श्रीलंका में जनता के असंतोष का विस्फोट

– प्रदर्शनकारियों का राष्ट्रपति के निवास स्थान पर धावा

– राष्ट्रपति राजपक्षे भाग निकले

– प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे की सर्वदलीय सरकार के लिए पहल

कोलंबो – अनाज, धान, ईंधन और अन्य जीवनावश्यक सामान की किल्लत का सामना कर रही श्रीलंकन जनता के असंतोष का विस्फोट हुआ है। हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने राजधानी कोलंबो में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के निवासस्थान पर धावा बोलकर कब्ज़ा कर लिया। लेकिन, उससे पहले राष्ट्रपति राजपक्षे वहां से अज्ञात स्थान पर पहुँच चुके थे। पुलिस एवं श्रीलंकन सेना के लिए भी इस क्रोधित जमावड़े को काबू करना कठिन हुआ। जनता के असंतोष का विस्फोट होने के दौरान प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफे की पेशकश करके सर्वदलीय सरकार गठित करने की पहल की है।

पिछले कुछ महीनों से श्रीलंका अनाज़ और ईंधन की किल्लत का मुकाबला कर रहा है। अनाज़ और ईंधन समेत अन्य ‘जीवनावश्यक’ सामान खरीदने के लिए श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा का भंड़ार नहीं बचा है। भीषण आर्थिक संकट का मुकाबला करने के साथ ही श्रीलंका में उभरी किल्लत भयानक बनती जा रही है। इसी किल्लत की वजह से कीमतों में उछाल आने से श्रीलंकन जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। इस वजह से श्रीलंकन जनता लगातार सड़क पर उतरकर निषेध व्यक्त कर रही है। लेकिन, शनिवार को श्रीलंकन जनता के गुस्से का विस्फोट हुआ। प्रदर्शनकारियों ने सीधे राष्ट्रपति निवास पर धावा बोल दिया।

श्रीलंका में लंबे समय से राजपक्षे परिवार का ही शासन रहा है और इस परिवार की नीति की वजह ने ही देश की स्थिति बिगाड़ दी, ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। इन्हीं की वजह से श्रीलंका पर आर्थिक संकट टूटा है और अनाज़ से ईंधन की किल्लत के लिए भी राजपक्षे की गलत नीति और गबन के कारोबार ज़िम्मेदार होने के दावे श्रीलंका के अन्य राजनीतिक दल कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की माँग की जी रही थी। फिर भी मौजूदा राष्ट्रपित गोटाबाया राजपक्षे इस्तीफा देने के लिए तैयार नहीं हैं। इसी कारण शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के निवास स्थान पर धावा बोला।

लेकिन, प्रदर्शनकारियों के पहुंचने से पहले राष्ट्रपति राजपक्षे ने अधिकृत निवास स्थान छोड़ा था। इससे अनहोनी टल गई। लेकिन, राष्ट्राध्यक्ष के निवासस्थान पर कब्ज़ा करनेवाले प्रदर्शनकारी लंबे समय तक वहां पर मौजूद थे। कुछ समय बाद वहां का नियंत्रण सेना ने हाथों में लिया, आंसू गैस का प्रयोग करके जमावडे को हटाया गया, तब जाकर स्थिति काबू  में आई। इस दौरान ३० लोगों के घायल होने की जानकारी साझा की गई है।

इसी बीच, श्रीलंका के मौजूदा प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सर्वदलीय बैठक आयोजित करके इस्तीफा देने का प्रस्ताव रखा। मौजूदा स्थिति काफी भयंकर है और इसके मद्देनज़र श्रीलंका में सभी दल मिलकर सरकार स्थापित करें, यह आवाहन भी विक्रमसिंघे ने किया। इसके लिए हम इस्तीफा देने के लिए तैयार होने का बयान प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने किया। राजपक्षे परिवार के गबन और गलत नीति के साथ ही श्रीलंका का राजनीतिक विसंवाद भी इस देश में फैली अस्थिरता का प्रमुख कारण है।

श्रीलंकन जनता के समर्थन से सरकार स्थापित हुए बिना इस देश को स्थिरता प्राप्त नहीं होगी। लेकिन, इसके लिए चुनाव कराने जैसी स्थिति श्रीलंका में नहीं है, इसी वजह से प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने सर्वदलीय सरकार का प्रस्ताव पेश किया। अगले समय में इस देश की स्थिति सामान्य करनी हो तो इसके लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था एवं प्रमुख देशों से बातचीत करके हल निकालना होगा। इसके लिए श्रीलंका को ज़िम्मेदार राजनीतिक नेतृत्व की ज़रूरत है। लेकिन, अनाज, ईंधन और जीवनावश्यक सामान की किल्लत से परेशान जनता को राहत प्राप्त हुए बिना इस देश में अराजकता की स्थिति काबू नहीं होगी, यह वास्तव भी शनिवार के प्रदर्शनों से विश्व के सामने आया है।

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