पाकिस्तान और चीन ने किया रक्षा सहयोग का समझौता

इस्लामाबाद – नेपाल की यात्रा करके चीन के रक्षामंत्री वुई फेंग पाकिस्तान पहुँचे हैं। उनकी इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रक्षा सहयोग के लिए समझौता किया हैं। इस समझौते का पुरा ब्यौरा दोनों देशों ने घोषित नही किया हैं। लेकिन, बीते कुछ दिनों से कश्‍मीर की नियंत्रण रेखा के करीबी क्षेत्र में पाकिस्तान के लड़ाकू विमान उड़ान भरने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। पाकिस्तान की इस आक्रामकता के पीछे चीन का समर्थन होने की चर्चा हो रही हैं। ऐसें में भारत के दोनों पड़ोसी देशों ने रक्षा सहयोग के लिए किया यह समझौता ध्यान आकर्षित कर रहा हैं।

china-pakistanलद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारतीय सेना ने सभी स्तरों पर मुँहतोड़ प्रत्युत्तर देने के बाद चीन अब हर संभव मार्ग से भारत पर दबाव बढ़ाने की तैयारी में जुटा हैं। पाकिस्तान के साथ नेपाल जैसें देश के माध्यम से भारत के अन्य सरहदी क्षेत्र पर तनाव निर्माण करने की कोशिश भी चीन की हैं। लेकिन, शुरू में चीन के उकसावे पर भारत से सीमा विवाद निर्माण करने की तैयारी करनेवाले नेपाल ने चीन ने ही नेपाल में घुसपैठ करने के बाद अपनी गलती सुधारी थी। बीते कुछ दिनों में भारत की गुप्तचर एजन्सी ‘रॉ’ के प्रमुख, उनके बाद सेनाप्रमुख जनरल नरवणे और उनके कुछ दिन बाद भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने नेपाल की यात्रा की थी। इससे बेचैन हुए चीन के रक्षामंत्री वुई फेंग ने जल्दबाज़ी सेनेपाल की यात्रा की थी।

नेपाल की यह यात्रा करने के बाद फेंग ने पाकिस्तान का दौरा किया हैं। पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ वुई फेंग ने की हुई चर्चा के दौरान दोनों देशों के रक्षा सहयोग से संबंधित मुद्दा सबसे उपरी स्थान पर रहा। वुई फेंग के इस दौरे में दोनों देशों में समझौता होने की बात कही जा रही हैं। इस समझौते का ब्यौरा सार्वजनिक नही किया गया हैं। लेकिन, चीन के रक्षामंत्री का यह पाकिस्तान दौरा सुरक्षा के नज़रिये से बड़ा अहम होने का दावा पाकिस्तानी पत्रकार कर रहे हैं। इससे कुछ दिन पहले पाकिस्तान के लड़ाकू विमान कश्‍मीर की नियंत्रण रेखा के करीबी इलाके में उड़ान भर रहे थे, यह भी सामने आया था।

भारत के खिलाफ पाकिस्तान को खड़ा करने की कोशिश चीन कर रहा हैं और बीते कुछ महीनों से चीन ने यह कोशिश तेज़ की हैं, यह दावा पश्‍चिमी विश्‍लेषक कर रहे हैं। खास तौर पर गिलगित-बाल्टिस्तान को अपना अंदरुनि प्रांत घोषित करके भारत को चुनौती देने का निर्णय पाकिस्तान ने चीन के कहने पर ही किया हैं, यह बात पश्‍चिमी विश्‍लेषकों ने की हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान का क्षेत्र नही बल्कि विवादित क्षेत्र होता हैं, तो ऐसें क्षेत्र में चीन ‘सीपीईसी’ के माध्यम से अरबों डॉलर्स का निवेश कैसें कर सकता हैं, यह सवाल चीन ने किया था। इस वजह से पाकिस्तान की सरकार गिलगित-बाल्टिस्तान से संबंधित निर्णय करने के लिए मज़बूर हुआ, ऐसें दावें कुछ पाकिस्तान पत्रकारों ने भी किए थे।

इसके ज़रिये चीन ने पाकिस्तान और भारत का संघर्ष भड़काने की तैयारी दिखाई हैं, ऐसा बयान पश्‍चिमी विश्‍लेषक कर रहे हैं। भारत जल्द ही हमारे खिलाफ हमला करेगा, इस सोच में पाकिस्तान डुबा हैं। आतंकियों ने भारत में हमला किया तो इस पर प्रत्युत्तर देने के लिए भारत पाकिस्तान पर हमला करगा, इस ड़र ने पाकिस्तान को सताया हैं। फिर भी आतंकी हरकतें छोड़ने का विचार पाकिस्तान ने अभी भी छोड़ा नही हैं। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान को चीन की सहयाता की उम्मीद हैं और चीन भारत के खिलाफ हमें यकिनन सहायता प्रदान करेगा, ऐसें दावे पाकिस्तान में किए जा रहे हैं। ऐसे में रक्षा सहयोग करके चीन ने पाकिस्तान को राहत दी हुई दिख रही हैं। लेकिन, पाकिस्तान और चीन का ऐसें हाथ मिलाना ध्यान में रखकर ही भारत ने लष्करी रणनीति तय की हैं और भारतीय रक्षाबलों ने पाकिस्तान के साथ चीन को भी इसका समय समय पर अहसास कराना जारी रखा हैं।

भारतीय रक्षाबलों की युद्ध की तैयारी की वजह से चीन अलग अलग तरीकों से भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश करे में जुटा होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस वजह से चीन ने पाकिस्तान के साथ किए इस रक्षा समझौते का भारत की पाकिस्तान और चीन को सामने रखकर तय की गई नीति या रणनीति पर खास असर नही होगा, यह बात भी स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही हैं।

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