भारत एवं अमरीका आतंकियों का अभयारण्य सहन नहीं करेगा दोनों देशों के रक्षामंत्री की घोषणा

नई दिल्ली: भारत की रक्षामंत्री निर्मला सीतारामन और अमरीका के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने ‘आतंकवादियों का अभयारण्य’ आगे चलते सहन नहीं किया जाएगा ऐसा कठोर इशारा दिया है। रक्षामंत्री मैटिस के भारत दौरे मे आतंकवाद के बारे मे दोनों देशों की ठोस भूमिका स्वीकारते हुए पाकिस्तान को संदेश दिया है। उस समय दोनों देशों मे रक्षा विषयक सहयोग दृढ़ करने पर भी एकमत हुआ है और अफ़ग़ानिस्तान तथा आशिया-प्रशांत क्षेत्र मे स्थिरता के बारे मे रक्षामंत्री सीतारामन रक्षामंत्री मैटिस इन मे महत्वपूर्ण चर्चा हुई है। पर किसी भी हालत मे भारत अफ़ग़ानिस्तान मे सेना तैनात नहीं करेगा, ऐसा भारत के रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया है।

‘आतंकवादियों का अभयारण्य’

अमरीका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने कुछ हफ्तों पूर्व नए अफ़ग़ानिस्तान विषयक नीति की घोषणा करके भारत अफ़ग़ानिस्तान को अधिक सहयोग दे, ऐसी मांग की थी। अमरीका के मुसद्दी भारत अफगानिस्तान मे सेना तैनात करें, ऐसी मांग कर रहे है। रक्षामंत्री मैटिस के दौरे मे, भारत की रक्षामंत्री निर्मला सीतारामन भारत अफ़ग़ानिस्तान मे सेना तैनात नहीं करेगी ऐसा घोषित किया है। पर अफ़ग़ानिस्तान के विकास के लिए आवश्यक सभी कुछ भारत आगे करता रहेगा यह भी कहा है। अफ़ग़ानिस्तान मे बांध, हॉस्पिटल्स, स्कूल एवं अन्य संस्था निर्माण के लिए भारत सहायता करेगा ऐसा रक्षामंत्री सीतारामन ने कहा है।

आतंकवाद बिल्कुल सहन नहीं किया जाएगा, ऐसा कहकर दोनों देशों के नेताओं ने अपने संयुक्त निवेदन मे ‘आतंकवाद के अभयारण्य’ के बारे मे आक्रामक भूमिका ली है। दुनिया मे कहीं भी आतंकवादियों का सुरक्षित स्वर्ग नहीं रख सकते, इसके लिए अमरीका, भारत और मित्र देशों के साथ प्रयत्न करेगा ऐसे सूचक शब्दों मे रक्षामंत्री मैटिस ने पाकिस्तान को इशारा दिया है।

इस के साथ भारत परिवहन के स्वतंत्रता का पुरस्कार करने की बात कहकर रक्षामंत्री सीतारामन ने पैसेफिक क्षेत्र के बारे मे भारत की भूमिका स्पष्ट की है। इस सागरी क्षेत्र मे स्थिरता और संतुलन चीन की कारवाई की वजह से ढहने का आरोप अमरीका तथा इस क्षेत्र के अन्य देश कर रहे है। इस पृष्ठभूमि पर चीन का सीधा उल्लेख न करते भारत की रक्षा मंत्री ने देश की भूमिका स्पष्ट की है। तथा भारत के साथ सागरी सुरक्षा संदर्भ मे सहयोग बढ़ाने के लिए मेरी सबसे अधिक प्राथमिकता होगी, ऐसा कहकर अमरीका के रक्षामंत्री ने अपना प्राधान्य क्रम स्पष्ट किया है।

आने वाले समय मे भारत और अमरीका का नौदल हिंद महासागर से पॅसिफिक महासागर तक अपना सहयोग बढ़ाकर उसके लिए अमरीका जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों का सहयोग ले रहा है। चीन को रोकने के लिए यह अमरीका की व्यूहरचना होकर भारत इस विषय मे अमरीका को साथ न दे ऐसा चीन बार-बार सूचना दे रहा है। पर हिंद महासागर के साथ बंगाल के उपसागर मे चीन भारत के नैसर्गिक प्रभाव को आवाहन दे रहे, जिनको प्रति उत्तर देना भारत के लिए अनिवार्य बन चुका है। उसकी वजह से भारत भी अमरीका के साथ नीति विषयक सहयोग बढ़ाएगा यह रक्षामंत्री मैटिस के दौरे से प्रतिबिंबित हो रहा है।

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