भरुच

भरुच

हमारे भारतवर्ष में हम जब यात्रा करते हैं, तब एक अलग ही संस्कृति के साथ हमारा परिचय होता है और वह संस्कृति है, खाद्यसंस्कृति। कुछ गाँव या शहर इनकी पहचान होती है, वहाँ पर बनाये जानेवाले विशेष खाद्यपदार्थ। जैसे, कर्जत का आलूवड़ा (बटाटावडा), सुरत की घारी, आग्रा का पेठा, सातारा के कंदी पेड़ें, नासिक के […]

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चितोड भाग – १

चितोड भाग – १

चाहे गाँव हो या शहर, उसके बसने या उसे बसाने के पीछे कोई न कोई अवश्य रहता है। एक मनुष्य या मनुष्यों का एक समूह किसी जगह जा बसता है और फिर वह स्थान धीरे धीरे एक गाँव या शहर बन जाता है।उस गाँव या शहर में एक ऐसा स्थल अवश्य रहता है, जो उस […]

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म्हैसूर भाग-२

म्हैसूर भाग-२

मुम्मडी कृष्णराज वोडेयर राजा के शासनकाल मे अंग्रे़जों ने म्हैसूर पर कब़्जा कर लिया। अंग्रे़जों से अपने राज्य को पुनः हासिल करने के लिए मुम्मडी कृष्णराज ने कईं कोशिशें कीं, लेकिन वे नाक़ाम रहीं। आखिर डॉ. कँपबेल और बक्षी नरसप्पा ने इसवी १८६७ में मुम्मडी कृष्णराज को उसका म्हैसूर राज्य पुनः दिलवाया, लेकिन अब वह […]

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नेताजी-२७

नेताजी-२७

आय.सी.एस. की सनद का स्वीकार न करने के निर्णय के कारण सुभाष अकेला पड़ चुका है, इसका एहसास उसे शरदबाबू के ख़त से हुआ। लेकिन वह किसी भी बात के बारे में केवल गुणात्मक (‘ओन्ली ऑन इट्स ओन मेरिट’) विचार ही करता था, संख्यात्मक दृष्टि की उसके लिए कोई अहमियत नहीं रहती थी। किसी भी […]

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भारत माता की जय

भारत माता की  जय

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग १९ संघ पर प्रतिबंध लगाया जा चुका था। सरसंघचालक श्रीगुरुजी को जेल में रखा गया था। इसके विरोध में स्वयंसेवको ने सत्याग्रह, आंदोलन भी किये। परन्तु किसी के भी द्वारा देशविघातक कृत्य नहीं किये गये। संघ का अनुशासन एवं व्यवस्थापन अभेद्य था। गुरुजी यानी सरसंघचालक के जेल में रहते […]

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डॉ.निकोल टेसला – फिनिक्स की उड़ान

डॉ.निकोल टेसला – फिनिक्स की उड़ान

नायगारा के जलविद्युत प्रकल्प एवं उसी के द्वारा बफेलो एवं न्यूयार्क शहरों में विद्युतभार संवाहन, ये सब कुछ उस भीषण अग्निकांड के केवल ११ महीने पश्चात् ही डॉ.टेसला ने कर दिखलाया था। अपयश से हारकर टूटे जाने की बजाय यदि कोई पुन: सफलता की सीढ़ी पार कर जाता है, तो उसे ‘फिनिक्स’ पक्षी की तरह […]

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पटना

पटना

भारत के इतिहास में कईं बार ‘पाटलिपुत्र’ का उल्लेख मिलता है। हमारे प्राचीन भारतवर्ष में पाटलिपुत्र नाम का एक सम्पन्न नगर था। पाटलिपुत्र नगर का उल्लेख भारत का एक महत्त्वपूर्ण शहर इस तरह से किया जाता था। प्राचीन समय में भारत की कीर्ति एवं वैभव में चार चॉंद लगानेवाला शहर इस तरह से पाटलिपुत्र की […]

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स्वतन्त्रता यज्ञ

स्वतन्त्रता यज्ञ

जाड़ों के दिन बस अभी अभी ख़त्म हुए थे। अब धीरे धीरे गरमी बढ़नेवाली थी। हालाँकि चिलचिलाती धूप तो नहीं थी, मग़र फिर भी माहौल कुछ गरमा सा रहा था। अपनी मातृभूमि से प्रेम करनेवाले हर एक भारतीय के मन में कुछ हो तो रहा था, लेकिन प्रकट रूप में कहीं कुछ दिखायी नहीं दे […]

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