चीन के बंदरगाह के माध्यम से जागतिक सागरी क्षेत्र में वर्चस्व का प्रयास

बीजिंग: अमरीका जैसे महासत्ता को चुनौती देने लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्र में महत्व बढ़ाने का प्रयत्न करने वाले चीन ने व्यापारी तथा सामरिक वर्चस्व के लिए महत्वपूर्ण बंदरगाह कब्जे में लेने की श्रृंखला शुरु की है। कुछ दिनों पहले चीन के अग्रणी कंपनियों ने ब्राजील में पैरानागुआ बंदरगाह का व्यवस्थापन देखने वाले कंपनी पर कब्जा प्राप्त करने का वृत्त सामने आया था। इस पृष्ठभूमि पर चीन ने केवल १ वर्ष में दुनियाभर के विविध व्यापारी बंदरगाह में करीब २० अब्ज डॉलर्स से अधिक निवेश करने की जानकारी सामने आई है।

४ वर्षों पहले चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के अंतर्गत ‘मेरीटाइम सिल्क रोड’ की घोषणा की थी। दुनिया के हर एक कोने के बंदरगाह और उसके व्यवस्थापन को कब्जे में लेने के प्रयत्न चीन ने इसके पूर्व ही शुरू किए थे। पड़ोसी देश भारत को घेरने के लिए चीन ने म्यानमार, बांग्लादेश, श्रीलंका एवं पाकिस्तान के देशों के बंदरगाह कब्जे में लेने का प्रयत्न ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ के नाम से सामने आया था। चीन के इस योजना को झटका लगा, फिर भी जागतिक स्तर पर चीन ने शुरू किये इन गतिविधियों को सफलता मिलने की बात है दिखाई दे रही है।

पिछले दशक में चीन ने आशिया, अफ्रीका, यूरोप एवं लैटिन अमरीका खंड में बंदरगाह पर कब्जा पाने में सफलता प्राप्त की है। चीन सरकार के समर्थन होनेवाले दो बड़े कंपनियों के पास करीब २८ देशों के ७५ से अधिक बंदरगाह एवं टर्मिनल का कब्जा है। उनमें यूरोप के ग्रीस, स्पेन, बेल्जियम एवं इटली तो अफ्रीका के मोरक्को, आइवरी कोस्ट, इजिप्ट एवं जिबौती और आशिया के म्यानमार एवं पाकिस्तान जैसे देशों का समावेश है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई निजी कंपनियों के पास चीन से अधिक बंदरगाह एवं टर्मिनस का कब्जा होते हुए भी चीन की राजकीय एवं सामरिक महत्वकांक्षा की वजह से चीन के कब्जे में होने वाले बंदरगाह को खतरे के इशारे के तौर पर देखा जा रहा है कुछ पिछले विश्लेषकों ने चीन भविष्य में इसका उपयोग एक शस्त्र की तरह कर सकता है यह दावा किया है।

फिलहाल चीन से जारी किए हुए ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ इस महत्वाकांक्षी योजना की तरफ दुनिया भर से शक के तौर पर देखा जा रहा है। चीन का इसके पीछे व्यापारी हेतु होने की बात कही जा रही है। पर दुनिया के विभिन्न देशों ने यह योजना एक महासत्ता होने के लिए शुरू प्रयत्नों का भाग होने का दावा, किया जा रहा है। कुछ देशों ने इस योजना का विरोध किया है और चीन के हेतु पर संदेह व्यक्त किया है।

इस पृष्ठभूमि पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सागरी मार्ग से शुरू होनेवाले व्यापार पर वर्चस्व दिखाने के लिए चीन ने शुरू किए गतिविधियों की यह खबरें ध्यान केंद्रित कर रही है।

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