चीन और ईरान ने किए ‘स्ट्रैटेजिक डील’ पर हस्ताक्षर

 

तेहरान/बीजिंग – चीन और ईरान ने लंबे २५ वर्ष के रणनीतिक सहयोग से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के अनुसार ईरान के ईंधन क्षेत्र समेत प्रमुख क्षेत्रों में चीन लगभग ४०० अरब डॉलर्स का निवेश करेगा। इस समझौते में लष्करी, अनुसंधान और गोपनीय जानकारी के आदान-प्रदान से संबंधित सहयोग का समावेश है। चीन के बाद रशिया के साथ भी इस तरह का समझौता करने के लिए ईरान ने अपनी गतिविधियाँ शुरू की हैं, ऐसी जानकारी ईरान के वरिष्ठ नेता मोज्तबा ज़ोनोर ने प्रदान की। इस समझौते पर इस्रायल के पूर्व गुप्तचर प्रमुख अमोस यादलिन ने चिंता जताई है।

‘स्ट्रैटेजिक डील’चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने हाल ही में ईरान का दौरा किया और इस दौरे में उन्होंने ईरान के राष्ट्राध्यक्ष हसन रोहानी, विदेशमंत्री जावेद ज़रिफ और विशेषदूत अली लारिजानी से मुलाकात की। इसके बाद शनिवार के दिन आयोजित कार्यक्रम में लंबे २५ वर्ष रणनीतिक सहयोग से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर होने की जानकारी ईरान के माध्यमों ने प्रदान की। ‘कॉम्प्रिहेन्सिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ नामक इस समझौते में र्इंधन के साथ खनिज, कृषि, यातायात, पर्यटन जैसे क्षेत्रों के सहयोग का समावेश है। इस समझौते के अनुसार ईरान में चीन ४०० अरब डॉलर्स निवेश करेगा और इसके बदले में ईरान चीन को र्इंधन की आपूर्ति करेगा।

‘स्ट्रैटेजिक डील’

‘दोनों देशों के संबंध अब रणनीतिक सहयोग के स्तर पर जा पहुँचे हैं और चीन को ईरान के साथ संबंध अधिक मज़बूत करने हैं। वर्तमान स्थिति के अनुसार हमारा ईरान के साथ संबंधों में बदलाव नहीं होगा बल्कि वे बरकरार रहेंगे। ईरान अन्य देशों के संबंधों का विचार स्वतंत्र तौर पर करता है और अन्य देशों की तरह एक फोनकॉल पर अपनी भूमिका में बदलाव नहीं करता’, इन शब्दों में चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने ईरान के साथ किए समझौते का समर्थन किया।

चीन के साथ हुआ समझौता अमरीका ने लगाए प्रतिबंधों का प्रभाव खत्म करने का बड़ा अहम मार्ग है, ऐसी प्रतिक्रिया ईरान की ‘नैशनल सिक्युरिटी ऐण्ड फॉरेन पॉलिसी कमिटी’ के प्रमुख मोज्तबा ज़ोनोर ने प्रदान की। ऐसे में ईरान के ‘सुप्रीम नैशनल सिक्युरिटी कौन्सिल’ के सचिव अली शामखानी ने चीन के साथ किया समझौता अमरीका को खत्म करने की प्रक्रिया को गति प्रदान करनेवाला है, यह इशारा दिया। यह समझौता ईरान की ‘एक्टिव रेजिस्टन्स पॉलिसी’ का हिस्सा होने की बात भी उन्होंने कही है।‘स्ट्रैटेजिक डील’

चीन और ईरान के रणनीतिक सहयोग पर इस्रायल ने तीव्र चिंता व्यक्त की है। ‘चीन-ईरान समझौते में संयुक्त लष्करी युद्धाभ्यास, अनुसंधान और विकास के साथ ही गोपनीय जानकारी के आदान-प्रदान का भी समावेश है। एक ओर चीन ईरान के परमाणु बम का विरोध करता है, तो दूसरी ओर परमाणु बम के निर्माण को रोकने के लिए सहायता नहीं करता। चीन अमरीका को ईरान पर दबाव बढाने से रोके, ईरान यह उम्मीद करता है। ईरान को राजनीतिक स्तर पर सुरक्षा की उम्मीद है। अमरीका का बायडेन प्रशासन ट्रम्प प्रशासन की तरह नहीं है, इसका अहसास चीन रखता है। इसी वजह से चीन अधिकाधिक आक्रामक हो सकता है’, ऐसा इशारा इस्रायल के पूर्व गुप्तचर प्रमुख अमोस यादलिन ने दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.