चीन को ताइवान में घुसपैठ करने से रोकने के लिए ‘ऑकस’ देशों के ‘रेड फ्लैग’ युद्धाभ्यास का आयोजन

वॉशिंग्टन – ‘एफ-२२ रैप्टर्स’, ‘बी-२ बॉम्बर्स’, ‘यूरोफाइटर टायफून्स’, ‘ईए-१८ जी ग्रॉलर्स’ जैसे प्रगत लड़ाकू और बॉम्बर विमानों के अलावा हाल ही में ‘रेड फ्लैग’ युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया। अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया इन ‘ऑकस’ देशों के लड़ाकू विमान इस युद्धाभ्यास में शामिल थे। यह युद्धाभ्यास किसी भी देश के खिलाफ नहीं था, ऐसा अमरीका ने स्पष्ट किया। लेकिन, आनेवाले समय में चीन ने ताइवान पर कब्ज़ा किया तो ताइवान को मुक्त करने के लिए ज़रुरी कार्रवाई का अभ्यास हेतु यह युद्धाभ्यास किया गया, ऐसा सैन्य विश्लेषकों का कहना है।

पिछले तीन हफ्तों से अमरीका के नेवाडा प्रांत में अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की वायुसेनाओं द्वारा ‘रेड फ्लैग’ युद्धाभ्यास जारी था। अमरिकी वायुसेना के ‘एफ-२२ रैप्टर्स’, ‘बी-२ बॉम्बर’ विमानों के साथ ही ‘एफ-३५ बी स्टेल्थ’ लड़ाकू विमान और ‘एफ-१५’, ‘एफ-१६’, ‘एफ-१८’ विमानों का बड़ा बेड़ा इसमें शामिल था।

लंबी दूरी के लक्ष्य पर निशाना साधना और तीनों देशों की वायुसेनाओं के बीच समन्वय रखने के इरादे से ‘रेड फ्लैग’ युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया था, ऐसी जानकारी अमरिकी वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी कर्नल जैरेड जे. एचिंसन ने प्रदान की।

यह युद्धाभ्यास किसी भी देश के खिलाफ नहीं था, ऐसा कर्नल एचिंसन ने कहा। लेकिन, चीन की बढ़ती चुनौतियों का अभ्यास करके हम यह युद्धाभ्यास कर रहे हैं, ऐसा कर्नल एचिंसन ने कहा। आनेवाले समय में ताइवान की सुरक्षा का मसला खड़ा हुआ तो अमरीका चीन विरोधी भूमिका अपनाएगी।

ऐसी स्थिति में लंबी दूरी की हवाई मुहिम के लिए अमरिकी लड़ाकू विमानों को ईंधन प्रदान करने का कार्य ब्रिटेन के ‘केसी वोयजर विमान’ कैसे पूरा करेंगे इसका अभ्यास भी इस दौरान हुआ।

इसके साथ ही तीनों देशों के विमान चालकों ने इस दौरान एक-दूसरे के विमानों का भी अभ्यास किया। आनेवाले समय में यदि ऐसी स्थिति निर्माण होती है तो इसका मुकाबला करने की तैयारी के तौर पर इस तरह के अभ्यास का समावेश वर्णित युद्धाभ्यास में किया गया है, ऐसी जानकारी अंतरराष्ट्रीय वृत्तसंस्था ने साझा की।

तथा शत्रु के लड़ाकू विमानों के साथ हवाई सुरक्षा यंत्रणा को चकमा देने का अभ्यास भी इस दौरान किया गया। सहयोगी देश की सीमा में शत्रु देश घुसपैठ करता है तो संबंधित सहयोगी देश की सहायता के लिए लड़ाकू विमानों को कैसे पहुँचाना मुमकिन होगा, इस पर आधारित युद्धाभ्यास भी इस अवसर पर होने की जानकारी ब्रिटेन की एअर मोबिलिटी फोर्स के कमांडर कमोडोर जॉन लिले ने साझा की।

इसी बीच, अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलियाई वायुसेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों ने चीन का नाम भले ही नही लिया, पर यह युद्धाभ्यास चीन को ताइवान में घुसपैठ करने से रोकने के इरादे से किए जाने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।

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