लद्दाख की एलएसी पर हुई सहमति के कारण भारत में कुछ भी गँवाया नहीं है – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने दिलाया यकीन

नई दिल्ली – लद्दाख की एलएसीसी से सेनाएँ वापस लेने पर भारत और चीन की सहमति हुई है, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने घोषित किया। ऐसा होने के बावजूद भी, भारत ने अपनी सार्वभूमता के मुद्दे पर हरगिज़ समझौता नहीं किया है और एलएसी पर चीन ने किए दावे मान्य नहीं किए हैं, यह रक्षा मंत्री ने डटकर कहा। चीन के साथ हुई इस सहमति के कारण भारत में कुछ भी गँवाया नहीं है, ऐसा राजनाथ सिंग ने राज्यसभा में किए अपने भाषण में स्पष्ट किया।

सहमति

चीन के जवानों ने लद्दाख की एलएसी से वापसी करने की तैयारी शुरू की है। चीन के दो टैंक्स इस क्षेत्र से वापस लौट रहे होने के वीडियो जारी हुए हैं। भारत के साथ हुई सहमति के अनुसार चीन के जवान लद्दाख के पँगॉंग सरोवर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित फिंगर आठ तक पीछे हटेंगे। उसके बाद भारतीय सेना अपनी धनसिंग थापा पोस्ट इस फिंगर तीन के नज़दीक होने वाली चौकी तक पीछे हटेगी। पँगॉंग सरोवर कि दक्षिणी और पर भी ऐसी ही कार्रवाई की जाएगी। आने वाले समय में इस क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएँ गश्ती नहीं करेंगी, इस पर भी एकमत हुआ है।

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राजनीतिक और लष्करी स्तर पर की चर्चा में यह तय हुआ है कि एलएसी का विवाद सुलझने के बाद ही दोनों देशों का लष्कर इस क्षेत्र में गश्ती कर सकेगा। गश्ती करते समय दोनों देशों के सैनिकों में फिर से संघर्ष हो सकता है, इस बात को मद्देनजर रखते हुए यह प्रावधान किया गया है ऐसा बताया जाता है। इस मामले में जानकारी देते समय रक्षा मंत्री ने, एलएसी के बारे में भारत की भूमिका स्पष्ट रूप में रखी। भारत के भूभाग पर चीन कर रहा दावा कभी भी मान्य नहीं किया जाएगा, ऐसा यकीन रक्षा मंत्री ने राज्यसभा में दिलाया। गलवान वैली में हुए संघर्ष में, देश की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले २० शहीद सैनिकों का इस समय रक्षा मंत्री ने गौरवपूर्ण उल्लेख किया। इन शहीद सैनिकों को देश कभी भी नहीं भूलेगा, ऐसा राजनाथ सिंग ने कहा।

गलवान वैली के संघर्ष में भारतीय लष्कर का पराक्रम और निर्धार इनको सारी दुनिया ने अनुभव किया। बहुत ही प्रतिकूल परिस्थिति में भारतीय लष्कर ने देश की रक्षा के लिए दिखाए निर्धार की भी इस समय रक्षा मंत्री ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। बता दें, भारत से भी पहले चीन ने, लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने पर सहमति हुई होने की घोषणा की थी। लद्दाख की एलएसी पर घुसपैठ करके भारतीय सेना को चुनौती देकर चीन के हाथ मानहानि के सिवा और कुछ भी नहीं लगा। लेकिन भारतीय लष्कर की क्षमता इससे साबित हुई है, ऐसा कहकर पूर्व लष्करी अधिकारी इस पर संतोष जाहिर कर रहे हैं।

इसी बीच, चीन का लष्कर लद्दाख की एलएसी से पीछे हट रहा होते समय, लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने सूचक बयान किया है। देश की उत्तरी सीमा से सुरक्षा को मिलने वाली चुनौती मुश्किल है। लेकिन उसका सामना करने के लिए भारतीय लष्कर की पूरी तैयारी है, ऐसा जनरल नरवणे ने कहा है।

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