भविष्य के युद्धों के लिए ‘डिसरप्टिव टेक्नॉलॉजीज्‌’ पर जोर देने की ज़रूरत – भारत के सेनाप्रमुख जनरल एम.एम.नरवणे

नई दिल्ली – प्रगत और अत्याधुनिक तकनीक का तेज़ गति से हो रहे उदय की वजह से युद्ध की तकनीक में काफी बड़ा बदलाव हो रहा है और भारतीय सेना को ‘डिसरप्टिव टेक्नॉलॉजीज्‌’ पर अधिक जोर देने की आवश्‍यकता होने का बयान जनरल एम.एम.नरवणे ने किया है। लद्दाख में भारत और चीन की सेनाएं एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं और प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा के मुद्दे पर जारी राजनीतिक चर्चा नाकाम होने पर भारत लष्करी विकल्प भी अपना सकता है, यह इशारा रक्षाबल प्रमुख जनरल बिपीन रावत ने चीन को हाल ही में दिया था। इस पृष्ठभूमि पर ‘डिसरप्टिव टेक्नॉलॉजीज्‌’ के मुद्दे पर सेनाप्रमुख ने रखी भूमिका ध्यान आकर्षित करती है।

भविष्य के युद्धों के लिए ‘डिसरप्टिव टेक्नॉलॉजीज्‌’ पर जोर देने की ज़रूरत - भारत के सेनाप्रमुख जनरल एम.एम.नरवणेमध्य प्रदेश के महू स्थित ‘आर्मी वॉर कॉलेज’ में ‘इम्पैक्ट ऑफ डिसरप्टिव टेक्नॉलॉजीज्‌ ऑन अवर फायटिंग फिलॉसॉफी इन फ्युचर कॉन्फ्लिक्टस्‌’ विषय पर इस चर्चा सत्र का आयोजन किया गया था। इस दौरान सेनाप्रमुख नरवणे ने युद्ध करने पर और युद्ध के दौरान ‘डिसरप्टिव टेक्नॉलॉजीज्‌’ के परिणामों के मुद्दे पर मार्गदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने ‘डिसरप्टिव टेक्नॉलॉजीज्‌’ के मुद्दे पर अधिक जोर देने की आवश्‍यकता स्पष्ट की। ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स’ (एआय), ‘रोबोटिक्स’, ‘सायबर वॉरफेअर’, ‘5-जी’, ‘क्लाउड कम्प्युटिंग’, ‘क्वांटम कंप्युटिंग’, ‘स्पेस टेक्नॉलॉजी’ जैसी तकनीकों का ‘डिसरप्टिव टेक्नॉलॉजीज्‌’ में समावेश होता है।

वर्तमान में रक्षाबलों को प्रगत करने के लिए अपनाई गई मुहीम मौजूदा हथियार यंत्रणा और प्लैटफॉर्म के आधुनिकीकरण करने पर केंद्रीत है। लेकिन, अब भारतीय सेना के लिए दोहरी उपयुक्त होनेवाली प्रगत तकनीक पर आवश्‍यक जोर देना होगा, यह बयान सेनाप्रमुख नरवणे ने किया। सेना ने ड्रोन, लेज़र, रोबोट, आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स जैसी विभिन्न तकनीकों का अध्ययन करना शुरू किया है, इस ओर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। भारतीय रक्षाबलों ने उपलब्ध तकनीक एवं प्राप्त अन्य सहयोग से विकसित या खरीद करना संभव होगा ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करने पर भी जोर देने की आवश्‍यकता होने की बात सेनाप्रमुख ने कही।

मौ्जूदा युद्ध तकनीक में काफी बदलाव आए हैं। वर्तमान के समय में तकनीक की त्सुनामी उठी है, इससे भविष्य के युद्धों के लिए सेना ने स्वयं को बदलना होगा, यह बात सेना ने जारी किए निवेदन में स्पष्ट की गई है।

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