जागतिक शक्ति के रूप में उदयित होते समय देश के सामने सुरक्षाविषयक चुनौतियाँ बढ़ीं हैं – लष्करप्रमुख जनरल नरवणे की चेतावनी

नई दिल्ली -‘एशिया में उदयित हो रही जागतिक शक्ति के रूप में भारत की ओर देखा जा रहा है। ऐसे समय में, देश के सामने सुरक्षाविषयक चुनौतियों में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है। इन चुनौतियों का मुक़ाबला करते समय, भारत शस्त्रास्त्र तथा रक्षासामग्री के क्षेत्र में अन्य देशों पर निर्भर नहीं हो सकता। इसी कारण देश में शस्त्रास्त्र एवं रक्षासामग्री के निर्माण संके उद्योग का विकास बहुत ही आवश्यक साबित होता है, ऐसा लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकूंद नरवणे ने कहा है।

‘सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेन्स मॅन्युफॅक्चरर्स’ इस, देशांतर्गत शस्त्रास्त्र एवं रक्षासामग्री के निर्माण करनेवालीं कंपनियों ने आयोजित किये एक परिसंवाद में लष्करप्रमुख बात कर रहे थे। ‘आर्मी-इंडस्ट्री पार्टनरशिप’ इस विषय पर बात करते समय लष्करप्रमुख ने यह एहसास करा दिया कि देशांतर्गत शस्त्रास्त्रों के निर्माण को और इस क्षेत्र में संशोधन को बहुत बड़ी अहमियत प्राप्त हुई है। नये दौर में भारत की सुरक्षा को बहुत बड़ीं चुनौतियाँ मिल रही हैं। ऐसे दौर में भारत शस्त्रास्त्र तथा रक्षासामग्री के मोरचों पर अन्य देशों पर निर्भर नहीं रह सकता। देश के दुश्मनों ने रक्षासामग्री और शस्त्रास्त्रों का निर्माण उनके देश में ही शुरू किया है। इस मोरचे पर वे कुछ मात्रा में भारत से आगे चल रहे हैं, ऐसा लष्करप्रमुख ने जताया।

इसी कारण, रक्षा के मोरचे पर देश ने आत्मनिर्भर बनना अत्यावश्यक है। संघर्ष के दौर में यह बात बहुत ही अहम साबित होगी, ऐसा संदेश लष्करप्रमुख जनरल नरवणे ने दिया। देश के लष्कर को आतंकवाद तथा नक्षलवाद के मोरचे पर उलझाये रखने की साज़िश की जा रही है, इसपर भी लष्करप्रमुख ने ग़ौर फ़रमाया होकर, यह अपारंपरिक युद्ध का भाग बनता है, ठरतो, ऐसा लष्करप्रमुख ने स्पष्ट किया।

इसी बीच, रक्षासामग्री और शस्त्रास्त्रों के मोरचों पर देश आत्मनिर्भर बनें, इसके लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं, ऐसी घोषणा कुछ ही दिन पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने की थी। उसके अनुसार कुछ महत्त्वपूर्ण साधन और उपकरण इनका देशांतर्गत निर्माण किया जायेगा और उसके लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जायेगा, ऐसा रक्षामंत्री ने स्पष्ट किया था। इतना ही नहीं, बल्कि देश में बने शस्त्रास्त्र एवं रक्षासामग्री की निर्यात के लिए प्रयास किये जायेंगे और यह प्रक्रिया शुरू भी हुई है, ऐसा रक्षामंत्री ने कहा था। गुरुवार को संपन्न हुए परिसंवाद में भी लष्करप्रमुख जनरल नरवणे ने रक्षाविषयक तंत्रज्ञान का देशांतर्गत विकास करने पर ज़ोर दिया जा रहा है, ऐसा उन्होंने स्पष्ट किया। फिलहाल लष्कर के लिए आवश्यक होनेवाली सामग्री और शस्त्रास्त्रे इनकी डेढ़ लाख करोड़ रुपये मूल्य की माँग में से तक़रीबन ७५ प्रतिशत इतनी माँग, ‘मेक इन इंडिया’ के तहत पूरी की जा रही है, ऐसा दावा लष्करप्रमुख ने किया।

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