भारत ‘क्वाड’ में अधिक सक्रिय भूमिका निभाएँ – अमरिकी पूर्व उप-विदेशमंत्री एलिस वेल्स

वॉशिंग्टन – अमरीका के साथ भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समावेश होनेवाले ‘क्वाड’ में भारत अधिक सक्रिय भूमिका निभाएँ, ऐसी सलाह अमरिकी पूर्व उप-विदेशमंत्री एलिस वेल्स ने दी है। वेल्स ने दक्षिण और मध्य एशिया की प्रमुख के तौर पर काम किया है। समान मूल्यों और हितसंबंधों की रक्षा करनेवाले साझेदार देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के बजाय, ब्रिक और आरआयसी की बैठक के लिए समय की बरबादी करना उचित साबित नहीं होगा, यह भी वेल्स ने जताया। वेल्स का यह बयान, भारत को चीन के विरोध में अधिक सुस्पष्ट भूमिका अपनानी होगी, यह माँग कर रहा है। पिछले कुछ दिनों में भारत ने चीन के विरोध में किए आक्रामक निर्णयों के देखें, तो चीन के मुद्दे पर भारत की भूमिका अधिक निर्णायक हो रही है, यह भी स्पष्ट हो रहा है।

india-quadगलवान वैली में हुए संघर्ष की पृष्ठभूमि पर, भारत ने चीन के विरोध में अधिक आक्रामक भूमिका अपनाना शुरू किया है। चीन ने किए हमले के बाद हुई बैठकों के दौरान भारत ने चीन को यह बात स्पष्ट शब्दों में सुनाया था कि इस मसले में चीन की ही गलती है और इसके आगे चीन पर भरोसा करना संभव नहीं है। ऐसें में, भारत ने अब चीन की सीमा पर सेना की तैनाती भी बढ़ाई है और आर्थिक स्तर पर भी चीन को झटका देने की तैयारी शुरू की है। राजनीतिक स्तर पर भी भारत ने चीन को, दोबारा कुछ हरकत होने पर बड़ें परिणाम भुगतने की तैयारी रखें, यह स्पष्ट इशारा दिया है।

भारत की चीन संदर्भ की नीति में यह आक्रामक बदलाव होने की बात दिख रही है कि तभी अमरीका की पूर्व उपमंत्री वेल्स ने दी हुई सलाह ग़ौरतलब साबित होती है। वेल्स ने, अमरीका के एक अख़बार में भारत-चीन तनाव के मुद्दे पर जारी किए एक लेख पर प्रतिक्रिया दर्ज़ करते समय यह भी कहा है कि चीनविरोधी नीति का दायरा भारत आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ाएँ। इसके लिए उन्होंने ‘क्वाड’ का संदर्भ इस्तेमाल किया है।

सन २००७ में जापान की पहल से हुई चार देशों की अनौपचारिक बैठक को ‘क्वाड’ कहा गया था। जापान के साथ अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और भारत का समावेश होनेवाला यह गुट, शुरुआती दौर में कुछ ख़ास सक्रिय नहीं था। लेकिन, सन २०१७ में हुई ‘आसियान’ परिषद की पृष्ठभूमि पर ‘क्वाड’ सदस्य देशों के राष्ट्रप्रमुखों की अहम बैठक हुई। इसी बैठक के दौरान साउथ चायना सी में चीन की बढ़ती गतिविधियाँ रोकने के लिए ‘क्वाड’ सक्रिय करने पर सहमति बनी। इसके बाद पिछले तीन वर्षों में यह गुट चीन विरोध में खड़े हुए प्रमुख गठबंधन के तौर पर उभर रहा है और चीन ने भी इसकी कड़ी आलोचना की है।

india-quad-USAऐसा होते हुए भी, भारत का ‘क्वाड’ में सहभाग जापान और ऑस्ट्रेलिया की तुलना में कम होने की बात अमरीका कह रही है। चीन ने अमरीका को मात देने के लिए शुरू किए उपक्रमों में भारत का समावेश है। ‘क्वाड’ का सदस्य होने के बावजूद, चीन का सहभाग होनेवाले उपक्रमों को भारत द्वारा दी जा रही अहमियत अमरीका को परेशान कर रही है, इस पर भी वेल्स ने ध्यान आकर्षित किया। अमरिकी नेतृत्व ने खुलेआम चीन के विरोध में संघर्ष शुरू किया है और तभी भारत ने इस तरह से अपनाई नीति असंगत दिखाई देती है, ऐसा वेल्स ने भारत को जताया है।

वेल्स ने इससे पहले भी चीन का खतरा और भारत का सहयोग, ऐसें मुद्दों पर सूचक बयान किया था। दुसरें विश्‍वयुद्ध के बाद बनीं विश्‍व की नई आर्थिक पुनर्रचना में, चीन के विरोध में समान विचारधारा के देशों का एक होना, यह ग़ौरतलब घटना साबित होती हैं, यह बयान वेल्स ने पिछले महीने में ही किया था। साथ ही, वेल्स ने अमरीका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड’ सहयोग का खास ज़िक्र भी किया था। साथ ही, चीन के सभी देशों के साथ शुरू हुए सीमा विवाद, चीन से बना खतरा रेखांकित कर रहे हैं, यह कहकर वेल्स ने, चीन विश्‍व के लिए खतरनाक होने के संकेत दिए थे।

हालाँकि चीन यह भारत का पड़ोसी देश और सबसे बड़ा व्यापारी साझेदार है, फिर भी पिछले कुछ वर्षों में चीन की हरकतें पड़ोसी और भागीदार दोनों रिश्‍तों को कालिख पोछनेवाली साबित हुईं हैं। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत अपनी विस्तारवादी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए तेज़ गतिविधियाँ कर रही हैं। यह करते समय आंतर्राष्ट्रीय कानून और नियम ठुकराए जा रहे हैं और जनतांत्रिक मूल्यों का गला घोंटा जा रहा है।

आर्थिक और लष्करी बल के जोर पर चीन की हुकूमत ने अपनी मनमानी शुरू की है। चीन का यह प्रभाव रोकने के लिए अमरीका ने पहल की है और खुलेआम संघर्ष करने की नीति भी अपनाई है। इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने अमरीका का साथ देना आवश्‍यक हैं और इसके लिए चीन विरोध में जारी संघर्ष में अधिक सक्रिय होना ज़रूरी है, ऐसें संकेत वेल्स ने किए बयान से प्राप्त हो रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.