पाकिस्तान अफगानिस्तान में विघातक कारनामें कर रहा है – अमेरिकन संसद की ‘सीआरएस’ की रिपोर्ट

वॉशिंग्टन- ‘पाकिस्तान अफगानिस्तान में विघातक कारनामे कर रहा है। तालिबान को अफगानिस्तान में मिली कामयाबी यानी पाकिस्तान को मिली विजय होने के दावे कुछ लोगों द्वारा किए जाते हैं। लेकिन ऐसा होने के बावजूद भी, पाकिस्तान के अधिकारी तालिबान पर अपना प्रभाव ना होने की बात बताते हैं’, यह बात अमेरिकन काँग्रेस की ताजा रिपोर्ट में दर्ज की गई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने हाल ही में संपन्न हुई अफगानिस्तान विषय परिषद में, अगर तालिबान को मान्यता ना दी, तो ९/११ जैसे हमलों की पुनरावृत्ति होगी, ऐसी अप्रत्यक्ष धमकी दी थी। उस पृष्ठभूमि पर, अमेरिकन काँग्रेस की यह रिपोर्ट पाकिस्तान की कुटिल साजिशों पर रोशनी डालती दिख रही है।

‘सीआरएस’हाल ही में पाकिस्तान में अफगानिस्तानी विषय परिषद संपन्न हुई। इसमें अमरीका, रशिया और चीन ये देश सहभागी वे थे। सोवियत रशिया ने अफगानिस्तान से सेनावापसी करने के बाद तालिबान ने इस देश पर कब्ज़ा किया, लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान की हुकूमत को मान्यता नहीं दी थी। इस कारण अमरीका में ९/११ का भयंकर आतंकवादी हमला हुआ। इसकी याद दिलाकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने इस समय भी, अगर तालिबान की हुकूमत को मान्यता नहीं मिली, तो ९/११ की पुनरावृत्ति हो सकती है, ऐसा अप्रत्यक्ष रूप में धमकाया। इस पर अमरीका तथा अन्य पश्चिमी देशों से हालांकि ठेंठ प्रतिक्रिया नहीं आई है, फिर भी तालिबान और पाकिस्तान में होनेवाली सांठगांठ, अमरीका और पश्चिमी देशों की चिंता का विषय बनी दिख रही है।

अमेरिकन काँग्रेस की ‘काँग्रेशनल रिसर्च सर्व्हिस-सीआरएस’ ने प्रस्तुत की रिपोर्ट में, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में निभाई भूमिका पर रोशनी डाली गई है। अब तक पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में विघातक कारनामे किए हैं और उनमें तालिबान को की हुई हर संभव सहायता का भी समावेश है। अफगानिस्तान में भारत का प्रभाव रोकने के लिए पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को अस्थिर करनेवाले ये कारनामे बहुत पहले से ही जारी रखे थे, यह बात इस रिपोर्ट में दर्ज की गई है। ऐसा होने के बावजूद भी, तालिबान पर अपना प्रभाव नहीं है ऐसा पाकिस्तान के अधिकारी बताते हैं। इस विरोधाभास पर इस रिपोर्ट में गौर फरमाया गया है।

पाकिस्तान, रशिया, चीन और अमरीका का सहयोगी होनेवाला कतार भी अफगानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को मान्यता देकर अमरीका को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है। यदि ऐसा हुआ तो तालिबान पर होनेवाला अमरीका का दबाव नष्ट होगा और तालिबान पर किसी का अंकुश नहीं रहेगा, ऐसी चेतावनी भी सीआरएस की इस रिपोर्ट में दी गई है। इसी बीच, बायडेन प्रशासन अफगानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को मान्यता दे सकें इसलिए यह प्रशासन मौके की प्रतीक्षा कर रहा है, ऐसे दावे करके कुछ अन्तर्राष्ट्रीय विश्लेषकों ने, इस बात को लेकर बायडेन प्रशासन की जमकर आलोचना की थी। सीआरएस की रिपोर्ट यही सुझा रही है कि अगर तालिबान को मान्यता दी, तो अमरीका तालिबान पर दबाव कायम रख सकेगी। लेकिन तालिबान की हुकूमत में अफगानिस्तान अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद का केंद्र बनेगा और इससे अमरीका और अमरीका के मित्रदेश अधिक ही असुरक्षित बनेंगे, ऐसी चेतावनियाँ अमरिकी विश्लेषक और पूर्व और विद्यमान अधिकारी दे रहे हैं।

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