भारतीय सेनाप्रमुख का दक्षिण कोरिया दौरा

सेऊल – भारत के सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे तीन दिन दक्षिण कोरिया का दौरा कर रहे हैं। इनके इस दौरें की शुरूआत हुई है और इससे पहले उन्होंने म्यानमार, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात और सौदी अरब की यात्रा की थी। इसके बाद भारतीय सेनाप्रमुख ने दक्षिण कोरिया का दौरान करना ध्यान आकर्षित कर रहा है। उनकी इस यात्रा के दौरान भारत और दक्षिण कोरिया का लष्करी सहयोग अधिक व्यापक होगा, ऐसा विश्‍वास व्यक्त किया जा रहा है। इससे पहले रक्षा सामान के निर्माण क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए दक्षिण कोरिया की कंपनियों ने रूचि दिखाई थी।

india-south-koreaदक्षिण कोरिया के रक्षामंत्री एवं सेनाप्रमुख से भारतीय सेनाप्रमुख जनरल नरवणे की बातचीत होगी। साथ ही दक्षिण कोरिया के सेनाप्रमुख के साथ जनरल नरवणे वहाँ के अहम लष्करी स्थानों का दौरा करेंगे, ऐसा समाचार है। इस वजह से दोनों देशों के रक्षा संबंधित सहयोग को गति प्राप्त होगी, यह विश्‍वास भी व्यक्त किया जा रहा है। वर्ष २०१५ में भारत और दक्षिण कोरिया के बीच विशेष भागीदारी से संबंधित समझौता किया गया था। हथियार और रक्षा सामान के संयुक्त निर्माण प्रकल्प शुरू करने की दिशा में भारत और दक्षिण कोरिया की चर्चा शुरू हुई है।

खास तौर पर नौसेना के लिए आवश्‍यक युद्धपोत और अन्य जहाज़ों के मुद्दे पर दोनों देश सहयोग करने के लिए विशेषरूप से उत्सुक हैं, ऐसी चर्चा है। ‘के ९ वज्र टी’ नामक तोप भारत और दक्षिण कोरिया की कंपनी ने संयुक्त कोशिश से निर्माण की है। भारत की ‘लार्सन ऐण्ड टुब्रो’ और कोरिया की ‘एचटीडब्ल्यू’ कंपनी ने इस तोप का निर्माण किया है। इसका इस्तेमाल भारतीय सेना के लिए किया जा रहा है। साथ ही भारत और दक्षिण कोरिया में नौसेना के लिए आवश्‍यक समुद्री सुरंग नाकाम करनेवाली ‘माईनस्वीपर’ विकसित करने के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। इसके लिए संयुक्त प्रकल्प स्थापित करने को भी दोनों देशों ने मंजूरी दी थी। लेकिन, अब तक इस प्रकल्प को गति प्राप्त नहीं हो सकी है।

साथ ही रक्षा सामान के निर्माण क्षेत्र में कार्यरत दक्षिण कोरिया की कंपनी भारत को विमान विरोधी मिसाईल यंत्रणा प्रदान करने के लिए उत्सुक होने की बात भी सामने आयी है। सेनाप्रमुख जनरल नरवणे की इस यात्रा में ऐसे सभी कारोबारों को गति प्राप्त हो सकती है। भारत के प्रभावक्षेत्र में चीन घुसपैठ करके हरकतें करने की कोशिशों में जुटा है और ऐसे में भारत ने अपनी ‘ऐक्ट ईस्ट’ नीति यानी पूर्वी देशों के साथ सहयोग मज़बूत करने के लिए तेज़ी से कदम उठाने लगा है। इसमें आर्थिक नज़रिये से सक्षम एवं प्रगत तकनीक प्राप्त करनेवाले दक्षिण कोरिया के साथ भारत के संबंधों की बड़ी अहमियत है।

बीते वर्ष भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दक्षिण कोरिया का दौरा किया था। दक्षिण कोरियन कंपनियां भारत के रक्षा क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए पहल करें, ऐसा आवाहन भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उस समय किया था। सेनाप्रमुख जनरल नरवणे के दक्षिण कोरिया दौरे की वजह से दोनों देशों के इस सहयोग का नया चरण शुरू होगा, ऐसे संकेत दिखाई दे रहे हैं। चीन के आर्थिक और लष्करी ताकत के दबाव में रहनेवाले दक्षिण कोरिया को भी भारत के साथ सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की ज़रूरत महसूस हो रही है, ऐसे संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.