परमाणु समझौते के लिए ईरान के प्रस्ताव पर अमरीका समेत यूरोपिय देश भी नाराज़ – अमरिकी माध्यमों का दावा

वॉशिंग्टन/तेहरान – अमरीका ने ईरान को परमाणु समझौते पर दिए हुए प्रस्ताव पर ईरान ने अमरीका और यूरोपिय देशों के सामने अपना प्रस्ताव रखा। इसका ब्यौरा अभी सामने नहीं आया है, परंतु परमाणु समझौते लिए दिया गया यह प्रस्ताव बिल्कुल उत्साहवर्धक नहीं है, ऐसा अमरीका और यूरोपिय देशों का कहना है, यह दावे किए जा रहे हैं। अमरिकी माध्यमों ने बायडेन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी के दाखिले से इस मुद्दे की खबर सार्वजनिक की है।

पिछले महीने अमरीका और ईरान के प्रतिनिधियों की वियना में अप्रत्यक्ष बैठक हुई थी। यूरोपिय महासंघ की मध्यस्थता से हुई इस बैठक के बाद अमरीका और ईरान को परमाणु समझौते पर अपना निर्णय साझा करने की सूचना महासंघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ बोरेल ने की थी। लेकिन, अमरीका और ईरान किसी भी तरह की नई माँग ना करें, ऐसा इशारा बोरेल ने दिया था। इसके बाद अमरीका और ईरान का परमाणु समझौता अंतिम चरण में पहुँचने की चर्चा शुरू हुई थी। अमरिकी माध्यमों ने तो परमाणु समझौता कुछ ही दिनों में होगा, ऐसे दावे किए थे।

ऐसी स्थिति में दो दिन पहले ईरान ने महासंघ के सामने परमाणु समझौते के लिए अपना प्रस्ताव रखा। साल २०१५ का परमाणु समझौता पूनर्जीवित करने के मुद्दे पर ईरान का यह प्रस्ताव सार्वजनिक नहीं हुआ। लेकिन, अमरीका और यूरोपिय महासंघ ईरान के इस प्रस्ताव से नाराज़ होने का दावा अमरिकी वृत्तसंस्था ने बायडेन प्रशासन के अधिकारी के दाखिले से किया। ईरान का प्रस्ताव परमाणु समझौते को पीछे धकलनेवाला है, ऐसी आलोचना अमरिकी अधिकारी ने की। ऐसे में यूरोपिय महासंघ के अधिकारी भी ईरान का प्रस्ताव नकारात्मक होने का बयान कर रहे हैं, ऐसा अमरिकी वृत्तसंस्था ने कहा है।

अमरीका और ईरान का यह परमाणु समझौता काफी ‘बुरा’ होने का बया इस्रायल के प्रधानमंत्री ने पहले ही किया था। सौदी अरब और सौदी के नेतृत्व में खाड़ी के अन्य देश भी इस परमाणु समझौते के खिलाफ हैं। ऐसी स्थिति में परमाणु समझौते के लिए ईरान को अधिक रियायत देना बायडेन प्रशासन के लिए फायदेमंद का नहीं होगा। ऐसे में ही अमरीका के विपक्षी नेता यह आरोप लगा रहे हैं कि, बायडेन प्रशासन ईरान के सामने झुक रहा है। वहीं दूसरी ओर ईरान परमाणु समझौते के लिए उत्सुक बायडेन प्रशासन के सामने नई शर्तें रखता जा रहा है।

यूक्रेन युद्ध की वजह से उछल रही ईंधन की कीमतों को काबू में रखने के लिए बायडेन प्रशासन को जल्द से जल्द परमाणु समझौता करना है, यह दिख रहा है। लेकिन, बायडेन प्रशासन जल्दबाजी में होने के बावजूद ईरान शांति से अपनी माँगें मजूर कराएगा और बाद में परमाणु समझौते के लिए कदम उठाएगा, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस वजह से बायडेन प्रशासन के सामने मुश्‍किलें बढी हुई हैं और परमाणु समझौते के लिए मध्यस्थता कर रहे यूरोपिय देश भी मुश्‍किलों में घिरे हैं। परमाणु समझौते पर मतभेद बातचीत में अड़ियलता दिखाने तक सीमित हैं, या वास्तव में इसके कारण परमाणु समझौते के लिए खतरा बना है, यह अगले कुछ दिनों में ही स्पष्ट होगा। लेकिन, यह परमाणु समझौता हुआ या इसकी बातचीत नाकाम हुई तो पूरे खाड़ी क्षेत्र में इसकी बड़ी गूंज सुनाई दिए बिना नहीं रहेगी, यह अब स्पष्ट दिखने लगा है।

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