चीन के ‘प्लान’ पर नौसेना की कडी नजर – नौसेना प्रमुख सुनील लाम्बा

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नई दिल्ली – हिन्द महासागर क्षेत्र के बारे में चीनी नौसेना की महत्वाकांक्षी परियोजना की जानकारी देकर भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा ने उस पर चिंता व्यक्त की है। चीन की नौसेना हिन्द महासागर के क्षेत्र में दीर्घकालीन वास्तव्य के लिए दाखिल हुई है, ऐसा एडमिरल लाम्बा ने कहा है। चीनी नौसेना की इन कार्रवाइयों की तरफ भारतीय सेना ने कडी नजर बनाई रखी है, ऐसा कहकर नौसेना प्रमुख ने देश वासियों को आश्वस्त भी किया है।

‘साउथ चाइना सी’ और ‘ईस्ट चाइना सी’ क्षेत्र से संपूर्ण पैसिफ़िक महासागर क्षेत्र पर चीन की नौसेना वर्चस्व पाने की कोशिश कर रही है। हिन्द महासागर क्षेत्र में भी चीन पिछले कुछ सालों से लगातार अपना प्रभाव बढाने की कोशिश कर रहा है। चीनी नौसेना की विध्वंसक और पनडुब्बियां लगातार हिन्द महासागर क्षेत्र में घूम रहीं हैं और श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ सहकार्य बढाकर चीन की नौसेना इस क्षेत्र में अपना वास्तव्य कायम करने के लिए कदम बढ़ा रही है। इसके लिए चीन ने योजनाबद्ध तैयारियां की हैं। ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी-नेव्ही’ (पीएलएएएन-प्लान) के मुख्यालय ने अब हिन्द महासागर में अधिक आगे जा जाकर अपना प्रभाव बढाने की तैयारी की है, यह जानकारी एडमिरल लाम्बा ने दी है।

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यह परिस्थिति चिंताजनक है, ऐसा कहकर नौसेना प्रमुख ने चीन की गतिविधियों पर सटीक शब्दों में अपनी आपत्ति जताई है। लेकिन भारतीय नौसेना इस मामले में अधिक सतर्क है और प्लान की गतिविधियों पर नजर रखी है, ऐसी चेतावनी लाम्बा ने दी है। एक समय पर भारतीय नौसेना की लगभग ५० विध्वंसक और युद्धपोत २४ घंटे पहरा देकर अपने समुद्री क्षेत्र का रक्षण कर रही हैं, ऐसा कहकर एडमिरल लाम्बा ने देशवासियों को आश्वस्त किया है।

दौरान, लाम्बा ने प्लान के बारे में व्यक्त की चिंता अतिशय औचित्यपूर्ण साबित होती है। पिछले कुछ दिनों से चीनी नौसेना की ‘इंडो-पैसिफ़िक’ क्षेत्र की गतिविधियों पर ऑस्ट्रेलिया और फ़्रांस ने गंभीर चिंता व्यक्त की थी।

फ़्रांस के राष्ट्राध्यक्ष इमेन्युअल मैक्रॉन ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया का दौरा करके ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबुल के साथ चर्चा की थी। दोनों देशों ने संयुक्त पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए, ‘इंडो-पैसिफ़िक’ क्षेत्र की परिस्थिति का मुआइना किया था।

चीन अपने सामर्थ्य के बल पर इस क्षेत्र में वर्चस्व प्राप्त न करे और अंतर्राष्ट्रीय नियमों को चुनौती न दे, ऐसी माँग राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन और प्रधानमंत्री टर्नबुल ने की। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, ‘इंडो-पैसिफ़िक’ क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया और फ़्रांस के साथ भारत का मोर्चा शुरू करने की योजना रखकर फ़्रांस इसके लिए विशेष पहल करेगा, ऐसा मैक्रॉन ने कहा था।

इस पृष्ठभूमि पर, भारत के नौसेना प्रमुख ने चीनी नौसेना की गतिविधियों पर व्यक्त की हुई चिंता का महत्व अधिक है।

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