रोहिंग्या शरणार्थीयों से देश की सुरक्षा को गंभीर ख़तरा- केंद्र सरकार

नई दिल्ली: म्यानमार से भारत में अवैध रूप से दाखिल हुए रोहिंग्या शरणार्थियों से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरे की संभावना है, ऐसा केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किए प्रतिज्ञापत्र मे कहा है। रोहिंग्या का पाकिस्तान की कुविख्यात गुप्तचर संघटना आयएसआय एवं आईएस आतंकी संगठन से संधान होने की बात और रोहिंग्या शरणार्थी जुर्म में रंगे हैं ऐसे अभिलेख इस प्रतिज्ञापत्र मे किये गये है। अब सर्वोच्च न्यायालय इस पर निर्णय देगा ऐसा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है।

रोहिंग्या शरणार्थि

मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद शाकिर इन भारत में आश्रय लेने वाले रोहिंग्याओ ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। म्यानमार में अपनी जान को खतरा होने की वजह से हम भारत में आए हैं और भारत से हमें बाहर निकालना यह संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों का उल्लंघन होगा, ऐसा याचिकाकर्ताओं का दावा है। पर संयुक्त राष्ट्रसंघ ने दिए प्रमाण पत्र प्राप्त केवल १४ हजार रोहिंग्या शरणार्थी भारत में वैधरूप से दाखिल हुए हैं। किसी भी वैध प्रमाण पत्र के सिवाय भारत में दाखिल हुए रोहिंग्या की संख्या ४० हजार से अधिक होने की जानकारी है। इन रोहिंग्याओ को देश से बाहर खदेड़ ने की प्रक्रिया का केंद्र सरकार ने समर्थन किया है। इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने सोमवार के दिन सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिज्ञा पत्र दाखिल किया है।

इस १६ पन्नों के प्रतिज्ञा पत्र में अवैध रूप से देश में घुसपैठ करनेवाले रोहिंग्याओ से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा है, ऐसा सरकार ने कहा है। देश का नागरिकत्व ना होने वाले घुसपैठ को अवैध रूप से रहने की अनुमति नहीं दे सकते एवं यह घुसपैठ देश मे वास्तव्य का अधिकार नहीं मांग सकते, यह भूमिका केंद्र सरकार ने इस प्रतिज्ञापत्र में व्यक्त की है। तथा अवैध रूप से भारत में घुसे रोहिंग्याओ मे कई लोगों के संबंध देश के विरोध में षडयंत्र करने वाले पाकिस्तान के आयएसआय इस गुप्तचर संगठन से है तथा कई रोहिंग्या आयएस इस अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन से संबंध रखे हुए हैं, यह जानकारी सरकारी प्रतिज्ञा पत्र के द्वारा की है।

तथा अवैध रूप से घुसपैठ करने वाले रोहिंग्याओ ने उत्तर-पूर्व राज्य में वास्तव्य करनेवाले बौद्ध धर्मीय जनता के विरोध में हिंसाचार करने की चिंता सरकार ने व्यक्त की है। साथ ही मानवी तस्करी तथा अन्य अपराधी मामलों में रोहिंग्या शामिल होने की बात स्पष्ट है, ऐसा प्रतिज्ञापत्र में सरकार ने कहा है। अब इस पर सर्वोच्च न्यायालय निर्णय लेगा ऐसा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है। पिछले कई दिनों से रोहिंग्या शरणार्थीयों को भारत में आश्रय मिले यह आग्रह ही मांग देश के कई बुद्धिमान तथा राजकीय नेता कर रहे हैं। पर अवैध रूप से देश में घुसनेवाले रोहिंग्याओं को बाहर खदेडा जाए, यह मांग विश्लेषक कर रहे हैं।

दौरान, भारत में रोहिंग्या को खदेड ने की प्रक्रिया शुरू करने के बाद संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानव अधिकार संगठन ने भारत पर टीका शुरू की है। यह टीका बेसबब होकर इन संगठनों ने भारत के विरोध में अप्रचार न करें, ऐसी बात केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा है। अपनी जनता को सुरक्षित रखना यह भारत सरकार का प्रमुख कर्तव्य होकर, सरकार यह कर्तव्य पूर्ण कर रही है यह कहते रिजिजू ने मानवाधिकार संगठनों की टीका निरर्थक होने की बात कही है।

 रोहिंग्या के प्रशिक्षण के लिए आया आतंकवादी गिरफ्तार

नई दिल्ली: भारत में अवैध रूप से रोहिंग्या शरणार्थी को आतंकवाद का प्रशिक्षण देने के लिए आए ‘अल कायदा’ आतंकवादी संगठन के आतंकियों को सोमवार के दिन दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। बांग्लादेश में इस आतंकवादी ने अनेक रोहिंग्या समुदाय के लोगों को आतंकवादी बनाने की जानकारी इस निमित्त से सामने आई है।

‘सुबान हक’ नामक इस आतंकी को दिल्ली के शकरपुर भाग से गिरफ्तार किया गया है। ‘सुबान हक’ यह बांग्लादेशी वंश का ब्रिटिश नागरिक होकर ४ वर्ष पहले वह अल-कायदा से संपर्क में आया था। म्यानमार से बांग्लादेश में आने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों को आतंकवादी बनाने की जिम्मेदारी सुबान हक पर थी। बांग्लादेश मे हक ने अनेक रोहिंग्याओ को आतंकवाद में धकेला था।

भारत में भी वह रोहिंग्या शरणार्थियों में कुछ लोगों को ढूंढकर आतंकवादी प्रशिक्षण देने के लिए आया था। मिजोरम एवं मणिपुर इन उत्तर पूर्व राज्यों में आतंकी प्रशिक्षण केंद्र स्थापन करने की उसकी योजना थी, यह जानकारी दिल्ली के स्पेशल सेल उपायुक्त पी.कुशवाह ने दी है।

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