नई उछाल के साथ कच्चे तेल का दर ६८ डॉलर्स पर

लंडन/न्यूयॉर्क: तेल उत्पादक देशों का संगठन ‘ओपेक’ और रशिया के बीच हुए अनुबंध का क्रियान्वयन और अम्रीका के इंधन भण्डारण में हो रही गिरावट, इस पृष्ठभूमि पर मंगलवार को कच्चे तेल का दर ६८ डॉलर्स प्रति बैरल्स पर पहुंचा है। सिर्फ १३ दिनों के अवधि में दूसरी बार तेल की दरों में बढ़ोत्तरी दिखाई दी है। पिछले हफ्ते ईरान के प्रदर्शन की वजह से कच्चे तेल का दर १०० डॉलर्स अथवा उससे भी आगे बढ़ सकता है, ऐसा दावा अमरिकी विश्लेषकों ने किया था।

तेल उत्पादक

मंगल दोपहर को हुए व्यवहारों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का दर ६८.२९ डॉलर्स प्रति बैरल्स तक बढ़ गया। उसी समय अमरिका के तेल के दरों में भी बढ़ोत्तरी होकर ६१.९१ डॉलर्स प्रति बैरल्स तक पहुँच गया। मई २०१५ के बाद पहली बार कच्चे तेल के दर में हुई बढ़ोत्तरी, लगातार दूसरे हफ्ते में बरकरार रहा है, ऐसा नए दरों से स्पष्ट होता है। यह बढ़ोत्तरी सन २०१८ की पहली सकारात्मक बढ़ोत्तरी है, यह जानकारी सूत्रों ने दी है।

तेल उत्पादक देशों का समूह ‘ओपेक’ ने उत्पादन में बरक़रार रखी हुई गिरावट यह नए बढ़ोत्तरी के पीछे का महत्वपूर्ण घटक है। कुछ हफ़्तों पहले ओपेक ने तेल के उत्पादन में कटौती करने की योजना सन २०१८ में भी बरकरार रखने का निर्णय लिया था। नया साल शुरू होने के बाद शुरूआती दिनों में ही ‘ओपेक’ ने उत्पादन में कटौती कायम रखने के निर्णय का प्रवर्तन गंभीरता से लिया है। इसके लिए रशिया और सऊदी अरेबिया ने की हुई पहल मददगार साबित हो रही है।

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दूसरी तरफ अमरिका का हिमपात तूफान और बर्फ़बारी का झटका इंधन उद्योग की भी लगने की बात सामने आ रही है। पिछले साल एक के बाद एक आए चक्री तूफान की वजह से इंधन उत्पादन में कटौती हुई थी। उससे स्थिति पूर्ववत हो रही थी, ऐसे में बर्फ़बारी का झटका लगने की वजह से कच्चे तेल के उत्पादन में अपेक्षित बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। लगातार दो महीने अमरिका के कच्चे तेल के आरक्षित भंडार में घट हो रही है और इस हफ्ते में यह भंडार ४१ लाख बैरल्स तक घट गया है।

अमरिका के उत्पादन बढ़ोत्तरी के संकेत देनेवाले तेल कुओं की संख्या में भी गिरावट हुई है। इस वजह से आने वाले समय में कच्चे तेल के उत्पादन में बड़ी बढ़ोत्तरी अपेक्षित नहीं है, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी है।

ईरान का आन्दोलन और सऊदी अरेबिया के घटनाक्रम यह घटक आने वाले समय में कच्चे तेलों के दरों के लिए महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। ईरान में चल रहे प्रदर्शन की तीव्रता कम हुई है, लेकिन आन्दोलन पूरी तरह से रुका नहीं है। उसी समय सऊदी अरेबिया के इंधन क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण घटक ‘अराम्को’ कंपनी के निजीकरण के संकेत हाल ही में दिए गए हैं। इन चीजों की वजह से तेल के दरों में बढ़ोत्तरी का सिलसिला बरकरार रह सकता है।

पिछले साल, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल का दर १७ प्रतिशत से बढ़ गया था। यही झुकाव बरकरार रहा तो इस साल के आखिर तक कच्चे तेल का दर प्रति बैरल्स के ऊपर जाने की संभावना को इनकार नहीं किया जा सकता, ऐसी भविष्यवाणी कुछ विश्लेषकों ने की है।

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