प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झ्ोलेन्स्की से फोन पर हुई चर्चा

नई दिल्ली – रशिया ने अपने संघराज्य का हिस्सा बनाएँ लुहान्स्क, डोनेत्स्क, खेर्सन और झ्ाापोरिझ्ािआ इन चारों प्रांत पर यूक्रेन कीसेना ने हमलें करने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। इसी बीच इन प्रांतो पर हुए हमले को रशिया पर हुआहमला समझ्ाा जाएगा, यह ऐळान करके रशिया ने इसपर जोरदार फौजी जवाब देने के इशारें पहले ही दिए थे। इसी दौरान यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमीर झ्ोलेन्स्की ने रशिया के साथ राजनीतिक बातचीत करने की संभावना खारिज कर दी हैं। यूक्रेन का युद्ध ऐसें निर्णायक चरण पर पहुँचा होने की स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झ्ोलेन्स्की से फोन पर बातचीत की। इस समस्या का हल युद्ध से नहीं बल्कि बातचीत से ही प्राप्त होगा, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने इस चर्चा के दौरान यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष से कहा। साथ ही शांति स्थापित करने के लिए भारत अपना योगदान देने के लिए तैयार होने का प्रस्ताव भी प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष के सामने रखा।

यूक्रेन का युद्ध रोककर तुरंत संवाद और राजनयिक चर्चा की प्रक्रिया शुरू करने का आवाहन भी प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष से किया। यूक्रेन की यह समस्या सैन्य कार्रवाई से छुटेगी नहीं, यह भारत का पुख्ता विश्वास हैं। इस वजह से शांति स्थापित करने के लिए और राजनीतिक बातचीत के लिए भारत अपना योगदान देने के लिए तैयार हैं, यह प्रस्ताव भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान यूक्रेनी राष्ट्राध्यक्ष के सामने रखा। साथ ही संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियम और अंतरराष्ट्रीय कानून एवं सभी देशों की संप्रभुता और अखंड़ता का सम्मान हो, ऐसी भारत की उम्मद होने की बात प्रधानमंत्री मोदी ने इस चर्चा में स्पष्ट की। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने समय समय पर यही भूमिका रखी थी।

इसी बीच यूक्रेन युद्ध की वजह से झ्ाापोरिझ्ािआ के परमाणु प्रकल्प को काफी बड़ा खतरा बना हैं। इसके लिए रशिया और यूक्रेन एक-दूसरें पर आरोप लगा रहे हैं। यूरोप के सबसे बड़े परमाणु प्रकल्प बने झ्ाापोरिझ्ािआ की सुरक्षा काफी संवेदनशील मुद्दा बना हैं। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष के साथ हुई चर्चा में परमाणु प्रकल्पों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। पूरे विश्व के परमाणु प्रकल्प की सुरक्षा, खास तौर पर यूक्रेन के परमाणु प्रकल्प की सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने संवेदनशीलता दर्शायी। परमाणु प्रकल्पों के लिए खतरा बना तो इसके भयंकर परिणाम जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर होगा, ऐसी चिंता भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान व्यक्त की हैं।

इसी बीच रशिया ने यूक्रेन के चार प्रांतों को तोड़कर इन्हें अपने क्षेत्र को जोड़ने के बाद यूक्रेन युद्ध की तीव्रता अधिक बढ़ती दिखाई दे रही हैं। अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए रशिया परमाणु हमला करने में हिचकिचाएगी नहीं, यह ऐलान रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने किया था। पुतिन ने यूक्रेन पर परमाणु हमला किया तो अमरीका और नाटो मिलकर रशियन सेना को तबाह करेंगे, ऐसी चेतावनी अमरीका ने दी हैं। इस वजह से यूक्रेन युद्ध विध्वंस के नए मोड़ पर पहुँचा हैं और ऐसी स्थिति में यह युद्ध रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय पहल करें, यह आवाहन किया जा रहा हैं। इसके लिए भारत अपनी भूमिका निभाएँ, यह माँग कुछ देशों के नेताओं ने की थी।

एक ही समय पर रशिया और यूक्रेन से बेहतर संबंध रखनेवाला भारत अपना प्रभाव इस्तेमाल करके यह युद्ध रोक सकता हैं, यह विश्वास इन नेताओं ने व्यक्त किया था। कुछ दिन पहलें उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित ‘एससीओ’ की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री ने रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के सामने बोलते हुए युद्ध का दौर खत्म हुआ हैं, यह कहकर यूक्रेन युद्ध रोकने का आवाहन किया था। उनके इस बयान पर अमरीका और यूरोपिय देशों ने समर्थन प्रदान किया था। प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान की वजह से यूक्रेन युद्ध में भारत किसी एक के पक्ष में खड़े होने के दावे खारिज़ हुए थे।

इसके बाद मेक्सिको के राष्ट्राध्यक्ष एंॅड्रेस मैन्युअल लोपेझ्ा ओब्राडोर ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की आमसभा में किए अपने भाषण में ऐसें दावे किए थे। इसी बीच भारत में नियुक्त फ्रान्स के राजूदत मैन्युअल लिनय ने अपना देश यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए भारत के साथ लगातार चर्चा कर रहा हैं, यह जानकारी साझ्ाा की थी। इस पृष्ठभूमि पर मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष के साथ फोन पर बातचीत करने को बड़ी राजनीतिक अहमियत होने की बात दिख रही हैं।

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