सीरिया-इराक में आज भी ‘आइएस’ के सात हज़ार आतंकी छिपे हैं – संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्लेषकों की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र – पिछले कुछ सालों में आतंकी संगठन ‘आइएस’ के चार से पांच सरगनों को मार गिराया गया है। ‘आइएस’ के हाथों से सीरिया-इराक की बागड़ोर छुटी हैं। फिर भी यह संगठन आज भी उतनी ही विध्वंसक हरकतें कर सकती हैं। आइएस के कम से कम पांच से सात हजार आतंकी सीरिया-इराक में छिपे हैं। अफ़गानिस्तान में ‘आइएस’ से सबसे बड़े हमले होने का खतरा है, ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्लेषकों ने दी है। अमरीका ‘आइएस’ के इस खतरे को रेखांकित करके सीरिया में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ाने की तैयारी में लगी हैं। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र संघ की यह रपट सामने आ रही हैं।

वर्ष २०१४ में इराक में बंद रहे अल कायदा के आतंकवादियों ने ‘आइएस’ को खड़ा किया था। इसके अगले तीन सालों में २०१७ तक सीरिया और इराक में क्रूरता से हत्याकांड़ किया गया था। सीरिया-इराक के अल्पसंख्यांक एवं महिला और बच्चीयों पर काफी अत्याचार करके आइएस के आतंकियों ने युवा और बुढ़ों की हत्या कर दी थी। वर्ष २०१८ में अमरीका और मित्र देशों की सैन्य कार्रवाई में आइएस का पराभव होने का ऐलान किया गया। इसके कुछ आतंकवादियों ने शरणार्थियों में छिपकर यूरोप में घुसपैठ करने की जानकारी सामने आयी थी।

लेकिन, सीरिया-इराक में ‘आइएस का प्रभाव अभी तक खत्म नहीं हो सका है। इस संगठन के आतंकी आज भी आम नागरिकों की तरह स्थानीय लोगों में छिपे हैं। ऐसे कम से कम पांच से सात हजार आतंकवादी सीरिया-इराक में होने का दावा संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्लेषकों ने किया है। यह सभी आतंकवादी खुले घुम रहे हैं और उन्हें गिरफ्त में लेना कठिन होने की कबुली इन विश्लेषकों ने दी है। ऐसे में पिछले कुछ सालों से सीरिया के ईशान्य ओर के हिस्से में आइएस के कम से कम ११ हजार आतंकवादी कुर्दों के जेल में बंद होने की ओर भी राष्ट्र संघ के विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया।

इनमें ३,५०० इराकी और २००० लोग ७० देशों के नागरिक हैं। ऐसे में सीरिया की ‘आइएस’ का प्रभाव इतनी जल्द खत्म नहीं होगा। आज भी सीरिया के ईशान्य इलाके में ५५ हजार लोग ‘आइएस’ से जुड़े होने का दावा विश्लेषकों ने किया है। पिछले कुछ सालों से सीरिया-इराक में आइएस के आतंकवादी और समर्थकों को अनदेखा किया गया था। लेकिन, हाल ही के कुछ हफ्तों से सीरिया में आइएस की गतिविधियां तीव्र हुई हैं और इसके बाद इस आतंकी संगठन का खतरा अधिक बढ़ रहा है, ऐसा दावा राष्ट्र संघ के विश्लेषक कर रहे हैं।

सीरिया-इराक की तरह अफ़ गानिस्तान में भी ‘आइएस’ के आतंकियों ने अपने पैर जमाए होने का आरोप राष्ट्र संघ के विश्लेषकों ने लगाया है। अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापीत होने के बाद आइएस के आतंकवादियों ने इस देश में अपना सिक्का जमाना शुरू किया। अब अफ़गानिस्तान में आइएस के चार से छह हज़ार आतंकी मौजूद होने का दावा किया जा रहा है। तालिबान ने ज़रूरत के समय पर कार्रवाई न करने से इस आतंकी संगठन से अफ़गानिस्तान की सुरक्षा के लिए बना खतरा बढ़ा है, ऐसा दावा राष्ट्र संघ के विश्लेषकों ने किया।

इसी बीच, सीरिया में आइएस का खतरा बढ़ रहा हैं, यह कहकर अमरीका ने सीरिया में अपनी सैन्य तैनाती एवं हमले बढ़ाने का ऐलान किया था। ऐसे में अब राष्ट्र संघ के विश्लेषकों ने अफ़गानिस्तान में मौजूद आइएस के खतरे का ज़िक्र करने से अमरीका को अफ़गानिस्तान में सैन्यकी हस्तक्षेप करने का अवसर प्राप्त होता दिख रहा है।

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