कोरोना के उपरांत का वैश्वीकरण ईमानदारी और समानता पर आधारित हो – भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला

नई दिल्ली – कोरोना की महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बिगड़ गई है और मौजूदा रुख देखें तो वैश्वीकरण की प्रक्रिया में सुधार लाने की आवश्‍यकता है। कोरोना के उपरांत वैश्वीकरण की प्रक्रिया ईमानदारी, समानता और मानवता पर आधारित हो, यही भारत की उम्मीद होने की भूमिका भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने रखी। साथ ही आनेवाले दिनों में वैश्विक सप्लाई चेन के प्रमुख केंद्र के तौर पर स्वयं को विकसित करना ही भारत की प्राथमिकता रहेगी, यह बयान श्रृंगला ने किया।

Corona-Sringlaसेंट स्टिफन्स कॉलेज के ‘इंडिया ऐण्ड रीशेपिंग ऑफ द वर्ल्ड ऑर्डर’ के मुद्दे पर आयोजित सत्र के उद्घाटन पर विदेश सचिव श्रृंगला ने यह बयान किया। कोरोना वायरस का वैश्विक व्यवस्था पर हुआ असर, चीन की विस्तारवादी भूमिका और भारत की तैयारी पर उन्होंने इस समय बयान किया। ‘भारत एक संप्रभुता की संकल्पना पर आधारित देश है। साथ ही विवाद का हल शांति से निकालना होगा और अन्य देशों के अंदरुनि कारोबार में दखलअंदाज़ी ना करना, इन आम तत्वों का पालन करनेवाला देश है’, ऐसा कहकर श्रृंगला ने पड़ोसी देशों की संप्रभुता को चुनौती देनेवाले चीन पर अप्रत्यक्ष प्रहार किया।

इसके अलावा, ‘वैश्वीकरण की व्याख्या बदलने की ज़रूरत है, यह विश्‍वास भारत रखता है। इसके लिए वर्तमान मानसिकता और वास्तविकता को ध्यान में रखकर वैश्वीकरण की प्रक्रिया में सुधार लाना आवश्‍यक है’, यह बात विदेश सचिव ने कही। अब तक वैश्वीकरण की ओर मात्र आर्थिक नज़रिए से देखा गया है। लेकिन, भारत के प्रधानमंत्री ने पेश की हुई मानव केंद्रित वैश्वीकरण की संकल्पना इससे भी अधिक व्यापक है, यह बात भी श्रृंगला ने इसी बीच कही। तभी, भारत को वैश्विक सप्लाइ चेन में उत्पादन केंद्र का विकल्प बनने के लिए कार्य शुरू किया गया है, यह दावा श्रृंगला ने किया।

इस संकट के दौर में भी पड़ोसी देशों के लिए भारत की प्राथमिकता रही है और बिमस्टेक देशों के साथ ही आसियान और ’थिंक वेस्ट’ के तहत खाड़ी और पश्‍चिमी एशियाई देशों के साथ के संबंध भारत की विदेश नीति का अहम आधार होने की बात श्रृंगला ने स्पष्ट की। इसके अलावा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र मुक्त और खुला हो और इस क्षेत्र के देशों की संप्रभुता का सम्मान हो एवं अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में वहां के विवाद का हल निकाला जाए, यह भारत की पुख्ता भूमिका होने का बयान विदेश सचिव ने किया। ‘वसुधैव कुटुंबकम्‌’ और ‘निष्काम कर्म’ इन तत्वों पर दृढ़ विश्‍वास रखनेवाले भारत ने कोरोना वायरस के इस दौर में १५० से अधिक देशों को वैद्यकीय सहायता की आपूर्ति की है, यह जानकारी भी श्रृंगला ने साझा की।

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