अमरीका और नाटो द्वारा भारत को ‘सहयोग का संदेश’

वॉशिंग्टन – भारत यह अमरीका का सहयोगी (अलाय) देश नहीं, लेकिन अहम भागीदार देश हैं, ऐसा दावा अमरीका के ‘नैशनल सिक्योरिटी काऊन्सिल’ के इंडो-पैसिफिक के समन्वयक ‘कर्ट कैम्बल’ ने किया। चीन के सीमा विवाद में भारत को अमरीका का पूरा सहयोग होगा, यह भी कैम्बल ने स्पष्ट किया। ऐसे में अमरीका के नेतृत्व में बने सैन्य गठबंधन नाटो के द्वारा भारत के लिए हमेशा खुले हैं, ऐसा नाटो में स्थित अमरिकी राजदूत ज्युलियन स्मिथ ने कहा हैं। 

अमरीका और नाटोपिछले कुछ हफ्तों से अमरीका के बायडेन प्रशासन ने अपनाई नीति भारत विरोधी होने की बात सष्ट हुई थी। भारत की गतिविधियों पर अमरीका ने की हुई बयानबाज़ी एवं अमरीका में भारतीय दूतावासों पर खलिस्तानी अलगाववादियों ने किए हमलों की पृष्ठभूमि पर भारत की यह नाराज़गी अधिक तीव्रता से सामने आयी थी। इसके बाद अमरीका ने स्थिति को संभालने की कोशिश करके भारत के साथ जारी अपने संबंधों के दाखिले दिए थे। खास तौर पर भारत के एलएसी पर चीन की जारी हरकतों को लेकर अमरीका ने लगातार जताई चिंता यानी एक ही समय पर भारत और आश्वासन और चेतावनी देने की कोशिश दिख रही है। 

अमरीका और नाटोचीन के एलएसी पर शुरू गतिविधियां चिंताजनक होने का बयान करके अमरीका ने भारत को चीन के विरोध में अपना पूरा सहयोग होगा, यह घोषित किया है। उपरी दिखने के लिए यह आश्वासन महसूस होता होग, लेकिन वास्तव में चीन की आक्रामक गतिविधियों के विरोध में भारत को अमरीका से ही सहायता प्राप्त करनी ही होगी, ऐसा संदेश इसके ज़रिये दिया जा रहा हैं। इसके अलावा लद्दाख के एलएसी पर स्थित गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद अमरीका ने भारत से किए सहयोग की जानकारी सार्वजनिक करना मुमकिन नहीं होगा, ऐसा बयान अमरिकी विदेश मंत्रालय ने हाल ही में किया था। यह भी अमरीका की भारत को हमारे सहयोग की आवश्यकता होने की याद दिलाने के लिए की हुई कोशिश दिखती है। इस पृष्ठभूमि पर अमरीका के ‘नैशनल सिक्योरिटी काउन्सिल’ के इंडो-पैसिफिक समन्वयक ‘कर्ट कैम्बल’ ने यह बयान किया था कि, भारत यह अमरीका का साथी देश नहीं है और आगे भी भारत अमरीका का साथी नहीं बनेगा। इसके बावजूद भारत यह अमरीका का करीबी भागीदार देश हैं और अमरीका भारत को हर मुमकिन सहयोग प्रदान करेगी, यह दावा उन्होंने किया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत काफी बड़े योगदान दे रहा महान देश हैं, इसका अहसास अमरीका को होने के संकेत कैम्बल ने अपने बयान से दिए हैं।

२१ वीं सदी के काफी अहम भागीदार देश के तौर पर अमरीका भारत की ओर देख रही हैं, ऐसा कैम्बल ने स्पष्ट किया। इसी बीच, नाटो में अमरिकी राजदूत ज्युलियन स्मिथ ने नाटो के द्वारा भारत के लिए पूरे खुले होने का दावा किया। इसका मतलब अगले हफ्ते ब्रुसेल्स में आयोजित हो रही नाटो की बैठक के लिए भारत को आमंत्रित किया जाएगा, ऐसा नहीं है यह भी स्मिथ ने स्पष्ट किया है। नाटो की भागीदारी फिलहाल विश्व के ४० देशों के साथ है। यह हर भागीदार दूसरे से अलग है, यह कहकर भारत इनमें से एक होने की बात पर स्मिथ ने ध्यान आकर्षित किया। 

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