ईरान के लिए भारत अमरिका का दबाव ठुकराएगा – अमरिका के सीआरएस का रिपोर्ट

नई दिल्ली/वॉशिंग्टन: भारत अमरिका के दबाव के सामने ना झुकते हुए ईरान की ईंधन की खरीदारी नहीं रोकेगा। ईरान के साथ अपने पारंपारिक संबंध कायम रखने के लिए भारत अमरिका ने जारी किए नए प्रतिबंधों का विरोध कर सकता है, ऐसा दावा अमरिका के संसद सदस्यों की एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में किया है। तथा प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि पर ईरान को आयात ईंधन के पैसे चुकते करने के लिए भारत अन्य विकल्पों का विचार कर रहा है और इसके लिए भारत यूरोपीय महासंघ के साथ संपर्क में होने की खबरें सामने आ रही है।

अमरिका ने कुछ महीनों पहले ईरान के साथ परमाणु करार से वापसी करने पर ईरान पर नए प्रतिबंध जारी किए थे। ईरान के साथ किसी भी प्रकार के व्यापारी संबंध रखने वाले देश एवं कंपनियों पर प्रतिबंध जारी होंगे, ऐसा भी अमरिका ने सूचित किया है। नवंबर महीने से सभी देश ईरान से होनेवाली ईंधन आयात रोके अन्यथा अमरिका के कार्रवाई का सामना करना होगा, ऐसी चेतावनी अमरिका ने दी है।

अमरिका के इस चेतावनी के बाद भी कई देशों ने ईरान के साथ ईंधन सहयोग रोकने का निर्णय लिया था। इसमें जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों का समावेश है।

ईरान, भारत, दबाव ठुकराएगा, सीआरएस, रिपोर्ट, अमरिका, संयुक्त राष्ट्रसंघयूरोपीय महासंघ ने अमरिका की चेतावनी के बाद ईरान के साथ ईंधन सहयोग कायम रखने का निर्णय लिया है। फिर भी यूरोप में कई ईंधन कंपनियों ने प्रतिबंधों के डर से ईरान के साथ व्यापार रोका है। भारत भी ईरान के साथ सहयोग रोके, अन्यथा भारत की भी प्रतिबंधों के चंगुल से रिहाई नहीं होगी, ऐसा अमरिका ने सूचित किया था। भारत और अमरिका में हालही में हुए टू प्लस टू बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई है, पर इस बारे में अधिक जानकारी सामने नहीं आयी हैं।

इस पृष्ठभूमि पर अमरिका के संसद को अपने रिपोर्ट द्वारा राष्ट्रीय धारणा कार्यान्वित करने के लिए आवश्यक सिफारिश देने वाले ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस’ के ‘कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस’ (सीआरएस) का रिपोर्ट प्रसिद्ध हुआ है। इस रिपोर्ट में भारत ईरान के साथ ईंधन सहयोग नहीं रोकेगा। ईरान के साथ सहयोग रोकने के लिए अमरिका डाल रहा दबाव भारत ठुकराएगा, ऐसा स्पष्ट कहा गया है।

भारत ईरान से बड़े तादाद में ईंधन आयात करता है। ईंधन की जरूरतों को देखते हुए भारत ईरान के साथ ईंधन सहयोग रोकना असंभव है। तथा हम केवल संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों का पालन करते हैं, ऐसी भी भारत की बहुत पुरानी धारणा रही है। इससे पहले भी सन २०१० से २०१३ के बीच ईरान पर कठोर प्रतिबंध जारी किए थे और भारत ने ईरान के साथ सहयोग कायम रखने के प्रयत्न किए थे, इसकी याद इस रिपोर्ट में दिलाई गई है।

इसके सिवाय दोनों देश सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक रूप से एक दूसरों से जुड़े हुए हैं। भारत में इस्लाम धर्मीय शिया पंथीयों की लोक संख्या बहुत ज्यादा है। अफगानिस्तान के अल्पसंख्याक को भी भारत और ईरान समर्थन दे रहा है, इन मुद्दों की तरफ रिपोर्ट ने ध्यान केंद्रित किया गया है।

साथ ही भारत ईरान में कई महत्वपूर्ण प्रकल्प पर काम कर रहा है। यह प्रकल्प केवल आर्थिक रूप से नहीं बल्कि व्यूहरचनात्मक रूप से महत्वपूर्ण है। ईरान का छाबहार बंदरगाह भारत विकसित कर रहा है। इसकी वजह से मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार के लिए भारत को पाकिस्तान से जानेवाले मार्ग पर निर्भर नहीं रहना होगा, यह बात भी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर प्रस्तुत की गई है। तथा इस बंदरगाह द्वारा अफगानिस्तान को भी भारत ने गेहूं एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं का प्रदाय शुरू किया है, यह भी इस रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है।

सीआरएस के इस रिपोर्ट में अमरिका के संयुक्त राष्ट्रसंघ की राजदूत निक्की हेले इनके सलाह का दाखिला दिया गया है। भारत को प्रतिबंधों से छुट मिले, भारत द्वारा ईरान में विकसित होनेवाला छाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान के विकास के लिए आवश्यक होने की बात हैलेने कही थी।

दौरान सन २०१२ वर्ष में पहली बार अमरिका ने ईरान पर प्रतिबंध कम किए थे। उस समय ईरान ने भारत से ईंधन बिल के आधे पैसे भारतीय चलन रुपयों में लिये थे, यह मुद्दा भी इस रिपोर्ट से अमरिका के संसद में ध्यान में लाया गया है। ऐसी परिस्थिति में भारत ईरान के साथ सहयोग शुरू रखेगा, ऐसा इस रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है।

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