्दा भी उठाया। दक्षिण कोरिया ने इस संघर्ष पर धुमिल नीति अपनाने की आवश्‍यकता नहीं है बल्कि, इन देशों ने कोरिया संबंधी नीति स्पष्ट करने की आवश्‍यकता है, यह भूमिका म्युंग ने तीव्रता से रखी।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी हरकतों का प्रत्युत्तर देने के लिए सितंबर में अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिय ने व्यापक रक्षा सहयोग के लिए समझौता किया था। ‘ऑकस डील’ नामक इस समझौते के अनुसार अमरीका और ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया को आठ परमाणु पनडुब्बियों की आपूर्ति करेंगे। इसके अलावा लंबी दूरी के मिसाइल, सायबर तकनीक, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में एक-दूसरे से सहयोग करने पर भी सहमति हुई है।

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