रशिया प्रायोजित ‘सीएसटीओ’ भारत को भागीदार के तौर पर स्वीकारने के लिए तैयार – रशिया के वरिष्ठ अधिकारी का दावा

मास्को/नई दिल्ली – रशिया प्रायोजित ‘कलेक्टिव्ह सिक्युरिटी ट्रिटी ऑर्गनाईजेशन’ (सीएसटीओ) नामक संगठन भारत को निरीक्षक या भागीदार देश के तौर पर स्वीकारने के लिए तैयार हैं, ऐसा दावा रशियन अधिकारी ने किया हैं। ‘सीएसटीओ’ में रशिया का स्थायी प्रतिनिधित्व कर रहें एगासैंडिअन के साथ भारत में नियुक्त रशियन राजदूत डेनिस अलिपोव्ह ने इससे संबंधित बयान किए हैं। ‘सीएसटीओ’ में किसी समय सोवियत संघ का हिस्सा रहें मध्य एशियाई देशों का समावेश हैं और इन देशों में चीन का बढ़ रहा प्रभाव रशिया के लिए चिंता की बात साबित हुई हैं। इस वजह से भारत और मध्य एशियाई देशों के सहयोग के लिए रशिया पहल करती हुई इन वरिष्ठ अधिकारियों के बयान से दिख रही हैं।

‘सीएसटीओ’अमरीका और सोवियत रशिया का शीत युद्ध चरम स्तर पर पहुँचा था तभी भारत ने तटस्थ रहने की नीति अपनाकर तटस्थ देशों का संगठन गठितत किया था। लेकिन, सोवियत रशिया के बटवारे के बाद शीतयुद्ध खत्म हुआ। लेकिन, अमरीका और रशिया फिर एक बार संघर्ष के तैयारी में एक-दूसरें के सामने खड़े हुए हैं। यूक्रैन के मसले पर निर्माण हुआ तनाव यही दिखा रहा हैं। ऐसी स्थिति में भारत रशिया का साथ ना दे, यही उम्मीद अमरीका जता रही हैं। युक्रैन के मसले पर रशिया के पक्ष में खड़े रहने से चीन को इसके भयंकर परिणाम भुगतने होंगे, ऐसा इशारा अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने हाल ही में दिया था। भारत को अमरीका ने अभी इस मुद्दे पर आखरी इशारा नही दिया हैं। लेकिन, अमरीका-नाटो के खिलाफ जाकर भारत ने रशिया का साथ किया तो उसे अमरीका बर्दाश्‍त नही करेगी, ऐसें संदेश अमरीका देरही हैं।

इस पृष्ठभूमि पर रशिया के वरिष्ठ अधिकारी ने भारत को लेकर किए बयान ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। भारत में नियुक्त रशिया के नए राजदूत डेनिस अलिपोव्ह ने कुछ दिन पहले दिए साक्षात्कार के दौरान भारत और ‘सीएसटीओ’ के संबंध अधिक मज़बूत हो, यह रशिया की इच्छा होने का बयान किया था। ‘दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा देश होनेवाला भारत रशिया के लिए प्राथमिक देश हैं। मध्य एशियाई देश और ‘सीएसटीओ’ के देशों के साथ भारत का बढ़ता सहयोग गेमचेंजर साबित हो सकता हैं। ‘सीएसटीओ’ के साथ जारी संबंध अधिक मज़बूत होने पर रशिया के लिए वह संतोष की बात साबित होगी। भारत और सीएसटीओ का संपर्क पहले ही स्थापीत हुआ हैं’, इस ओर भी अलिपोव्ह ने ध्यान आकर्षित किया था।

इसके बाद ‘सीएसटीओ’ में रशिया का स्थायी प्रतिनिधित्व कर रहें मिकाएल एगासैंडिअन ने भारत इस संगठन में निरीक्षक या भागीदार के तौर पर शामिल होने के लिए कोशिश करने पर सोचा जाएगा, ऐसा कहा हैं। भारत यह अंतरराष्ट्रीय स्तर की अहम सत्ता हैं और यूरेशियन क्षेत्र में भारत के हितसंबंध होने का ज़िक्र भी उन्होंने किया था।

पिछले महीने में भारत और मध्य एशियाई देशों की वर्चुअल बैठक हुई थी। इसके बाद ‘कलेक्टिव्ह सिक्युरिटी ट्रिटीऑर्गनाईजेशन’ (सीएसटीओ) के समावेश के मुद्दे पर रशिया ने किए बयान अहमियत रखते हैं। भारत और चीन के एवं रशिया और अमरीका के संबंधों में तनाव बना होने की स्थिति में होनेवाला यह सहयोग काफी बड़ी रणनीतिक अहमियत रखता हैं। अफ़गानिस्तान पर तालिबान ने कब्ज़ा करने के बाद भारत और रशिया की सुरक्षा को भी काफी बड़ा खतरा बन सकता हैं। इसका दाखिला देकर भारत और रशिया एवं मध्य एशियाई देशों के अफ़गानिस्तान संबंधित हितसंबंध एक समान होने का दावा रशिया ने किया था।

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