यूरोपियन लष्कर नाम के कागज के शेर को नही बल्कि यूरोपिनय देशों का नाटो समर्थन करें

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरकोपनहेगन – यूरोपियन लष्कर नाम के कागजी शेर के नही, बल्कि सामर्थ्यवान नाटो के पीछे डटकर खडे रहे, यह निवेदन नाटो के भूतपूर्व प्रमुख आंद्रेस रासमुसेन इन्होंने यूरोपीयन देशों को किया है| नाटो की गठन को ७० वर्ष पूरे हुए है और इस अवसर पर नाटो के सामने मौजूद चुनौतीयों की चर्चा शुरू हुई है| यूरोपियन महासंघ के लष्कर का निर्माण करने की तैयारी जर्मनी एवं फ्रान्स यह देश कर रहे है| ऐसे दौर में रासमुसेन इन्होंने यूरोपियन देशों को असल स्थिति का एहसास कराया है| ब्रेक्जिट की प्रक्रिया पूरी होकर ब्रिटेन महासंघ से बाहर हुआ तो नाटो के खर्च का ८० प्रतिशत भार महासंघ के सदस्य देशों पर गिरेगा, ऐसा रासमुसेन इन्होंने महासंघ के सदस्य देशों को सुचित किया है|

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नाटो के भूतपूर्व प्रमुख और डेन्मार्क के पूर्व प्रधानमंत्री यह पहचान होनेवाले आंद्रेस रासमुसेन इन्होंने नाटो के सदस्य यूरोपियन देश नाटो की अहमियत पर ध्यान दे, यह कडे बोल सुनाए है| यूरोपीय महासंघ ने स्वतंत्र सेना तैयार करके नाटो के लिए यूरोप में आधार खडा करें, यह प्रस्ताव जर्मनी के एक मंत्री ने रखा था| इस प्रस्ताव के लिए अपना समर्थन रहेगा, लेकिन, पहले रक्षा खर्च की बात पर ध्यान देना होगा, ऐसा रासमुसेन इन्होंने कहा है| वर्तमान में नाटो के सदस्य यूरोपीय देश रक्षा के लिए जरूरी खर्च नही कर रहे है, यह तक्रार अमरिका कर रही है| ब्रिटेन यूरोपियन महासंघ से बाहर हुआ तो नाटो का ८० प्रतिशत खर्च यूरोपियन महासंघ के बाहर होने वाले देशों से उठाया जाएगा, इस ओर रासमुसेन इन्होंने ध्यान आकर्षित किया| ऐसी स्थिति में यूरोपियन देशों के संयुक्त सेना का प्रस्ताव कितना व्यवहार्य होगा, यह सवाल रासमुसेन इन्होंने रखा है|

इसी लिए नाटो के पीछे खडे रहकर यूरोपियन महासंघ के सदस्य देश अपनी सुरक्षा अधिक कडी करें, यह सुझाव रखा है| साथ ही जिस रशिया की ओर आप सभी सामरिक सुरक्षा से जुडा सहयोगी देश के तौर पर देख रहे थे, वही आज बैरी बना है, यह कहकर रासमुसेन इन्होंने रशिया की चुनौती का सामना करने के लिए नाटो ही सबसे सही विकल्प होने की बात स्पष्ट कही| २९ सदस्य देशों की संगठन रहे ‘नाटो’ की सदस्यता प्राप्त करने के लिए यूरोप के जॉर्जिया और युक्रैन यह देश उत्सुकता दिखा रहे है| लेकिन, इनकी सदस्यता के लिए रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन इन्होंने कडा विरोध जताया है| इस पर भी रासमुसेन इन्होंने आलोचना की है|

किसी भी देश को किसी भी संगठन में शामिल होने की आजादी है| इस वजह से जॉर्जिया एवं युक्रैन को रशिया विरोध नही कर सकती| अपने पडोसी देश नाटो में शामिल होने के लिए क्यों उत्सुक है, इसपर रशियन राष्ट्राध्यक्ष विचार करे, यह सलाह रासमुसेन इन्होंने दी है|

रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन इनकी आक्रामक नीति की वजह से आत्मरक्षा के लिए जॉर्जिया और युक्रैन नाटो की ओर भार रहे है, यह दावा रासमुसेन इन्होंने किया| साथ ही रशिया की नीति की वजह से यूरोपियन देशों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन रहा है, यह कहकर यूरोपियन देशों की सेना इस खतरे का सामना नही कर सकती, इस सीधे शब्दों में रासमुसेन इन्होंने नाटो की अहमियत रेखांकित की| साथ ही रशिया के साथ सहयोग कर रहे तुर्की को नाटो से बाहर करने की योजना मंजूर नही है, यह भी रासमुसेन इन्होंने कहा| वर्तमान में तुर्की ने रशिया के साथ रक्षा विषयक सहयोग बढाकर रशिया से ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा खरीद ने के लिए समझौता किया था| इसका दाखिला देकर तुर्की को नाटो से बाहर करने की चर्चा शुरू हुई थी|

लेकिन, नाटो से बाहर होने के बाद तुर्की खुले तौर पर रशिया और ईरान जैसे रक्षा संबंधी सहयोग स्थापित करेगा, यह मुमकिन होने नही दे सकते, ऐसा इशारा रासमुसेन इन्होंने दिया है|

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