नेताजी- १५५

नेताजी- १५५

पिछली द़फ़ा जब सुभाषबाबू बर्लिन आये थे, उस समय का बर्लिन और इस समय का बर्लिन इनके वातावरण में भी फ़र्क़ था। उस समय का, जीवन का आनन्द मनमुक्त रूप से लेनेवाले बर्लिन की जगह अब युद्ध की छाया से ग्रस्त और त्रस्त बर्लिन ने ले ली थी। अब सुभाषबाबू जहाँ भी देखते, उन्हें हिटलर […]

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नेताजी-१५४

नेताजी-१५४

सुभाषबाबू को मॉस्को से बर्लिन ले आनेवाले विशेष हवाई जहाज़ का इन्तज़ाम हो जाने के बाद ३ अप्रैल को सुभाषबाबू बर्लिन पहुँचे। तक़रीबन २ महीने ११ दिनों की भागदौड़ करके रोमहर्षक एवं हैरत अंगेज़ घटनाओं से भरा प्रवास करते हुए, आशा-निराशा का झूला झूलते हुए, एक दुर्दम्य लगन के बल पर और अपनी ध्येयपूर्ति के […]

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नेताजी-१५३

नेताजी-१५३

सुभाषबाबू को ले जानेवाली गाड़ी तेज़ी से दौड़ रही थी। अब हिन्दुकुश पर्वतपंक्तियाँ शुरू हो चुकी थीं। बीच में ही आड़े-टेढ़े मोड़ों सा रास्ता, बीच में ही मीलों दूर तक फ़ैले हुए पठारों में से गुज़रनेवाला सरहरा रास्ता ऐसे मार्ग से गाड़ी रशिया की सीमा की ओर दौड़ रही थी। सदियों से अफ़ग़ानिस्तान यह पूर्वीय […]

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नेताजी-१५२

नेताजी-१५२

उत्तमचन्द के परिवार को भावपूर्ण रूप से अलविदा कहकर सुभाषबाबू गाड़ी में बैठ गये। उस रात कारोनी ने सुभाषबाबू के क़रिबी लोगों के लिए एक छोटीसी दावत रखी थी। भगतराम तथा उत्तमचन्द भी उसमें शरीक रहनेवाले थे। इसलिए वे भी सुभाषबाबू के साथ गाड़ी में बैठ गये। खाने के बाद उत्तमचन्द कलेजे पर पत्थर रखकर […]

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नेताजी-१५१

नेताजी-१५१

कारोनी के साथ हुई मीटिंग के बाद वक़्त न गँवाते हुए सुभाषबाबू धीरे धीरे युरोप के वास्तव्य की तैयारियाँ कर ही रहे थे। जर्मन एम्बसी में जाने से पहले, शरदबाबू को देने के लिए अपनी खुद की बंगाली लिखावट में लिखी हुई चिठ्ठी और अपने सहकर्मी शार्दूल कवीश्‍वर इन्हें देने के लिए ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ के […]

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नेताजी-१५०

नेताजी-१५०

कारोनी के साथ सुभाषबाबू की चर्चा का़फ़ी हद तक सफ़ल हुई और सुभाषबाबू खुशी से उत्तमचन्द के घर लौट आये। अब उनके मन पर का बोझ का़फ़ी कम हो चुका था और वे युरोपीय भेस में काबूल में खरीदारी वगैरा के लिए घुम-फ़िरने भी लगे थे। कुछ भी नया सन्देश आनेपर, हर दो-तीन दिन बाद […]

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नेताजी- १४५

नेताजी- १४५

सुभाषबाबू को घर में पनाह देनी चाहिए या नहीं, इस मामले में उत्तमचन्द के मन में विचारों का बवण्ड़र उठा हुआ था। उनके दोस्त ने भी उन्हें ‘हम बालबच्चेवालों को इस व्यर्थ झमेले में नहीं पड़ना चाहिए’ यह परामर्श भी दिया था। इस तरह विचारों के आन्दोलन में चक्कर खाते हुए उत्तमचन्द खाना खाकर फिर […]

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नेताजी-१३५

नेताजी-१३५

प्रार्थनास्थल में रात बिताकर अब सुभाषबाबू का अगला सफ़र खच्चर पर से शुरू हो गया। उस वीरान मुल्क़ में खच्चर का ही सहारा था। गत दिन एक घण्टे में एकाद मील इस ‘गति’ से मार्गक्रमणा हुई थी। लेकिन अब एक घण्टे में ३-४ मील ऐसी ऱफ़्तार आ चुकी थी। लेकिन थोड़ी देर में समतल ज़मीन […]

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नेताजी- १२५

नेताजी- १२५

सुभाषबाबू के खिलाफ़ दायर किये गये मुकदमों में न्यायमूर्ति ने २७ जनवरी, १९४१ यह आख़िरी तारीख़ दे दी थी और इसीलिए सुभाषबाबू के लिए एक महीने के भीतर निर्धारित योजना की कार्यवाही करना ज़रूरी बन गया था। वैसे तो उनके कहीं जाने-आने पर किसी प्रकार की पाबन्दी तो नहीं लगायी गयी थी, लेकिन घर से […]

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नेताजी-११५

नेताजी-११५

कुछ दिन जमदोबा में विश्राम करने के बाद सुभाषबाबू २१ अप्रैल १९३९ को कोलकाता लौटे। अब उनकी सेहत में का़फ़ी सुधार हो चुका था। त्रिपुरी में पारित पंत-प्रस्ताव के कारण निर्माण हुआ वाद कम होने के आसार नज़र नहीं आ रहे थे। अतः इस उलझन को सुलझाने के लिए सुभाषबाबू ने २९ अप्रैल को कोलकाता […]

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