मुद्राकोश से कर्ज़ पाने के लिए पाकिस्तानी सेनाप्रमुख की अमरीका से गुहार

इस्लामाबाद – अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश से पाकिस्तान को जल्द से जल्द १.१७ अरब डॉलर्स निधि पाने के लिए पाकिस्तान के सेनाप्रमुख ने अमरिका से गुहार लगाई है। सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने इसके लिए अमरिकी विदेश मंत्रालय की उपमंत्री वेंडी शर्मन से चर्चा की। यह खबर प्रसिद्ध होने के बाद पाकिस्तान में सनसनी फैली। यह बात सच है तो इसका मतलब पाकिस्तान कमज़ोर हो गया है, ऐसा आरोप विपक्षी नेता इम्रान खान ने लगाया।

लगभग महज़ दो महीने आयात करना मुमकिन होगा, इतनी ही विदेशी मुद्रा पाकिस्तान की टिज़ोरी में बची है। इसमें भी सौदी और चीन जैसे देशों ने डिपोज़िट के तौर पर दी हुई निधि का समावेश है। ऐसी स्थिति में आयात के लिए पाकिस्तान को जल्द से जल्द कर्ज़ का प्रावधान करना आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश ने घषित किए पैकेज के १.१७ अरब डॉलर्स पाकिस्तान को जल्द ही प्रदान होने थे। यह निधि पाकिस्तान को जल्द से जल्द प्राप्त हो, इसके लिए सेनाप्रमुख जनरल बाजवा को अपना वजन लगाना पड़ा। उन्होंने अमरीका की उपमंत्री वेंडी शर्मन से चर्चा करके यह राशि पाकिस्तान को तुरंत प्रदान हो, यह माँग की।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने जनरल बाजवा और शर्मन में चर्चा होने की बात मानी है। लेकिन, इसका ब्यौरा देने से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इन्कार किया। पर, पाकिस्तान के माध्यमों में जनरल बाजवा और वेंडी शर्मन में चर्चा के मुद्दे सामने आए हैं और इस वजह से इस देश में सनसनी फैलती दिख रही है। पूर्व प्रधानमंत्री इम्रान खान ने इस पर कड़ी आलोचना की। यदि जनरल बाजवा ने इस तरह से अमरीका के साथ चर्चा की होगी, तो इससे पाकिस्तान कमज़ोर होने की बात सामने आती है, यह आरोप इम्रान खान ने लगाया। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था में हस्तक्षेप करना सेनाप्रमुख का काम नहीं है, ऐसी आलोचना भी इम्रान खान ने की है।

पाकिस्तान के माध्यम भी जनरल बाजवा के अमरीका से बातचीत करने पर नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन, मुद्राकोश की कर्ज़ सहायता प्राप्त हुए बिना पाकिस्तान बचेगा नहीं, यह कबूली भी माध्यमों को देनी पड़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश ने पाकिस्तान को लगभग ६ अरब डॉलर्स की ऋणसहायता मंजूर की थी। लेकिन, इसके लिए मुद्राकोश की शर्तों का पालन करना पाकिस्तान की सरकार के लिए कठिन हो रहा है। जनता को दी हुई रियायत रद्द करें, ईंधन और बिजली की कीमत बढ़ाकर महसूल बढ़ाएँ, ऐसी माँग मुद्राकोश ने कर्ज का ऐलान करते समय ही रखी थी। लेकिन, यह माँगे स्वीकारने का साहस पाकिस्तान की सरकार नहीं रखती। साथ ही पहले की इम्रान खान की सरकार ने भी मुद्राकोश से कर्ज उठाना है या नहीं, यही सोचने पर काफी समय बरबाद किया था।

आर्थिक मोर्चे पर यह स्थिति पाकिस्तान का संकट अधिक बढ़ा रही है और आनेवाले समय में अपने देश की स्थिति श्रीलंका से अलग नहीं होगी, ऐसी चिंता इस देश के पत्रकार और विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं।

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