वायुसेना के लिए विशेष ‘जीसैट’ उपग्रह को रक्षा मंत्रालय की मंजूरी प्रदान

नई दिल्ली – रक्षा मंत्रालय की ‘डिफेन्स एक्विज़ीशन कौन्सिल’ (डीएसी) ने भारतीय वायुसेना के लिए विशेष ‘जीसॅट-७ सी’ उपग्रह एवं संबंधित उपकरणों की खरीद की मंजूरी प्रदान की है| रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसके लिए २,२३६ करोड़ रुपयों का खर्च मंजूर किया गया है| वायुसेना के लिए स्थापित किया जानेवाला यह ‘जीसॅट’ श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है और इससे वायुसेना की यातायात और संपर्क यंत्रणा अधिक मज़बूत होगी|

‘जीसैट’भारत के सामने रक्षा संबंधी चुनौतियॉं बढ़ रही हैं| इससे रक्षाबलों की यातायात और संपर्क प्रणाली अधिकाधिक मज़बूत करने पर जोर दिया जा रहा है| नवीनतम तकनीक के विमान, जहाज़ एवं हथियारों के साथ रियल टाईम कनेक्टिविटी उपलब्ध करनेवाले उपग्रह पर आधारित यंत्रावलियों की अहमियत बढ़ रही है| इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (इस्रो) के माध्यम से ऐसे उपग्रह प्रक्षेपित किए गए हैं| सन २०१८ में वायुसेना और थलसेना के लिए ‘इस्रो’ ने ‘जीसैट-७ए’ उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किया?था| इससे पहले, सन २०१३ में नौसेना के लिए विशेष ‘जीसैट-७’ उपग्रह स्थापित किया गया था| जल्द ही नौसेना के लिए ‘जीसैट-७आर’ उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित करने की योजना है|

अब रक्षाबलों के लिए और एक संचार उपग्रह के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी प्राप्त हुई है| वायुसेना ने इस उपग्रह का प्रस्ताव रखा था| इससे किसी भी स्थिति और माहौल में वायुसेना की संपर्क प्रणाली बरकरार रखने की क्षमता बढ़ेगी| मंगलवार के दिन ‘डीएसी’ की बैठक में वायुसेना के लिए ‘जीसैट-७सी’ खरीदने के लिए मंजूरी प्रदान हुई| साथ ही उपग्रह एवं अन्य यंत्रावलियों का संपर्क अबाधित रखने के लिए आवश्यक ‘सॉफ्टवेअर डिफाइन्ड रेडिओज्’ (एसडीआरएस) उपकरणों की खरीद भी की जाएगी| इसके लिए २,२३६ करोड़ रुपयों के खर्च का अनुमान है और ‘डीएसी’ ने इस खर्च को मंजूरी दी है|

यह उपग्रह पूरी तरह से भारतीय निर्माण का होगा और भारत से ही इसे अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा| ‘इस्रो’ इस उपग्रह का वायुसेना के लिए प्रक्षेपण करेगी| इसी बीच ‘एके-२०३’ राइफल का संयुक्त उत्पादन करने के लिए भारत और रशिया ने अंतिम समझौता करने का निर्णय करने का वृत्त प्राप्त हो रहा है| रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ६ दिसंबर के दिन भारत यात्रा पर दाखिल हो रहे हैं और इस दौरान वर्णित समझौते पर हस्ताक्षर होंगे, यह जानकारी प्राप्त हो रही है| इसके अनुसार भारत में कुल ६ लाख ‘एके-२०३’ राइफल्स का उत्पादन किया जाएगा|

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