’डाटा प्रोटेक्शन बिल’ को लेकर संसदीय समिती ने थमाए बड़ी ‘आयटी’ कंपनियों को समन्स – ऐमेज़ॉन ने समन्स ठुकराने का वृत्त

नई दिल्ली – बीते वर्ष लोकसभा में पेश किए गए ‘पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, २०१९’ से संबंधित गठित संसद की संयुक्त समिती ने ‘आयटी’ क्षेत्र की बड़ी कंपनियों को समन्स थमाए हैं। इसके बाद शुक्रवार के दिन ‘फेसबुक’ के अधिकारी संयुक्त संसदीय समिती के सामने पेश हुए। इसके अलावा ट्विटर, गुगल, ऐमेज़ॉन एवं पेटीएम को भी समन्स दिए गए हैं और इनमें से ऐमेज़ॉन कंपनी ने वर्णित समिती के सामने उपस्थित होने से इन्कार करने का वृत्त है। इस पर ऐमेज़ॉन पर कार्रवाई करने के संकेत वर्णित समिती ने दिए हैं। संबंधित बिल में भारत के नागरिकों की जानकारी सुरक्षित और गोपनीय रखने से संबंधित अहम प्रावधान हैं और इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे का भी ज़िक्र है।

बीते वर्ष लोकसभा में ‘पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, २०१९’ पेश किया गया था। इस पर अलग अलग स्तरों से दर्ज़ की गई आपत्तियों के बाद इस बिल में सुधार लाने के लिए संयुक्त संसदीय समिती गठीत की गई। यह समिती इस बिल के प्रावधान तय करने को लेकर अलग अलग यंत्रणा एवं विशेषज्ञों से चर्चा कर रही है। तीन महीने पहले देश की प्रमुख सुरक्षा एवं जाँच यंत्रणाओं ने इस समिती के सामने अपनी भूमिका रखकर कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया था। इसके बाद अब इस समिती ने डाटा की सुरक्षा एवं गोपनीयता के मुद्दे पर ‘आयटी’ क्षेत्र की शीर्ष कंपनियों को सीधे समन्स थमाए हैं।

अमरीका और यूरोपिय देशों ने अपने नागरिकों के डाटा की सुरक्षा एवं गोपनीयता को लेकर पहले ही स्वतंत्र कानून बनाए हैं। इसके अनुसार नागरिकों की जानकारी स्थानीय स्तर पर रखकर एवं ज़रूरत पड़ने पर सरकारी यंत्रणाओं को प्रदान करना अनिवार्य किया गया है। चीन, रशिया, कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया जैसे देशों ने भी संबंधित कानून बनाए हैं। भारत में वर्ष २०११ में कानून पारित किया गया है, फिर भी इसमें नागरिकों की वैयक्तिगत जानकारी एवं उसकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए पर्याप्त प्रावधान ना होने की बात सामने आयी थी। इस वजह से वर्ष २०१७ में एक समिती गठित करके उसकी सिफारिशों के अनुसार ‘पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, २०१९’ का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

इस ‘बिल’ के प्रावधानों पर ‘आयटी’ क्षेत्र की बड़ी कंपनियां नाराज़ होने की बात समझी जा रही है। लेकिन, भारत सरकार ने नागरिकों की जानकारी स्थानीय स्तर पर रखने के साथ ही आवश्‍यकता पड़ने पर देश की यंत्रणा के लिए उपलब्ध कराने के मुद्दे पर सख्त भूमिका अपनाई है। इस दौरान भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा भी उपस्थित किया है और इससे संबंधित मुद्दों पर समझौता नहीं होगा, यह भी स्पष्ट किया गया है। लेकिन, पश्‍चिमी देशों के प्रावधान एवं आर्थिक गतिविधियों का मुद्दा सामने लाकर शीर्ष कंपनियां इससे बचने का काम कर रही हैं। इसी कारण संसदीय समिती ने समन्स थमाकर बड़ी कंपनियों को अपनी भूमिका स्पष्ट करने के लिए दबाव बनाया हुआ दिख रहा है। संसद के समन्स के बावजूद ऐमेज़ॉन जैसी कंपनी ने वर्णित समिती के सामने उपस्थित होने से इन्कार करने पर विवाद निर्माण होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

ऐमेज़ॉन ने २८ अक्तुबर के दिन संसदीय समिती के सामने उपस्थित होने से इन्कार किया है। यदि कंपनी की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं रहा तो वह विशेषाधिकारों का उल्लंघन होगा। ‘ई-कॉमर्स’ कंपनी के विरोध में सरकार आक्रामक कार्रवाई करे, इस पर समिती की सहमति होने की जानकारी समिती की प्रमुख सांसद मिनाक्षी लेखी ने साझा की है। इस समिती ने ट्विटर को २८ अक्तुबर और गुगल एवं पेटीएम को २९ अक्तुबर के दिन उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं।

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