भारत-चीन सीमाविवाद पर के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के बयान से खलबली

नई दिल्ली/ वॉशिंग्टन  – ”भारत और चीन के बीच ‘बड़ा विवाद’ भड़क उठा है। मैंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से बात की, उनका ‘मुड’ बिल्कुल अच्छा नहीं है, चीन भी इसको लेकर असन्तुष्ट है”, ऐसा बयान करके अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने खलबली मचा दी। ”भारत और चीन दोनों भी १.४ अरब आबादी होनेवाले और सैनिकी दृष्टि से ताकतवर देश हैं। उनके बीच का विवाद सुलझाने के लिए यदि मेरी सहायता चाहिए, तो मैं मध्यस्थता करने के लिए तैयार हूँ” ऐसा कहकर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने पत्रकार परिषद में पुन: एक बार भारत-चीन सीमाविवाद का हल निकालने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया। भारत-चीन सीमाविवाद को सुलझाने के लिए किसी तीसरे मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं है, ऐसा दोनों देशों ने पहले ही स्पष्ट किया है। साथ ही, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने किये विधान की पृष्ठभूमि पर, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की अप्रैल महीने के बाद बातचीत नहीं हुई है, ऐसा दावा वरिष्ठ सरकारी अदसरों के हवाले से माध्यमों ने किया है। भारत के सामरिक विश्लेषक और पूर्व लष्करी अधिकारी, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के बयान के पीछे सामरिक संदेश होने के दावे कर रहे हैं।

एक पत्रकार परिषद को संबोधित करते समय राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने, भारत और चीन सीमाविवाद पर चिंता ज़ाहिर करके, इससे ‘बड़ा संघर्ष’ भड़केगा, ऐसा कहा है। एक पत्रकार ने पूछे सवाल का ट्रम्प जवाब दे रहे थे। उनके इस बयान के पीछे अमरीका के दाँवपेंच और व्यूहरचनात्मक चाल होने का दावा भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी तथा सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं। चिनी लष्कर ने लद्दाख की सीमा में घुसपैंठ करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के बीच बातचीत हुई होने की जानकारी भारत ने ज़ाहिर नहीं की है। इस कारण, ट्रम्प ने भारतीय प्रधानमंत्री के ‘मुड’ के बारे में किया दावा, भारत को मुश्किल में डालनेवाला है, ऐसा कुछ विश्लेषकों का कहना है। लेकिन सीमाविवाद चरमसीमा तक पहुँचा होते समय ट्रम्प ने किये ये बयान भारत के लिए अनुकूल साबित होनेवाले है, ऐसा कुछ पूर्व लष्करी अधिकारी बता रहे हैं। चीन और भारत के सैनिक आँख से आँख मिलाकर खड़े हुए होते समय ट्रम्प ने, प्रधानमंत्री मोदी का मुड ठीक नहीं है, यह बताकर, ख़ौला हुआ भारत इस विवाद से पीछे हटनेवाला नहीं है, ऐसा संदेश चीन को दिया है। इस कारण, संघर्ष भड़कने की गहरी संभावना होकर, लष्करी दृष्टि से ताकतवर देशों के बीच का यह संघर्ष भयावह होगा, ऐसा जताकर ट्रम्प ने अमरीका की मध्यस्थता का प्रस्ताव फिर एक बार सामने रखा। इसके पीछे भारत और अमरीका की सुनियोजित चाल होगी, ऐसा कुछ विश्लेषकों का कहना है।

भारत और चीन में भड़का हुआ यह सीमाविवाद हमारे लिए अनुकूल है। चीन अमरीका से टक्कर लेने की तैयारी में होते समय, ‘पहले भारत का मुक़ाबला करो, फिर अमरीका का मुक़ाबला करो, ऐसा संदेश राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प चीन को दे रहे हैं, ऐसे दावे किये जा रहे हैं। वहीं, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प बहुत सोचसमझकर बात करनेवाले राजनयिक नहीं हैं, दिल में जो आये, वह बोलते जाते हैं। इसलिए उनके बयान में बहुत बड़ा अर्थ ढूँढ़ने की ज़रूरत नहीं है, ऐसा दावा भी कुछ पत्रकार कर रहे हैं। लेकिन यह दावा कुछ लोगों ने ठुकराया है। ट्रम्प के बयान हालाँकि उपरी तौर पर उनकी हमेशा की शैली के लग रहे हैं, फिर भी उसके पीछे कुछ निश्चित योजना है। इसी कारण उसे नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता। चीन जैसा देश तो उसे बिल्कुल भी नज़रअन्दाज़ नहीं करेगा। इस कारण चीन पर का दबाव अधिक ही बढ़ा है, ऐसा दावा भारत के एक पूर्व लष्करी अधिकारी ने किया है।

भारत और चीन की बीच का सीमाविवाद वाक़ई गंभीर बना होकर, लद्दाख में परिस्थिति पहले कभी भी नहीं थी इतनी चिन्ताजनक बनी है। इसी कारण, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने इस संदर्भ में ज़ाहिर की चिन्ता बेबुनियाद नहीं है, ऐसा विश्लेषकों के एक गुट का कहना है। दोनों देशों के हज़ारों सैनिक आमनेसामने खड़े हुए होते समय, अमरीका इसे अनदेखा नहीं कर सकती। उसी समय, उभरतीं सत्ताएँ होनेवाले भारत और चीन के बीच का विवाद अमरीका के लिए अनुकूल साबित होनेवाली बात है और अमरीका इस भड़क रहे विवाद में तेल डालने का काम कर रही है। भारत और चीन को इस बात पर ग़ौर करना चाहिए, इसका एहसास कुछ विश्लेषकों ने करा दिया है।

चीन ने हज़ारों सैनिक भारत की सीमा में घुसाये होते समय, भारत जितना हो सकें उतना सब्र दिखाकर परिस्थिति हँडल कर रहा है। लेकिन आनेवाले समय में चीन यदि भारत के सब्र की परीक्षा लेता है, तो उसमें चीन के ही अधिक हानि होगी। क्योंकि कोरोनावायरस की महामारी, ‘साऊथ चायना सी’ में विस्तारवादी नीति, हाँगकाँग-तैवान मामला इन सबके कारण चीन सारी दुनिया में बदनाम हुआ है। ऐसी स्थिति में भारत के साथ चीन का संघर्ष शुरू हुआ, तो अमरीका के साथ आंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत के पक्ष में खड़ा रहेगा, यह स्पष्ट रूप में दिख रहा है। इसीलिए भारत सरकार हालाँकि चीन के विरोध में आक्रमक भाषा का प्रयोग नहीं कर रही है, फिर भी भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी, सामरिक विश्लेषक चीन को इसका एहसार करा देने के प्रयास कर रहे हैं। वहीं, पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान पर जल्द ही भारत कब्ज़ा करेगा, ऐसी चर्चा शुरू हुई होते समय, लद्दाख में सेना की घुसपैंठ कराके चीन ने सियाचीन पर का अपना कब्ज़ा बचाने की जानतोड़ कोशिश शुरू की होने का दावा भारत के एक पूर्व लष्करी अधिकारी ने किया है। इस कारण, चीन की लद्दाख में की जानेवाली घुसपैंठ आक्रमक न होकर बचावात्मक है। थोड़े ही दिनों में भारत को सामरिक संदेश देकर, डोकलाम की तरह ही चीन जल्द ही लद्दाख से पीछे हटे बग़ैर नहीं रहेगा, ऐसा ये पूर्व अधिकारी आत्मविश्वास के साथ बता रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.